नीति आयोग ने अंतरराज्यीय अपराध और आतंकवाद से निपटने के लिए राज्य की क़ानून व्यवस्था में केंद्र की भूमिका बढ़ाने का सुझाव दिया है.
नई दल्ली: नीति आयोग के एक दस्तावेज में एकीकृत मसौदे के तहत बढ़ते अंतरराज्यीय अपराध और आतंकवाद से निपटने के लिए संगठित अपराध कानून बनाने का सुझाव दिया गया है. इसमें सीबीआई के साथ-साथ कानून व्यवस्था को सांविधिक सूची में डालने की बात कही गई है.
‘भारत में स्मार्ट पुलिस तैयार करना: पुलिस बल में जरूरी सुधार को लेकर पृष्ठभूमि’ शीर्षक से जारी दस्तावेज में पुलिस और कानून व्यवस्था को राज्य सूची से हटाकर संविधान की समवर्ती सूची में शामिल करने की वकालत की गई है.
दस्तावेज में बीट कांस्टेबल व्यवस्था के पुनरुद्धार और उसे मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है. दस्तावेज में में कहा गया है, …इसमें संगठित अपराध कानून बनाना, देश के लिए एकल पुलिस कानून, पुलिस को सांविधिक सूची में डालना, संघीय अपराध की घोषणा, अपराधों के पंजीकरण के संदर्भ में उपाय, सीबीआई को सांविधिक समर्थन, बड़े क्षेत्रों के लिए आयुक्त कार्यालय प्रणाली, बीट कांस्टेबल प्रणाली का पुनरुद्धार और उसे मजबूती प्रदान करने और आपराधिक प्रक्रिया तथा साक्ष्य प्रणाली में कुछ बदलाव शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि कानून व्यवस्था को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल करने से केंद्र सरकार कानून व्यवस्था के उल्लंघन को शुरू में काबू करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकती है.
इसे समवर्ती सूची में शामिल करने के प्रस्ताव के पीछे एक और कारण अंतर-राज्यीय अपराध में तेजी से वृद्धि होना है. इसमें कहा गया है, मौजूदा प्रारूप में इनसे निपटना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि सभी राज्यों में कानूनी और प्रशासनिक रूपरेखा अलग-अलग है.
दस्तावेज के अनुसार साथ ही इंटरनेट, संचार और मोबाइल प्रौद्योगिकी में वृद्धि को देखते हुए संगठित अपराध और आतंकवाद से देश भर में पुलिस बल के लिये एकीकृत कानूनी, प्रशासनिक और परिचालनात्मक मसौदे से निपटा जा सकता है.
इसमें कहा गया है, इसे कानून व्यवस्था के नियमन को लेकर केंद्र सरकार को सशक्त बनाकर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
संविधान में केंद्र और राज्य संबंध को लेकर तीन तरह की सूचियां हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची.
संघ सूची में केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र बताया गया है. इसमें दिए गए विषयों पर केंद्र सरकार कानून बनाती है. राज्य सूची में उल्लिखित विषयों पर राज्य सरकार कानून बनाती है. हालांकि, राष्ट्रीय हित का कोई मसला हो तो राज्य के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप करते हुए केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है. जबकि समवर्ती सूची के तहत दिए गए विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं.
हालांकि, समवर्ती सूची के तहत उल्लिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अगर राज्य एवं केंद्र दोनों कानून बनाते हैं तो केंद्र सरकार का कानून ही मान्य होता है. राज्य ने किसी विषय पर अगर कानून बना दिया है और इसके बाद केंद्र सरकार भी उसी विषय पर कानून बना दे तो राज्य द्वारा बनाया हुआ कानून केंद्र सरकार के कानून के अमल में आते ही स्वत: समाप्त हो जाता है. शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषय इसी सूची में हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)