खरगोन हिंसा: प्रशासन ने तोड़ा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना मकान, कहा- अवैध था निर्माण

रामनवमी पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद खरगोन में ज़िला प्रशासन द्वारा कई घरों और दुकानों को गिराने की कार्रवाई की गई थी. अब एक परिवार के पास उपलब्ध दस्तावेज़ दिखाते हैं कि जिस मकान को अवैध बताकर ढहाया गया वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था.

/
मध्य प्रदेश के खरगोन में कथित आरोपियों के घरों को 'अवैध निर्माण' बताते हुए हुई कार्रवाई. (फोटो साभार: ट्विटर)

रामनवमी पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद खरगोन में ज़िला प्रशासन द्वारा कई घरों और दुकानों को गिराने की कार्रवाई की गई थी. अब एक परिवार के पास उपलब्ध दस्तावेज़ दिखाते हैं कि जिस मकान को अवैध बताकर ढहाया गया वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था.

खरगोन में आरोपियों के निर्माण ढहाने की प्रशासनिक कार्रवाई. (फोटो: ट्विटर/स्क्रीनशॉट)

खरगोन: रामनवमी के दिन मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद सोमवार को जिला प्रशासन ने आरोपियों के करीब आधा सैकड़ा मकान और दुकानों को जमींदोज किया था.

प्रशासन का कहना था कि उक्त निर्माण अतिक्रमण करके आरोपियों द्वारा अवैध रूप से बनाए गए थे. लेकिन, अब एक ऐसा मामला सामने आया है कि जिस मकान को अवैध बताकर ढहाया गया वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, रामनवमी पर निकले जुलूस के बाद हुई हिंसा पर कार्रवाई करते हुए खरगोन के खसखसबाड़ी इलाके में हसीना फाखरू का भी मकान ढहाया गया था.

परिवार के पास उपलब्ध दस्तावेज दिखाते हैं कि बिरला मार्ग स्थित यह मकान हसीना फाखरू के नाम उनके पति की मौत के बाद पंजीकृत हुआ था, जो कि पीएम आवास योजना के मूल लाभार्थी थे.

यह उन 12 मकानों में से एक था जिसे इलाके में अवैध निर्माणों के खिलाफ चलाए गए जिला प्रशासन के अभियान के तहत ढहाया गया था.

रविवार को हुई झड़प के बाद शहर में चार स्थानों पर कुल 16 मकान और 29 दुकानें ढहाई गईं थीं.

इंडियन एक्सप्रेस को 60 वर्षीय हसीना ने रोते हुए बताया, ‘सोमवार की सुबह नगर निगम के कर्मचारियों की एक टीम बुलडोजरों के साथ आई. उन्होंने मुझे बाहर धकेल दिया, बाहर दीवार पर गोबर पोत दिया जहां यह लिखा था कि मकान आवास योजना के तहत बनाया गया था और मिनटों में मकान को ढहा दिया.’

हसीना के 35 वर्षीय बटे अमजद खान, जो मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं, ने बताया कि हसीना का पांच बेटे और दो बेटियों का सात सदस्यीय परिवार उक्त जमीन के टुकड़े पर तीन दशकों से भी अधिक समय से रह रहा था.

अमजद ने बताया, ‘2020 तक हम इस प्लॉट पर कच्चे मकान में रहते थे. 2020 में आवास योजना के तहत मंजूरी मिलने पर हमने पक्का मकान बना लिया. हमें सरकार से ढाई लाख रुपये मिले और मकान बनाने के लिए एक लाख रुपये और जोड़कर रखे थे.’

मालिकाना हक की पुष्टि के लिए अमजद ने जो दस्तावेज (रिकॉर्ड) पेश किए, उनमें संपत्ति कर की रसीद, तहसीलदार को दिया आवेदन, पात्रता का हलफनामा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक पत्र है जिसमें उन्हें पीएम आवास योजना का लाभार्थी होने पर बधाई दी गई है.

एक फोटो भी है जिसमें हसीना कच्चे मकान के बाहर खड़ी हैं और एक दूसरे फोटो में वे नये घर के बाहर खड़ी हैं.

परिवार के मुताबिक, हसीना को मकान ढहाए जाने के तीन दिन पहले 7 अप्रैल को एक नोटिस मिला था, जिसमें उनसे तीन दिन के भीतर अपने मालिकाना हक का विवरण पेश करने या फिर मकान ढहाए जाने की कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा गया था.

अमजद ने नोटिस का टाइप किया हुआ जवाब दिखाते हुए कहा, ‘मैं सभी दस्तावेजों के साथ शुक्रवार को जिला अदालत जवाब टाइप कराने गया था, जिसमें पिता के मृत्यु प्रमाण-पत्र से लेकर संपत्ति कर के दस्तावेज तक शामिल थे. लेकिन हम इसे शनिवार और रविवार को कैसे जमा कर सकते थे जब सभी कार्यालय बंद थे? और फिर सोमवार को वो बुलडोजर लेकर आ गए.’

इस संबंध में कलेक्टर अनुग्रहा पी. कहती हैं, ‘लाभार्थियों को किसी और प्लॉट पर मकान बनाने के लिए पैसा दिया गया था, लेकिन उन्होंने सरकारी जमीन पर बना लिया, जिसकी कीमत दो करोड़ रुपये है. हमने सिर्फ सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया है.’

कलेक्टर से पूछा गया कि रामनवमी की घटना के बाद की कार्रवाई में मकान को क्यों गिराया गया, जबकि मालिक को एक अलग प्रक्रिया के तहत पहले नोटिस मिला था. इस पर कलेक्टर ने कहा, ‘खसखसबाड़ी दंगे के मुख्य क्षेत्रों में से एक है, बाकी आरोप-पत्र पर सब निर्भर करता है.’

हालांकि, अमजद का कहना है कि उन्होंने उसी प्लॉट पर मकान बनाने का आवेदन दिया था, जिस पर कि मकान बना था और इसी प्लॉट पर मकान बनाने की अनुमति हमें मिली थी. अगर हमारे पास किसी और प्लॉट पर रहने का विकल्प होता तो हम किसी अतिक्रमण की हुई जमीन पर अपनी जमापूंजी क्यों खर्च करते?’

बता दें कि रविवार को खरगोन में रामनवमी पर निकले जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसके बाद सरकार और जिला प्रशासन ने आरोपियों के मकान गिराए जाने की कवायद शुरू की थी.