साल 2008 में राजेश और नूपुर तलवार की बेटी आरुषि तलवार की हत्या हो गई थी. शक के दायरे में आए उनके नौकर हेमराज की लाश अगले दिन घर की छत से मिली थी.
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में बृहस्पतिवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत का निर्णय रद्द करते हुए राजेश तलवार और नूपुर तलवार को निर्दोष क़रार दिया.
न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्र की खंडपीठ ने आरुषि तलवार और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या के मामले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के निर्णय के ख़िलाफ़ तलवार दंपति की अपील स्वीकार करते हुए उक्त आदेश पारित किया.
विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
तलवार दंपति की अपील स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि न तो परिस्थितियों और न ही रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्यों से आरुषि और हेमराज की हत्या में तलवार दंपति के शामिल होने की बात साबित हो रही है.
अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अभाव में यह एक ऐसा दुरुस्त मामला है जहां अपीलकर्ता को संदेह का लाभ दिया जा सकता है. अदालत ने इस तरह से दोनों अपीलकर्ताओं को संदेह का लाभ देते हुए विशेष सीबीआई अदालत का 26 नवंबर, 2013 का फैसला निरस्त कर दिया.
अदालत ने तलवार दंपति की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया.
इससे पूर्व, सात सितंबर को उच्च न्यायालय ने आरुषि हत्याकांड मामले में राजेश तलवार और नूपुर तलवार की अपील पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार की बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या में उन्हें दोषी क़रार दिए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई एक अगस्त को दोबारा शुरू की थी.
पीठ ने कहा था कि सीबीआई के बयानों में पाए गए कुछ विराधाभासों की वजह से इस मामले की दोबारा सुनवाई की जाएगी.
आरुषि 15 मई 2008 की रात अपने कमरे में मृत पाई गई थी और उसका गला किसी धारदार हथियार से काटा गया था. शुरुआत में संदेह की सुई हेमराज पर घूमी जो उस समय लापता था. लेकिन दो दिन बाद हेमराज का शव उस मकान की छत से बरामद किया गया था.
मीडिया में काफी चर्चित रहे इस सनसनीख़ेज हत्याकांड की ठीक से जांच नहीं करने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की चौतरफा तीखी आलोचना हुई थी, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
आरुषि-हेमराज हत्याकांड का घटनाक्रम
साल 2008
16 मई: आरुषि तलवार अपने बेडरूम में मृत पाई गई थीं और हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर था.
17 मई: हेमराज का शव उस इमारत की छत पर मिला जिसमें तलवार दंपति का फ्लैट है.
19 मई: डॉ. राजेश तलवार के पूर्व घरेलू सहायक विष्णु शर्मा को हत्या का संदिग्ध माना गया था.
23 मई: आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तार कर लिया गया.
01 जून: मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ली थी.
13 जून: सीबीआई ने तलवार के घरेलू सहायक कृष्णा को गिरफ्तार किया था.
26 जून: सीबीआई ने मामले को सुरागविहीन बताया था. गाज़ियाबाद के विशेष मजिस्ट्रेट ने राजेश तलवार को ज़मानत देने से इंकार कर दिया था.
12 जुलाई: डॉ. राजेश तलवार को ज़मानत दे दी गई.
29 दिसंबर: सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट जमा की, जिसमें घरेलू सहायकों को क्लीनचिट दिया गया लेकिन माता-पिता की तरफ उंगली उठाई थी.
साल 2011
09 फरवरी: अदालत ने सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह आरुषि के माता-पिता पर लगाए गए हत्या और सबूत मिटाने के अभियोजन के आरोप को लेकर मामला जारी रखें.
21 फरवरी: तलवार दंपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से निचली अदालत द्वारा जारी किए गए समन को ख़ारिज करने के लिए संपर्क किया था.
18 मार्च: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिका ख़ारिज कर दी.
साल 2013
नवंबर: राजेश और नुपूर तलवार को दोहरी हत्या का दोषी क़रार देते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने दोनों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.
साल 2017
07 सितंबर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा और 12 अक्टूबर को फैसले की तारीख़ दी थी.
12 अक्टूबर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि के माता-पिता को बरी कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)