नौकरी के लिए चुने गए 38 में से 13 उम्मीदवार मुस्लिम, सुदर्शन न्यूज़ ने छेड़ा ‘नौकरी जिहाद’ का राग

सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चव्हाणके ने यह नया विवाद तब खड़ा किया, जब हफ्ते भर पहले सोशल मीडिया पर 10 उम्मीदवारों की एक सूची वायरल हुई. सूची में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के नाम थे, जिन्हें पवन हंस लिमिटेड कंपनी के प्रशिक्षु कार्यक्रम के लिए चुना गया था. ये सभी मुस्लिम हैं. चैनल का आरोप है कि सरकारी उपक्रमों द्वारा हिंदुओं को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.

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सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चव्हाणके ने यह नया विवाद तब खड़ा किया, जब हफ्ते भर पहले सोशल मीडिया पर 10 उम्मीदवारों की एक सूची वायरल हुई. सूची में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के नाम थे, जिन्हें पवन हंस लिमिटेड कंपनी के प्रशिक्षु कार्यक्रम के लिए चुना गया था. ये सभी मुस्लिम हैं. चैनल का आरोप है कि सरकारी उपक्रमों द्वारा हिंदुओं को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.

(क्लॉकवाइज़) पवनहंस के दफ्तर में सुदर्शन न्यूज़ की रिपोर्टर, पवन हंस के कार्यालय के गेट पर चढ़ते दक्षिणपंथी, प्रदर्शन के दौरान रागिनी तिवारी,  सुरेश चव्हाणके.

नई दिल्लीः दक्षिणपंथी चैनल सुदर्शन न्यूज के एडिटर सुरेश चव्हाणके ने 15 अप्रैल 2022 को एक बार फिर मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए उन्हें आपराधिक साजिश में लिप्त बताया और इसे ‘नौकरी जिहाद’ का नाम दिया.

चव्हाणके ने यह नया विवाद उस समय खड़ा किया, जब एक हफ्ते पहले सोशल मीडिया पर 10 उम्मीदवारों की एक सूची वायरल हुए थी. इस सूची में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र थे, जिन्हें पवन हंस लिमिटेड कंपनी के प्रशिक्षु कार्यक्रम के लिए चुना गया था और ये सभी उम्मीदवार मुस्लिम है.

आरोप यह लगाया गया कि सरकारी उपक्रमों द्वारा हिंदुओं को नौकरियों से वंचित रखा जा रहा है.

चव्हाणके ने कहा कि ‘मुस्लिमों को पवन हंस में 100 फीसदी अघोषित आरक्षण का लाभ मिल रहा है.

‘नौकरी जिहाद’ दक्षिणपंथी धड़ों द्वारा कथित तौर पर गढ़ी गई अन्य शब्दावलियों की तरह ही एक मनगढ़ंत शब्दावली है, जिसमें हिंदुओं की आजीविका के साथ साजिश रचकर मुस्लिमों को नौकरियों में प्राथमिकता देने का दावा किया जाता है.

दिल्ली दंगों के दौरान मौजपुर में हिंदुत्व की भीड़ का नेतृत्व करने वाली और पथराव करते वीडियो में कैद हुई रागिनी तिवारी की अगुवाई में बीते दिनों दिल्ली में पवन हंस के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया.

सुरेश चव्हाणके ने सुदर्शन चैनल पर अपने ‘नौकरी जिहाद’ शो के टीजर में पूछा, ‘क्या कोई सरकारी कंपनी सिर्फ मुस्लिमों को रोजगार दे सकती है? क्या पवन हंस में मुस्लिमों के लिए 100 फीसदी आरक्षण है?’

टीजर में इसके बाद के दृश्यों में तिवारी और अन्य को पवन हंस के कार्यालय के गेट पर चढ़ते देखा जा सकता है. इन्हें चव्हाणके ‘शेरनियां’ और ‘बाघिन’ कहकर संबोधित कर रहे हैं.

तिवारी और अन्य को गेट पर मुस्लिमों और जामिया के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते देखा जा सकता है. तिवारी को कहते सुना जा सकता है, ‘पैसा श्रीराम का और फायदा चुस्लाम का.’

उनके लाइव वीडियो में एक अन्य शख्स कहता है, ‘मोदी और योगी का विरोध करने वाले जामिया के आतंकियों को रोजगार क्यों दें? हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मुस्लिमों को बाहर निकाला जाए और हिंदुओं को रोजगार मिले?’

द वायर  ने सुदर्शन और हिंदुत्व प्रदर्शनकारियों के दावों की जांच की और इन्हें झूठा पाया.

द वायर  को प्राप्त आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, जामिया मिलिया ने पवन हंस के साथ मिलकर साझेदारी में एयरोनॉटिक्स कोर्स में बैचलर ऑफ साइंस की शुरुआत की थी. इस पाठ्यक्रम में दो बैच (एवियोनिक्स और मैकेनिकल) में कुल 60 छात्र हैं, जिन्हें दोनों पाठ्यक्रमों में तीस-तीस बांटा गया है.

यह एक स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम है, जिसकी सालाना फीस 1.3 लाख रुपये है, जिसमें से सिर्फ 30 फीसदी यूनिवर्सिटी और बाकी की पवन हंस को जाती है.

एक उम्मीदवार ने द वायर  को बताया कि चयन का मानदंड छह सेमेस्टर में किसी उम्मीदवार के कुल अंकों का योग और उम्मीदवार द्वारा पास किए गए डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) मॉड्यूल की संख्या पर आधारित है. इस साल साक्षात्कार के लिए कुल 30 छात्रों का चुनाव किया गया.

द वायर  को पता चला है कि इन 30 छात्रों में से चार (दो मुस्लिम और दो हिंदू) छात्र निजी कारणों से पीछे हट गए. बाकी बचे 26 उम्मीदवारों में से 10 उम्मीदवारों (हर बैच से पांच) का चयन किया गया. बाद में साक्षात्कार पास कर चुके एक मुस्लिम छात्र भी निजी कारणों से शामिल नहीं हुए.

द वायर  ने एवियोनिक्स ब्रांच के दो हिंदू उम्मीदवारों से संपर्क कर इस विवाद पर उनका रुख जानना चाहा.

इनमें से एक उम्मीदवार शुभ सोलंकी ने बताया, ‘मेरे दोस्त दीपित गोयल और मैं हमारे बैच के टॉपर्स में से एक हैं. हम निजी कारणों से इससे बाहर निकल गए. मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं. चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी थी और मेरिट पर आधारित थी. अल्पसंख्यक संस्थान होने की वजह से स्वाभाविक रूप से यहां मुस्लिम छात्रों की संख्या अधिक है. जामिया में हिंदू छात्र के रूप में मैंने किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया, मेरे सभी दोस्त मुस्लिम है.’

अस्पष्ट चयन प्रक्रिया

द वायर  ने एक अन्य उम्मीदवार अंश अग्रवाल से संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि उन्हें चयन के तरीके से दिक्कत थी लेकिन यह सांप्रदायिकता से कोसों दूर है. अंश ने कहा, ‘छात्र के रूप में मेरी समस्या चयन के मानदंडों से है. मैं विभिन्न चयन मापदंडों को दिए गए वेटेज को जानना चाहता हूं और क्या छात्रों का चुनाव अलग-अलग ब्रांच से किया गया.’

अंश ने कहा, ‘आमतौर पर अंकों की तुलना में मॉड्यूल को अधिक वरीयता दी जाती है लेकिन कोरोना की वजह से हमने जोर दिया कि सीजीपीए को भी वेटेज दिया जाए. महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण हैं लेकिन हमें नहीं पता कि क्या आरक्षण के लिए दोनों ब्रांच (एवियोनिक्स और मैकेनिकल) को एक साथ जोड़ा गया या नहीं. इस तरह यह चुनाव प्रक्रिया अस्पष्ट है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसकी वजह से मुस्लिम और हिंदू दोनों छात्र- जिन्होंने मॉडयूल या सीजीपीए में अच्छा किया, उन्हें इससे नुकसान उठाना पड़ा है. इसे सांप्रदायिक कहने का कोई आधार नहीं है और मैं इसे न्यूज चैनलों की तरह सनसनीखेज बनाने की कोशिश नहीं कर रहा. मैं बस यह जानना चाहता हूं कि जिन छात्रों का चयन नहीं किया गया, उनके साथ गलत क्या हुआ.’

एक अन्य छात्र ने द वायर  को बताया कि क्योंकि यह एक प्रैक्टिकल पाठ्यक्रम था इसलिए अधिक जोर छात्रों द्वारा पास किए गए मॉड्यूल पर था. एक अन्य छात्र ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि अब तक कुल 38 उम्मीदवारों का पवन हंस द्वारा चयन किया गया जिनमें से सिर्फ 13 मुस्लिम हैं.

द वायर  ने चुने गए सभी उम्मीदवारों की सूची तैयार की और इसकी पुष्टि की.

एक उम्मीदवार ने कहा, ‘यह चयन अनुचित कैसे हो सकता है, जब पूरे पैनल में गैर मुस्लिम लोग ही थे और मानदंड योग्यता पर आधारित था. इस विवाद से यूनिवर्सिटी के अन्य उम्मीदवारों (मुस्लिम और हिंदू दोनों) के रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा.’

द वायर को मिली जानकारी के अनुसार, पवन हंस ने मुंबई यूनिवर्सिटी के साथ भी ऐसी ही पार्टनरशिप की है. इस साल वहां से कुल 15 उम्मीदवारों का चयन किया गया और इनमें से सिर्फ तीन मुस्लिम थे.

बता दें कि 16 अप्रैल 2022 को चव्हाणके ने ‘नौकरी जिहाद’ नाम से एक शो की मेजबानी की थी. इस कार्यक्रम का टीजर 15 अप्रैल को रिलीज हुआ था, जिसमें उन्होंने बिना किसी सबूत के जामिया पर बेसिर-पैर के आरोप लगाए थे.

एक पैनलिस्ट ने ‘चिंता’ जताई कि एविएशन में मुस्लिमों का प्रवेश भारत के लिए ‘खतरनाक’ है.

उन्होंने कहा, ‘जामिया कोई संस्थान नहीं बल्कि संगठन है. यह गलत कारणों से चर्चा में रहता है…  हमें अभी तक नहीं पता कि हमारे सीडीएस जनरल बिपिन रावत को क्या हुआ. जांच जारी है.’ स्पष्ट दिख रहा था कि उनका इशारा इसके लिए मुस्लिमों को निशाना बनाना था.

बता दें कि जनरल बिपिन रावत की दिसंबर 2021 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी. सरकारी जांच में पता चला था कि मौसम में अचानक आए बदलाव से पायलट के भटकने से यह हादसा हुआ था.

मुस्लिमों की आजीविका पर हमला

यह पहली बार नहीं है कि सुरेश चव्हाणके या रागिनी तिवारी ने रोजगार के अवसरों को लेकर इस तरह का विवाद खड़ा किया है.

In March 2020, Chavhanke led a protest at India Gate calling for the “economic boycott of rioters” in which, along with Tiwari and Vinod Sharma, a key accused in the Jantar Mantar hate speech case, he described Muslims as “untrustworthy” and called upon Hindus to boycott businesses dominated by Muslims.

“If you want to stop them from slitting your throat, then you have to stop donating your money to their ‘green chadar’ now,” Chavhanke said on his channel, when he had organised the protests in the first week of March.

In June 2021The Wire covered violence and boycott campaigns against fruit vendors in West Delhi.

मार्च 2020 में चव्हाणके की अगुवाई में इंडिया गेट पर एक प्रदर्शन किया गया था, जिसमें ‘दंगाइयों के आर्थिक बहिष्कार’ का आह्वान किया गया था.

इस दौरान तिवारी और जंतर मंतर हेट स्पीच मामले के मुख्य आरोपी विनोद शर्मा ने मुस्लिमों को भरोसे के लायक नहीं बताया था और हिंदुओं से मुस्लिमों के वर्चस्व वाले कारोबारों का बहिष्कार करने को कहा था.

चव्हाणके ने मार्च के पहले हफ्ते में विरोध-प्रदर्शन आयोजित करते समय अपने चैनल पर कहा था, ‘अगर आप उन्हें अपने गले काटने से रोकने चाहते हैं तो आपको उनकी हरी चादर पर पैसे देना बंद करना होगा.’

इसी तरह जून 2021 में द वायर  ने पश्चिम दिल्ली में फल विक्रेताओं के खिलाफ हिंसा और उनके बहिष्कार के अभियानों के बारे में बताया था.

मुस्लिमों के खिलाफ अक्सर नफरत फैलाने के आरोपी सुदर्शन न्यूज चैनल ने उत्तम नगर  विरोध के मामले को बहुत ही भड़काऊ तरीके से रिपोर्ट किया था.

इस पूरे शो के दौरान सुदर्शन के रिपोर्टर सागर कुमार और एंकर शुभम त्रिपाठी मुस्लिमों को ‘जिहादी’ कहते रहे और उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते रहे.

शुभम ने शो में कहा, ‘पहली बार हिंदू उत्तम नगर में जेहादियों के खिलाफ लाठी लेकर इतने आक्रामक तरीके से आगे आए हैं.’

इस दौरान सागर कुमार ने कहा, ‘आज उत्तम नगर में हनुमान चालीसा का पाठ होगा और जिहादियों के बहिष्कार का आह्वान किया जाएगा. सुदर्शन न्यूज लंबे समय से जिहादियों के बहिष्कार की वकालत कर रहा है.’

सुदर्शन न्यूज के एक स्तंभकार अभय प्रताप ने लिखा, ‘हमें जानकारी मिली है कि इनमें से अधिकतर मुस्लिम विक्रेता रोहिंग्या हैं, जिन्होंने पूर्व में भी अपराध किए हैं.’

चव्हाणके ने मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए ‘यूपीएससी जिहाद‘ नाम से एक सीरीज भी की थी, जिसमें मुस्लिमों पर भारतीय नौकरशाही पर कब्जा जमाने का आरोप लगाया गया. मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने सुदर्शन न्यूज को भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी दी थी.

हालांकि, ऐसा लगता है कि सुदर्शन ने केंद्रीय मंत्रालय के इस सुझाव की अनदेखी की.

हाल ही में सुदर्शन न्यूज की संवाददाता शिवानी ठाकुर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें हल्दीराम के एक आउटलेट पर वहां की एक कर्मचारी से उलझते देखा गया. वह नवरात्रि के दौरान हल्दीराम के पैकेटों पर कथित उर्दू भाषा का इस्तेमाल करने को लेकर हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा रही थी लेकिन वास्तव में इन पैकेटों पर अरबी और अंग्रेजी भाषा में अंतरराष्ट्रीय निर्यात मानदंडों का पालन करने की शर्तें लिखी थीं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)