विशेष अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के निर्देश को बरक़रार रखते हुए कहा कि जिस तरह आकार पटेल के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया, वह संबंधित क़ानून की समझ की कमी को दर्शाता है. इससे पहले सात अप्रैल मजिस्ट्रेट अदालत ने सीबीआई को तुरंत सर्कुलर वापस लेने का निर्देश दिया था.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल के खिलाफ ‘लुकआउट सर्कुलर’ (एलओसी) वापस लेने को कहा गया था.
हालांकि, विशेष न्यायाधीश संतोष स्नेही मान ने उस निर्देश को खारिज कर दिया, जिसमें पटेल के खिलाफ एजेंसी की कार्रवाई के लिए सीबीआई निदेशक को उनसे (पटेल) लिखित माफी मांगने के लिए कहा गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अदालत ने कहा कि ‘जिस तरह से एलओसी जारी किया गया… वह संबंधित कानून की समझ की कमी को दर्शाता है.’ अदालत ने सुझाव दिया कि सीबीआई और उसके अधिकारियों को ‘ओरिएंटेशन की जरूरत है… न केवल संवेदनशील होने के लिए बल्कि उनके काम में निष्पक्षता लाने के लिए भी.’
रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट के आदेश में कहा गया, ‘मौजूदा मामले में गलत तरीके से जारी एलओसी के कारण पटेल को हवाई अड्डे पर रोक दिया गया और वह निर्धारित उड़ान नहीं ले सके। इसलिए मुआवजे के लिए दावा दायर करने के आरोपी के अधिकार के बारे में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की टिप्पणी संदर्भ से बाहर नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सात अप्रैल को जांच एजेंसी को तुरंत एलओसी वापस लेने और पटेल से माफी मांगने और 30 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
अदालत ने कहा था कि एजेंसी की ओर से सीबीआई निदेशक पटेल से ‘लिखित में माफी’ मांगकर अपने अधीनस्थ की चूक को स्वीकार करें. अदालत ने कहा था कि इससे प्रमुख संस्थान में जनता के विश्वास को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
इसके बाद 8 अप्रैल को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर को वापस लेने के लिए एजेंसी को मिले अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी.
मालूम हो कि पटेल ने आरोप लगाया था कि उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे पर अमेरिका जाने से रोक दिया गया. पटेल ने दावा किया था कि आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें बताया कि सीबीआई ने उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है.
इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख किया था. उन्होंने दावा किया था कि गुजरात की एक अदालत द्वारा उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति देने के आदेश के बावजूद कार्रवाई की गई थी.
आकार पटेल नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और उन्होंने हाल ही मोदी के शासन का विश्लेषण करते हुए उनकी एक किताब भी प्रकाशित हुई है. पूर्व में वह और एमनेस्टी इंडिया कई बार सरकारी मशीनरी पर निशाना साधते रहे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एमनेस्टी इंटरनेशनल इडिया पर एफसीआरए और आईपीसी का उल्लंघन करने के आरोप के बाद सीबीआई ने 2019 में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और इससे जुड़े तीन संगठनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने मामले में अलग से जांच शुरू की थी.
देश छोड़कर जाने से रोकते समय आकार पटेल को बताया गया था कि उनके खिलाफ 2019 में एमनेस्टी इंडिया के खिलाफ एक मामले के संबंध में एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था, जब वह संगठन के प्रमुख हुआ करते थे.
बीते सप्ताह केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ एफसीआरए के कथित उल्लंघन के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है.
अधिकारियों ने बताया कि एफसीआए नियमों के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.
2020 में ईडी द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया के बैंक एकाउंट फ्रीज करने के कुछ दिनों बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने देश में अपना कामकाज बंद कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)