केंद्र ने सीबीआई को आकार पटेल, एमनेस्टी इंडिया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की अनुमति दी

एफसीआरए के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में आकार पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.

आकार पटेल. (फोटो साभार: ट्विटर)

एफसीआरए के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में आकार पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.

आकार पटेल. (फोटो साभार: ट्विटर)

नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.

सीबीआई ने एफसीआरए की धारा 40 के अनिवार्य खंड के कारण अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी मांगी थी.

यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में पटेल की विदेश यात्रा पर रोक लगा दी गई थी लेकिन अदालत ने इस फैसले को पलट दिया.

अधिकारियों ने बताया कि एफसीआए नियमों के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने  दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.

उन्होंने बताया कि अदालत इन आरोपों पर 18 अप्रैल को संज्ञान लेगी.

सीबीआई का दावा है कि यह चार्जशीट पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर का आधार है. इसी लुकआउट सर्कुलर की वजह से बीते दिनों उन्हें बेंगुलरू हवाईअड्डे से अमेरिका जाने से रोक दिया गया था. उन्हें अमेरिका में विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देना था.

पटेल ने द वायर  को बताया कि उन्हें सर्कुलर के बारे में नहीं बताया गया था.

मजिस्ट्रेट अदालत ने जांच एजेंसी को फौरन एलओसी वापस लेने, पटेल से माफी मांगने और 30 अप्रैल तक एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.

हालांकि, गत शुक्रवार को एक विशेष न्यायाधीश ने इस फैसले का पलट दिया था और पटेल को उसकी इजाजत के बगैर देश से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल), इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएफ) और अन्य के खिलाफ नवंबर, 2019 में मामला दर्ज किया गया था.

यह आरोप है कि इन इकाइयों ने एआईआईपीएल के जरिये एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से फंड लिया, जो एफसीआरए और आईपीसी के प्रावधानों का उल्लंघन है. यहां तक कि एफसीआरए के तहत एआईआईएपटी और अन्य ट्रस्टों को पूर्व पंजीकरण या अनुमति नहीं दी गई.

एफआईआर दर्ज होने के बाद की गई तलाशी में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने आरोप लगाया कि बीते एक साल में जब-जब एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाई है, उत्पीड़न का एक पैटर्न देखने को मिला है.

एमनेस्टी ने जारी बयान में कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरा पालन करता है. भारत और दुनिया के किसी भी हिस्से में हमारा काम सार्वभौमिक मानवाधिकारों को लेकर हमारी लड़ाई को जारी रखना है. ये वही मूल्य हैं, जो भारतीय संविधान में निहित हैं और बहुलवाद, सहिष्णुता और असहमति जताने की लंबी और समृद्ध भारतीय परंपरा में समाहित हैं.’

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीबीआई के समक्ष दायर की गई शिकायत के मुताबिक, एआईआईपीएल एक फॉर-प्रॉफिट कंपनी है. यह पता चला है कि लंदन स्थिति एमनेस्टी इंटरनेशनल चार कंपनियों के जरिये काम करता है, जिन्हें सीबीआई ने मामले में नामजद किया है.

आरोप हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में वर्गीकृत 10 करोड़ रुपये का भुगतान गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया के लंदन कार्यालय को किया गया.

आरोप है कि 26 करोड़ रुपये मुख्य रूप से यूके स्थिति कंपनियों से एमनेस्टी इंडिया को भेजे गए.

आरोप यह भी है कि एमनेस्टी ने एफसीआरए के तहत पूर्व मंजूरी या पंजीकरण के लिए कई प्रयास किए लेकिन असफल रहने पर एफसीआरए से बचने के लिए व्यावसायिक तरीके अपनाए गए.

यह भी कहा गया है कि एमनेस्टी इंडिया को स्वचालित तरीके से सेवा अनुंबध, अग्रिम आय और एफडीआई जैसे उद्देश्यों के लिए फंड मिले. कुल 36 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ रुपये एफडीआई के रूप में दर्शाए गए, 26 करोड़ रुपये कंसल्टेंसी सेवाओं के भुगतान के तौर पर दर्शाए गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)