एक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता से कहा कि मेरे जनसंपर्क अधिकारी रोज सुबह के अखबारों में आपके हलफनामे के बारे में खबरें दिखाते हैं, जबकि वे कोर्ट में दायर नहीं हुए होते हैं.
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने सोमवार को टिप्पणी की कि सरकारी हलफनामे कोर्ट में दायर होने से पहले ही जज उनके बारे में मीडिया में पढ़ लेते हैं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह टिप्पणी करते हुए सीजेआई ने सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मीडिया में जारी होने से पहले हलफनामे पहले कोर्ट में दाखिल हों.
सीजेआई रमना ने कहा कि उनके जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) सुबह के अखबारों में हलफनामे के बारे में खबरें दिखाते हैं, जबकि वे कोर्ट में दायर नहीं हुए होते हैं.
एएसजी केएम नटराज को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि हम हलफनामे केवल मीडिया में पढ़ते हैं. आज मुझे कोर्ट में उनका (सरकार) हलफनामा मिला है लेकिन हर सुबह मेरा पीआरओ मुझे (मीडिया में) हलफनामा दिखा चुका होता है.
तब एएसजी ने पीठ को यकीन दिलाते हुए कहा, ‘केंद्र की ओर से (अब) यह नहीं होगा.’
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ लौह अयस्क निर्यात संबंधी आवेदनों पर विचार कर रही थी.
पीठ ने मंत्रालय से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या घरेलू बाजार में पर्याप्त लौह अयस्क उपलब्ध है और इसके निर्यात की अनुमति देनी चाहिए.