झारखंड के देवघर ज़िले में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकूट पहाड़ियों पर बीते 10 अप्रैल को 12 रोपवे ट्रॉली आपस में टकरा गई थी. इस हादसे के बाद ट्रॉली में फंसे कुल 46 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. इसके साथ ही मंगलवार को तीसरे दिन सेना का बचाव अभियान ख़त्म हो गया.
देवघर: झारखंड के देवघर जिले में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकूट पहाड़ियों को जोड़ने वाली केबल कार (रोपवे ट्रॉली) में करीब 40 घंटे तक हवा में फंसे 15 पर्यटकों को वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने सुरक्षित निकाल लिया है. वायुसेना के हेलीकॉप्टरों का बचाव अभियान मंगलवार को सुबह फिर से शुरू हुआ. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
प्रभात खबर के मुताबिक, रोपवे हादसे में ट्रॉली में फंसे लोगों में से कुल 46 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया. इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही मंगलवार को तीसरे दिन सेना का बचाव अभियान खत्म हो गया.
मंगलवार सुबह वायुसेना द्वारा हेलीकॉप्टर से ट्रॉली में फंसे 13 लोगों को रेस्क्यू (बचाव) किया जा रहा था. इसी दौरान एक महिला एयरलिफ्ट करने के दौरान नीचे गिर गईं, जिससे उनकी मौत हो गई. अन्य 12 लोगों को सेना के जवानों ने सुरक्षित निकाल लिया.
देवघर के त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसे में कुल तीन लोगों की मौत हुई है. इनमें दो महिलाएं एवं एक पुरुष शामिल हैं.
सोमवार को एयरलिफ्ट के दौरान हेलीकॉप्टर में घुसने से पहले सेफ्टी बेल्ट खुल जाने के कारण एक युवक 860 फीट खाई में गिर गए थे, जिससे उनकी मौत हो गई थी. मृतक राकेश मंडल (36) दुमका जिले के सरैयाहाट थाना क्षेत्र के ककनी गांव के रहने वाले थे.
10 अप्रैल की शाम चार बजे केबल कारों के आपस में टकराने के कारण रोपवे में खराबी आ जाने के बाद हवा में लटकी केबल कारों से करीब 50 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. हादसे में घायल हुए 12 लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
हादसे के दौरान इसमें सबसे नीचे की दो ट्रॉली पत्थर से टकरा गई थी. इन दोनों ट्रॉलियों में सवार सभी लोग बुरी तरह घायल हो गए थे. इस हादसे में देवघर जिले की सारठ तहसील की पथरड्डा की रहने वाली सुमंती देवी की मौत हो गई थी.
वायु सेना, सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा बचाव अभियान किया गया.
#WATCH | IAF recommenced rescue operations at Deoghar ropeway in Jharkhand, early this morning.
(Video source: IAF Twitter handle) pic.twitter.com/XstP7ESWAE
— ANI (@ANI) April 12, 2022
जानकारी के अनुसार, इससे पहले सूर्यास्त के बाद बचाव अभियान को रोकना पड़ा था, क्योंकि रोपवे पहाड़ियों से घिरे घने जंगलों से होकर गुजरता है, जहां वायुमार्ग के अलावा दूसरे मार्ग से पहुंचना मुश्किल है. साथ ही जमीन से बचाव अभियान चलाना भी मुश्किल है, क्योंकि ट्रॉलियां 1500 फुट तक की ऊंचाई पर लटकी थीं.
इस बीच, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच की घोषणा की और कहा कि प्रशासन बचाव अभियान पर कड़ी नजर रखे हुए है. सुरक्षित निकाले गए यात्रियों को वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों की मदद से ‘एयरलिफ्ट’ किया गया.
हवा में लटकी केबल कारों में फंसे लोगों को भोजन और पानी की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा, ‘विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देवघर के त्रिकूट पर्वत पर बने रोपवे पर दुर्घटना बहुत दुखद और दर्दनाक है. मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और बाबा बैद्यनाथ से घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं.’
भाजपा उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने राज्य सरकार पर इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया और दावा किया था कि क्षेत्र के मंत्री मौके पर नहीं गए.
दास ने मृतक के परिजनों के लिए एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग करते हुए कहा, ‘राज्य सरकार को लोगों के जीवन की परवाह नहीं है. त्वरित निर्णय नहीं ले पाने के कारण यात्री रात भर हवा में लटके रहे.’
न्यूज़ 18 के मुताबिक, झारखंड उच्च न्यायालय ने देवघर रोपवे दुर्घटना का स्वत: संज्ञान लिया और मामले की जांच के आदेश दिए हैं. अदालत इस मामले पर 26 अप्रैल को सुनवाई करेगी. इससे पहले राज्य को एक हलफनामे के जरिये विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है.
क्षेत्र में प्रसिद्ध त्रिकुटाचल महादेव मंदिर और ऋषि दयानंद के आश्रम हैं. यहां त्रिकूट पहाड़ियों की कई चोटियां हैं, जिनमें सबसे ऊंची चोटी समुद्र तल से 2,470 फुट और जमीन से लगभग 1500 फुट की ऊंचाई पर है. झारखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, त्रिकूट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा रोपवे है. यह लगभग 766 मीटर लंबा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)