नफ़रत, कट्टरता, असहिष्णुता और झूठ हमारे देश को निगलते जा रहे हैं: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेज़ी अख़बार के लिए लिखे अपने लेख में कहा है कि भारतीयों को भारतीयों के ख़िलाफ़ ही खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है. राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है और उनके ख़िलाफ़ पूरी सरकारी मशीनरी की ताकत झोंक दी जाती है.

सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेज़ी अख़बार के लिए लिखे अपने लेख में कहा है कि भारतीयों को भारतीयों के ख़िलाफ़ ही खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है. राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है और उनके ख़िलाफ़ पूरी सरकारी मशीनरी की ताकत झोंक दी जाती है.

सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता देश की नींव को हिला रहे हैं, अगर यह नहीं रोका गया तो इससे समाज को ऐसी क्षति पहुंचेगी, जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा.

उन्होंने यह सवाल भी किया कि ऐसा क्या है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नफरत भरे बोलों (हेट स्पीच) के खिलाफ खड़े होने से रोकता है?

उन्होंने एक अंग्रेजी दैनिक अखबार में लिखे लेख में लोगों से इसे और आगे नहीं बढ़ाने का आह्वान किया.

उन्होंने लोगों से नफरत की इस प्रचंड सुनामी को रोकने का आग्रह किया जो उन सभी चीजों को नष्ट कर देगी जिन्हें पिछली पीढ़ियों ने बड़ी मेहनत से बनाया है.

उन्होंने लेख में कहा, ‘आज नफरत, कट्टरता, असहिष्णुता और झूठ हमारे देश को निगलते जा रहे हैं. अगर हम इसे अभी नहीं रोकते हैं तो यह हमारे समाज को ऐसी क्षति पहुंचाएगा, जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा. हम इसे जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते. हम सिर्फ खड़े होकर फर्जी राष्ट्रवाद के नाम पर शांति और बहुलवाद की बलि होते नहीं देख सकते.’

सोनिया गांधी ने इस लेख में कहा, ‘आइए इस प्रचंड आग पर काबू पाएं. इससे पहले कि नफरत की यह सुनामी वह सब तबाह कर दे, जिसे हमारी पूर्व की पीढ़ियों ने बड़ी मेहनत से तैयार किया है, उससे पहले ही इस सुनामी को रोक दें.’

उन्होंने नोबल पुरस्कार विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर की कृति ‘गीतांजलि’ का उल्लेख किया.

उन्होंने कहा, ‘एक सदी से भी पहले भारतीय राष्ट्रवाद के कवि ने दुनिया को अपनी अमर गीतांजलि दी थी, जिसका शायद 35वां छंद सबसे अधिक प्रसिद्ध और सबसे अधिक उद्धृत किया गया है. गुरुदेव टैगोर की प्रार्थना, इसकी मूल पंक्तियों के साथ शुरू होती है, ‘जहां मन निर्भय हो’ आज यह अधिक प्रासंगिक लगता है और इसकी प्रतिध्वनि बढ़ गई है.’

सोनिया गांधी ने इस लेख ‘अ वायरस रेजेज’ (A Virus Rages) में पूछा, ‘क्या भारत को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में होना चाहिए?’

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार स्पष्ट रूप से चाहती है कि देश के नागरिक यह विश्वास करें कि इस तरह का माहौल उनके सर्वोत्तम हित में है.

उन्होंने कहा, ‘फिर चाहे वह पहनावा, खानपान, आस्था, त्योहार या भाषा हो, भारतीयों को भारतीयों के खिलाफ ही खड़ा करने की कोशिश की जा रही है और वैमनस्य की ताकतें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इन्हें बढ़ावा दे रही हैं. पूर्वाग्रह, दुश्मनी और प्रतिशोध को बढ़ावा देने के लिए इतिहास (प्राचीन और समकालीन दोनों) की लगातार व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है.’

उनका यह लेख हिजाब विवाद, रामनवमी के दौरान हिंसा और रामनवमी पर हॉस्टल की मेस में मांसाहारी भोजन परोसे जाने को लेकर जेएनयू में हुई झड़प के बीच आया है.

सोनिया गांधी ने कहा कि यह विडंबना है कि देश का उज्ज्वल, बेहतर भविष्य बनाने और रचनात्मक कार्यों में युवा प्रतिभा का इस्तेमाल करने के लिए संसाधनों का उपयोग करने के बजाय काल्पनिक अतीत के संदर्भ में वर्तमान को नया रूप देने के लिए समय और संपत्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि भारत की विविधता को लेकर प्रधानमंत्री बहुत चर्चा करते हैं लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि इस सत्तारूढ़ व्यवस्था में जिन विविधताओं ने सदियों से हमारे समाज को परिभाषित और समृद्ध किया है, उसमें बदलाव कर हमें बांटने की कोशिशें हो रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘नफरत का बढ़ता शोर, आक्रामकता की छिपी हुई उत्तेजना और अल्पसंख्यकों के खिलाफ किए गए अपराध हमारे समाज के मिलनसार, समन्वित परंपराओं से कोसों दूर हैं. सामाजिक उदारवाद का बिगड़ता माहौल और कट्टरता, नफरत और विभाजन का प्रसार आर्थिक विकास की नींव को हिला देता है.’

इस लेख में उन्होंने दावा किया कि कार्यकर्ताओं को धमकाया जाता है और चुप कराया जाता है. सोशल मीडिया का, विशेष रूप से प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमें केवल झूठ और नफरत होती है.

सोनिया गांधी ने कहा, ‘डर, धोखा और धमकी; ‘तथाकथित अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की रणनीति के स्तंभ बन गए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘भारत को स्थायी उन्माद की स्थिति में रखने के लिए इस विभाजनकारी योजना का हिस्सा और भी घातक है. सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है. राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है. और उनके खिलाफ पूरी सरकारी मशीनरी की ताकत झोंक दी जाती है.’

कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि ऐसा क्या है, जो प्रधानमंत्री को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से ‘हेट स्पीच’ के खिलाफ खड़े होने से रोकता है, चाहे यह ‘हेट स्पीच’ कहीं से भी आए?

उन्होंने कहा, ‘यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कर्नाटक में जो किया जा रहा है, कॉरपोरेट जगत से जुड़े कुछ साहसी लोग उसके खिलाफ बोल रहे हैं. जैसा कि उम्मीद थी, इन साहसी आवाजों के खिलाफ सोशल मीडिया में हमले शुरू हो गए हैं.’

सोनिया गांधी ने कहा, ‘संविधान सभा द्वारा 1949 में संविधान को अंगीकृत किए जाने के उपलक्ष्य में मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की है. यह हर संस्था को व्यवस्थित रूप से शक्तिहीन करते हुए संविधान का पालन करने जैसा है. यह सरासर पाखंड है.’

सोनिया गांधी के इस लेख का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर शेयर करते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘हर भारतीय भाजपा-आरएसएस द्वारा भड़काई गई नफरत की कीमत चुका रहा है. भारत की असल संस्कृति साझा उत्सव, समुदाय और एकजुट रहने की है. आइए, इसे संरक्षित करने का संकल्प लें.’

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सोनिया गांधी के इस लेख को शेयर करते हुए ट्वीट कर कहा, ‘देश में नफरत और दुश्मनी का भाव व्याप्त हो चुका है, जिसे लगातार सत्तारूढ़ दल भाजपा द्वारा खाद-पानी दिया जा रहा है.’

इस बीच विपक्ष के 13 नेताओं ने सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटनाओं को लेकर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया है.

एक संयुक्त बयान में इन नेताओं ने कहा है कि हम प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर स्तब्ध हैं, जो कि ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ भी बोलने में नाकाम रहे, जो अपने शब्दों और कृत्यों से कट्टरता फैलाने और समाज को भड़काने का काम कर रहे हैं. यह चुप्पी इस बात का तथ्यात्मक प्रमाण है कि इस तरह की निजी सशस्त्र भीड़ को आधिकारिक संरक्षण प्राप्त है.

मालूम हो कि बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर​ हिंदुत्ववादी संगठन की ओर से निकले गए जुलूसों के दौरान गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की ख़बर आई थीं.

इसके अलावा बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर निकाले गए ऐसे ही एक जुलूस के दौरान राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हिंसा भड़क गई थी. इस संबंध में अब तक 14 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

(सोनिया गांधी के इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)