22 मार्च के बाद 6 अप्रैल तक पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उनका प्रयास पेट्रोल और डीज़ल के दामों को नियंत्रण में रखने का है. इसी वजह से केंद्र ने इन पर उत्पाद शुल्क घटाया था और राज्यों से भी ऐसा करने को कहा था.
महासमुंद: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्र सरकार राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाने की अपील कर रही है.
देश में ईंधन की ऊंची कीमतों को लेकर केंद्र को चौतरफा आलोचनाओं को झेलना पड़ रहा है.
पुरी एक दिन की यात्रा पर छत्तीसगढ़ के महासमुंद आए थे. इसे केंद्रीय योजना के तहत ‘आकांक्षी जिलों’ में रखा गया है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा रहे ‘सामाजिक न्याय पखवाड़ा’ के तहत विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए यहां आए थे.
पुरी ने कहा, ‘हमारा प्रयास पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रण में रखने का है. इसी वजह से केंद्र ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था. केंद्र ने राज्यों से भी ऐसा करने को कहा था.’
पुरी ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ में पेट्रोल और डीजल पर वैट 24 प्रतिशत है. यदि इसे घटाकर 10 प्रतिशत किया जाता है, तो कीमतें स्वत: नीचे आ जाएंगी. जब खपत बढ़ रही हो, तो 10 प्रतिशत वैट भी काफी ज्यादा है.’
उन्होंने कहा, ‘न मैं वित्त मंत्री हूं और न ही अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नियंत्रित करता हूं. अभी हमारी कोशिश है कि केंद्र सरकार की जो जिम्मेदारी है उसे वह निभाएगी और राज्यों की सरकारों से अपील की जा रही.’
पुरी ने इस बात का उल्लेख किया कि भाजपा शासित सभी राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाया है.
उल्लेखनीय है कि 22 मार्च के बाद 6 अप्रैल तक 16 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के विरोध में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री के काफिले को काले झंडे दिखाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया.
उधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुरी के दौरे को राजनीतिक करार दिया और बस्तर क्षेत्र के नक्सल प्रभावित जिलों को दिए जाने वाले विशेष कोष को रोकने के लिए केंद्र की आलोचना की. बघेल ने कहा कि वह राज्य में राजनीति करने और अपनी जमीन तलाशने आए हैं.
बघेल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री यहां के आकांक्षी जिलों का भ्रमण करने निकले हैं. भारत सरकार इन आकांक्षी जिलों को अतिरिक्त पैसा नहीं देती है. बस्तर क्षेत्र के सात जिले नक्सल प्रभावित हैं और आकांक्षी जिले हैं. उन्हें वर्ष 2021 तक प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये मिलता था, उसे बंद कर दिया गया है.
मुख्यमंत्री ने रायपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘बुधवार को मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस विशेष सहायता को फिर से शुरू करने के लिए कहा है. यह अच्छा है कि वह (केंद्रीय मंत्री) आए लेकिन मुझे लगता है कि वह राजनीति करने आए हैं.’
केंद्र सरकार ने जनवरी 2018 में ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स की पहल शुरू की थी. नीति आयोग द्वारा कुल 117 आकांक्षी जिलों की पहचान की गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)