झारखंड रोपवे हादसा: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 25 अप्रैल तक रिपोर्ट जमा करने को कहा

झारखंड के देवघर ज़िले में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकूट पहाड़ियों पर बीते 10 अप्रैल को 12 रोपवे ट्रॉली आपस में टकरा गई थी. हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें दो महिलाएं एवं एक पुरुष शामिल हैं. इनमें से दो लोगों की मौत उन्हें बचाने के दौरान हुई थी.

देवघर में रोपवे हादसा के बाद बचाव अभियान. (फोटो: पीटीआई)

झारखंड के देवघर ज़िले में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकूट पहाड़ियों पर बीते 10 अप्रैल को 12 रोपवे ट्रॉली आपस में टकरा गई थी. हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें दो महिलाएं एवं एक पुरुष शामिल हैं. इनमें से दो लोगों की मौत उन्हें बचाने के दौरान हुई थी.

देवघर में रोपवे हादसा के बाद बचाव अभियान. (फोटो: पीटीआई)

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने देवघर के त्रिकुट पर्वत रोपवे हादसे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से 25 अप्रैल तक रिपोर्ट देने को कहा है.

अदालत ने दुर्घटना के कारणों, बचाव अभियान का विवरण और अधिकारियों द्वारा की गई जांच के बारे में एक हलफनामा मांगा है.

मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने महाधिवक्ता राजीव रंजन को 25 अप्रैल तक अदालत के समक्ष दुर्घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

देवघर जिले में 46 घंटे से अधिक समय तक रोपवे पर केबल कारों में फंसे यात्रियों को बचाने का प्रयास बीते 12 अप्रैल को दोपहर एक त्रासदी के साथ समाप्त हो गया, जब एक 60 वर्षीय महिला की नीचे गिरने से तब मौत हो गई, जब उन्हें एक हेलीकॉप्टर से उतारा जा रहा था.

इस हादसे में कुल तीन लोगों की मौत हुई, जिसमें दो महिलाएं एवं एक पुरुष शामिल हैं. इनमें से दो लोगों की मौत उन्हें बचाने के दौरान हुई थी.

मालूम हो कि देवघर जिले के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर त्रिकूट पहाड़ियों पर 10 अप्रैल की शाम चार बजे केबल कारों के आपस में टकराने के कारण रोपवे में खराबी आ गई थी. इसके बाद फंसे 60 पर्यटकों को सोमवार से भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षित निकाल लिया गया था.

इसके अलावा मंगलवार (12 अप्रैल) दोपहर तक करीब 40 घंटे तक फंसे 15 पर्यटकों में से 10 को भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने बचाया लिया था.

भारतीय वायुसेना, सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से बचाव अभियान चलाया गया था.

पीठ ने महाधिवक्ता से मीडिया रिपोर्टों के बारे में भी पूछा जिसमें दावा किया गया था कि कुछ तकनीकी संस्थानों ने पहले रोपवे के संचालन के मुद्दे उठाए थे.

क्षेत्र में प्रसिद्ध त्रिकुटाचल महादेव मंदिर और ऋषि दयानंद के आश्रम हैं. यहां त्रिकूट पहाड़ियों की कई चोटियां हैं, जिनमें सबसे ऊंची चोटी समुद्र तल से 2,470 फुट और जमीन से लगभग 1500 फुट की ऊंचाई पर है. झारखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, त्रिकूट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा रोपवे है. यह लगभग 766 मीटर लंबा है.

देवघर रोपवे पिछले महीने सुरक्षा ऑडिट में पास हो गया था: विशेषज्ञ

झारखंड में देवघर रोपवे का ऑडिट करने वाले विशेषज्ञों ने कहा है कि जब पिछले महीने ऑडिट किया गया था, तब यह रोपवे ‘अच्छा’ था. अभी हाल में रोपवे में गड़बड़ी से बड़ा हादसा हो गया.

रोपवे हादसे के लिए दो अलग-अलग जांच की जा रही हैं. इस हादसे में तीन लोगों की जान गई, जिनमें से दो व्यक्तियों की मौत बचाव प्रयास के दौरान हुई. एक जांच संचालक दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड (डीआरआईएल) और दूसरी जांच झारखंड सरकार द्वारा की जा रही है.

धनबाद के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूएल रिसर्च के मुख्य वैज्ञानिक एवं परियोजना समन्वयक (वायर रोप एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) डी. बसाक ने कहा, ‘यह रोपवे बिल्कुल ठीक था… हमने उस पर परीक्षण किया था.’

केंद्र सरकार के इस प्रतिष्ठित संस्थान ने 17 मार्च एवं 22 मार्च को ऑडिट किया था.

कुछ वर्गों द्वारा पहले ऐसे आरोप लगाए गए कि रोपवे का सुरक्षा ऑडिट नहीं किया गया था.

डीआरआईएल अधिकारियों ने कहा कि वे अपने एवं बाहर के विशेषज्ञों की मदद से अंदरूनी जांच करवा रहे हैं और हादसे की वजह का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)