पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ को संसद ने निर्विरोध रूप से पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री चुना. 1947 में अपने गठन के बाद से देश कई शासन परिवर्तन और सैन्य तख़्तापलट के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. वहां किसी भी प्रधानमंत्री ने अब तक पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
इस्लामाबाद/लाहौर: पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ को सोमवार को संसद ने निर्विरोध रूप से पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री चुना.
इससे पहले प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के शाह महमूद कुरैशी ने घोषणा की कि वह मतदान का बहिष्कार करेंगे और सदन से वॉक आउट कर गए.
नेशनल असेंबली में कुरैशी के चुनाव के बहिष्कार के बाद शहबाज (70) इस पद के लिए एक मात्र दावेदार बचे थे.
स्पीकर अयाज सादिक ने इस सत्र की अध्यक्षता की और नतीजों की घोषणा की जिसके अनुसार, ‘शरीफ को 174 वोट मिले हैं और उन्हें पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य का प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है.’
इससे पहले डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने कहा था कि उनकी अंतरात्मा सत्र के संचालन की इजाजत नहीं देती.
जीत के लिए 342 सदस्यीय सदन में 172 सांसदों का समर्थन जरूरी था. तीन बार पूर्व प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज को 174 मत मिले जो 172 के साधारण बहुमत से दो ज्यादा है.
पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाए गए इमरान खान की जगह लेने के लिए संयुक्त विपक्ष की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज के नाम का प्रस्ताव रखा था.
वह पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री हैं. वह तीन बार देश के सबसे अधिक आबादी वाले और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे हैं.
प्रधानमंत्री के रूप में सदन में अपने पहले भाषण में शहबाज ने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कामयाब हुआ है. उन्होंने कहा, ‘बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है.’
शरीफ ने इमरान खान के ‘विदेशी विवाद’ को उन्होंने ‘ड्रामा’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह पूरे देश के लिए आज बड़ा दिन है, जहां एक चुने हुए प्रधानमंत्री को कानूनी और संवैधानिक तरीके से घर भेज दिया गया है.
शहबाज ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता है.
उल्लेखनीय ही कि सदन के नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया रविवार को प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास मत के माध्यम से पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुई. खान सदन का विश्वास खोने के बाद देश के इतिहास में पहले प्रधानमंत्री बने जिन्हें पद छोड़ना पड़ा.
पाकिस्तान 1947 में अपने गठन के बाद से कई शासन परिवर्तन और सैन्य तख्तापलट के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. किसी भी प्रधानमंत्री ने अब तक पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
पकिस्तानी अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शहबाज, उनके बेटे पर अभियोग 27 अप्रैल तक टाला
इससे पहले पाकिस्तान की एक अदालत ने सोमवार को ही मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज पर अभियोग को 27 अप्रैल तक के लिए टाल दिया और उनकी अग्रिम जमानत भी उसी दिन तक बढ़ा दी.
अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही में एक दिन के लिए अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की शहबाज की अर्जी को स्वीकार कर लिया और उनके अनुरोध पर पिता और पुत्र की अग्रिम जमानत 27 अप्रैल के लिए बढ़ा दी.
रविवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव हारने के कारण इमरान खान के सत्ता से जाने के बाद शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद का चुनाव लड़ने के लिए इस्लामाबाद में थे. हालांकि, पंजाब प्रांत के लिए संयुक्त विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हमजा शहबाज विशेष अदालत के समक्ष पेश हुए.
अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि एफआईए अभियोजन दल अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ, इसलिए उसने अभियोग को 27 अप्रैल तक के लिए टाल दिया और शहबाज और हमजा की अग्रिम जमानत उसी दिन तक के लिए बढ़ा दी.’
एफआईए टीम की अनुपस्थिति के लिए अदालत को कोई कारण नहीं बताया गया.
इससे पहले पीटीआई नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने रविवार को एक ट्वीट में कहा था कि एफआईए अभियोजन प्रमुख, लाहौर को शहबाज के मामले में अदालत के सामने पेश नहीं होने का निर्देश दिया गया था ताकि अभियोग में देरी हो.
शहबाज और उनके बेटों- हमजा और सुलेमान पर एफआईए ने नवंबर 2020 में भ्रष्टाचार निवारण कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. सुलेमान फरार हैं और ब्रिटेन में रह रहे हैं.
एफआईए की जांच में शहबाज परिवार से संबंधित कथित तौर पर 28 बेनामी खातों का पता चला, जिसके माध्यम से 2008 से 2018 तक 14 अरब पाकिस्तानी रुपये का धनशोधन किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)