गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच की निगरानी का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की.
मुंबई: वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में हत्या का जिक्र करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि सभी विपक्षी और उदारवादी मूल्यों का सफाया एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इससे देश की छवि खराब हो रही है.
न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. याचिका में अनुरोध किया गया है कि अदालत तर्कवादियों गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच की निगरानी करे.
अदालत ने कहा, उदारवादी मूल्यों और विचारों के लिए कोई सम्मान नहीं है. लोग अपने उदारवादी सिद्धांतों के कारण लगातार निशाना बनाए जा रहे हैं. सिर्फ विचारक ही नहीं, बल्कि कोई व्यक्ति या संगठन जो उदारवादी सिद्धांतों में विश्वास करता है, निशाना बन सकता है. यह ऐसा है जैसे अगर मेरा कोई विरोध है तो मैं उस व्यक्ति का सफाया करा दूं.
पीठ ने कहा, सभी विपक्ष की हत्या का चलन खतरनाक है. इससे देश की छवि खराब हो रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई और महाराष्ट्र अपराध अनुसंधान शाखा ने दाभोलकर और पानसरे हत्या मामलों में क्रमश: अपनी जांच रिपोर्टें दाखिल कीं. पीठ ने कहा कि अधिकारियों द्वारा अब तक की प्रगति कोई ठोस नतीजे तक पहुंचने में नाकाम रही हैं.
पीठ ने कहा, जबकि आपके जांच एजेंसियों के प्रयास वास्तविक हैं, लेकिन तथ्य यही हैं कि प्रधान आरोपी अब भी फरार हैं और मामले में हर स्थगन के बीच एक और कीमती जान जा रही है.
अदालत ने कहा कि पिछले महीने एक और कीमती जान चली गई, जब एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, बेंगलुरु में एक उदारवादी, समान सोच वाली एक महिला की हत्या हो गई. पीठ ने कहा कि जांच एजेंसियों को अपनी जांच की लाइन बदलनी चाहिए और हत्यारों को पकड़ने के लिए तकनीक का उपयोग करना चाहिए.