सीएए के तहत नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने छह महीने का समय और मांगा

यह पांचवीं बार है जब गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नियमों को तैयार करने के लिए समय के विस्तार की मांग कर रहा है. इससे पहले, 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते नियम बनाने में देरी का हवाला देते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की थी. इस बार मंत्रालय ने 9 अक्टूबर तक का समय मांगा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

यह पांचवीं बार है जब गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नियमों को तैयार करने के लिए समय के विस्तार की मांग कर रहा है. इससे पहले, 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते नियम बनाने में देरी का हवाला देते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की थी. इस बार मंत्रालय ने 9 अक्टूबर तक का समय मांगा है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नियम बनाने के लिए छह महीने का समय और मांगा है.

बता दें कि यह विवादित क़ानून वर्ष 2019 के अंत में संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है.

द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में उक्त जानकारी दी है. मंत्रालय ने इस संबंध में लोकसभा और राज्यसभा की संबंधित समितियों को पत्र लिखा है.

बता दें कि इस क़ानून के बनने के बाद देश भर में महीनों तक विरोध प्रदर्शनों का दौर चला था, जो कि कोविड-19 महामारी के कारण थम गया. क़ानून को आलोचकों द्वारा मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया जाता रहा है.

सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को फास्ट-ट्रैक तरीके से भारतीय नागरिकता दी जाएगी. हालांकि, जब तक नियम नहीं बनाए जाते हैं, क़ानून लागू नहीं हो सकता है.

किसी भी नए या संशोधित कानून के कार्यान्वयन के लिए नियमों का होना अनिवार्य है और आम तौर पर क़ानून लागू होने के छह महीने के भीतर नियम बना दिए जाने चाहिए.

बहरहाल, यह पांचवीं बार है जब गृह मंत्री सीएए के नियमों को तैयार करने के लिए समय के विस्तार की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते देरी होने का हवाला देते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की थी. इस बार मंत्रालय ने 9 अक्टूबर तक का समय मांगा है.

पिछले साल मई में केंद्र सरकार ने उपरोक्त तीन देशों के हिंदू, मुस्लिम, जैन, पारसी, ईसाई और बौद्ध समुदाय के लोगों को, जो भारत के 13 जिलों में रह रहे हैं, को देश की नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी. हालांकि, आवेदन नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत मांगे गए थे क्योंकि संशोधित अधिनियम से संबंधित नियमों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.

हालांकि, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता पिछले दो-ढाई सालों में कई बार कह चुके हैं कि पार्टी सीएए लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन नियम बनाने में होती लगातार देरी उसके दावों पर सवाल उठाती है.