पश्चिम बंगाल: नाबालिग के गैंगरेप और हत्या मामले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी से विवाद

बीते पांच अप्रैल को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के हंसखली में हुई घटना पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि क्या 14 वर्षीय कथित हत्या और सामूहिक बलात्कार पीड़िता का वास्तव में बलात्कार हुआ था या क्या वह गर्भवती थी या उसका ‘प्रेम संबंध’ था.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

बीते पांच अप्रैल को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के हंसखली में हुई घटना पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि क्या 14 वर्षीय कथित हत्या और सामूहिक बलात्कार पीड़िता का वास्तव में बलात्कार हुआ था या क्या वह गर्भवती थी या उसका ‘प्रेम संबंध’ था.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: सामूहिक बलात्कार के एक मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है. उनकी इस टिप्पणी की विपक्ष और नागरिक समाज ने आलोचना की है.

ममता ने घटना को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या 14 वर्षीय कथित हत्या और सामूहिक बलात्कार पीड़िता का वास्तव में बलात्कार हुआ था या क्या वह गर्भवती थी या उसका ‘प्रेम संबंध’ था.

दूसरी ओर लड़की के परिवार का आरोप है कि सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत हुई है.

तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के बेटे राज्य के नदिया जिले के हंसखली में कक्षा 9 की छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपी हैं. 21 वर्षीय आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और स्थानीय अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया है.

कोलकाता में बीते 11 अप्रैल को हुए एक कार्यक्रम में बनर्जी से इस मुद्दे पर टिप्पणी करने की मांग की गई थी.

बनर्जी ने बंगाली में बोलते हुए कहा था, ‘क्या आप इसे बलात्कार कहेंगे या वह गर्भवती थी या आप इसे प्रेम प्रसंग कहेंगे… क्या वह बीमार थी या उसे किसी ने मारा था… मैंने पुलिस से पूछा है, ‘क्या हुआ?’ जो हुआ वह बुरा था. गिरफ्तारी हो चुकी है. मैंने सुना है कि लड़की का प्रेम संबंध था.’

फिर उन्होंने पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय से पूछा था कि क्या वह सही हैं?

इसके तुरंत बाद बनर्जी को यह कहते हुए सुना गया, ‘लड़की की मृत्यु 5 तारीख को हुई थी. 10 तारीख को शिकायत की गई थी. अगर किसी को शिकायत थी तो पांच को क्यों नहीं इसे दर्ज कराया गया?’

लड़की के परिवार के सदस्यों ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि वह पांच अप्रैल को आरोपी के जन्मदिन की पार्टी में उसके घर, नादिया जिले के हंसखली में गई थी और उसके साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था. लड़की की रक्तस्राव की वजह से उसी रात मौत हो गई.

इस मामले में पांच दिन बाद 10 अप्रैल को हंसखली पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई.

मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार ‘बिना किसी को बताए’ क्यों किया गया? इसके अलावा पूछा था, ‘पुलिस अब कैसे जांच करेगी?’

उसी संबोधन के दौरान ममता बनर्जी ने फिर से पीड़िता का मुद्दा उठाया और कहा, ‘लड़की के प्रेम संबंध थे. यह बात उसके परिवार को पता थी. यह बात पड़ोसियों को भी पता थी. अगर लड़के और लड़कियों के संबंध हैं तो मैं उन्हें रोक नहीं सकती. यह उत्तर प्रदेश नहीं है कि मैं ‘लव जिहाद’ कार्यक्रम शुरू करूंगा.’

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण के दौरान बार-बार आरोपी और पीड़िता के कथित तौर पर एक-दूसरे को जानने वाले एंगल को उजागर करने की कोशिश की.

उन्होंने कहा​ कि विस्तृत जांच की जा रही है, वह राज्य आयोग से बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए मामले को उठाने के लिए कहेंगी.

विपक्षी दलों के इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित करने पर कि आरोपी का परिवार के कुछ लोग उनकी पार्टी टीएमसी से जुड़े हैं, बनर्जी ने कहा, ‘क्या करें, हर कोई टीएमसी है. टीएमसी को खींचने से क्या फायदा! बंगाल में सब टीएमसी हैं. अगर उनके पिता टीएमसी के सदस्य हैं, बेटा रिलेशनशिप में था या कुछ और तो टीएमसी को क्यों खींचे?’

यह पहली बार नहीं है जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर असंवेदनशील टिप्पणी की है. 2015 में कोलकाता के अपस्केल पार्क स्ट्रीट में एक वाहन में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना को बनर्जी ने ‘मनगढ़ंत मामला’ बताया था.

उन्होंने यह तक बताने की कोशिश की थी कि पीड़िता और आरोपी के बीच एक समझ थी, जो गलत हो गई . तब भी उनकी इस टिप्पणी की काफी आलोचना हुई थी.

विपक्षी दलों ने ताजा घटना की भी निंदा की है, जिसमें कहा गया है कि एक सरकार जो महिलाओं के अधिकारों को सामने और केंद्र में रखने का दावा करती है, उसने अपने लोगों को नीचा दिखाया है.

विपक्षी दलों ने बनर्जी के बयान को ‘चौंकाने वाला’ बताया और आरोप लगाया कि वह आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही हैं, क्योंकि वह उनकी पार्टी के एक नेता का बेटा है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को नाबालिग लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत पर राज्य के मुख्य सचिव से तत्काल रिपोर्ट मांगी.

राज्यपाल ने ट्वीट किया, ‘नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने नादिया में 14 वर्षीय लड़की की कथित सामूहिक बलात्कार के बाद मौत और राम भक्तों पर अत्याचार की जांच की मांग की है.’

https://twitter.com/jdhankhar1/status/1513853519056424963

धनखड़ ने दावा किया कि ‘दोनों (घटनाएं) महिलाओं के खिलाफ अपराध की चिंताजनक स्थिति और कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर करती हैं,’. उन्होंने कहा, ‘दोनों मामलों में मुख्य सचिव से तत्काल रिपोर्ट मांगी है.’

विपक्ष के नेता अधिकारी ने सोमवार दोपहर राज्यपाल से मुलाकात की थी. भाजपा का आरोप है कि रविवार को हावड़ा में रामनवमी जुलूस के दौरान हाथापाई की गई थी.

विपक्षी भाजपा ने बनर्जी की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की और आश्चर्य जताया कि क्या उनकी टिप्पणी का उद्देश्य जांच को प्रभावित करना था.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चौंकाने वाला बयान, जो नादिया के हंसखली में 14 वर्षीय लड़की के क्रूर बलात्कार और हत्या को तुच्छ बताती है. वह पीड़िता से सवाल करती हैं और पूछती हैं कि क्या यह प्रेम संबंध था या अनियोजित गर्भावस्था का मामला था! क्योंकि आरोपी टीएमसी नेता का बेटा है.’

विधानसभा में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां केवल यह साबित करती हैं कि बनर्जी कैसे जांच को प्रभावित करने और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘जब भाजपा शासित राज्यों में ऐसी कोई घटना होती है तो वह सबसे पहले इसका विरोध करती हैं. लेकिन जब पश्चिम बंगाल में ऐसी ही घटनाएं होती हैं तो वह दोषियों को बचाने की कोशिश करती हैं. यह शर्मनाक है कि एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद वह इस तरह की टिप्पणी कर रही हैं. यह बंगाल की अराजक स्थिति की वास्तविक तस्वीर है.’

माकपा और कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री बनर्जी की उनके बयान के लिए निंदा की.

हंसखली घटना की उत्तर प्रदेश के हाथरस मामले, जहां एक दलित किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या कर दी गई थी, से तुलना करते हुए सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री ‘बलात्कारियों की चौकीदार’ बन गई हैं.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘क्या यह पीड़ित टीएमसी की मां, माटी, मानुष (मां, भूमि, लोग) शासन के तहत नहीं आती है? मुख्यमंत्री ‘आरोपी के वकील’ की भूमिका क्यों निभा रही हैं? वह अपराध करने वालों का बचाव क्यों कर रही है?’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)