यूके के सरकारी अधिकारियों को संदिग्ध भारतीय ऑपरेटरों ने पेगासस का निशाना बनाया: सिटीज़न लैब

सिटीज़न लैब की रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में उसने यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय में पेगासस स्पायवेयर संक्रमण के कई संदिग्ध मामले देखे थे. विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय से संबंधित संदिग्ध वायरस का जुड़ाव पेगासस ऑपरेटरों से था, जिनके तार यूएई, भारत, साइप्रस और जॉर्डन से जुड़े पाए गए.

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(इलस्ट्रेशन: द वायर)

सिटीज़न लैब की रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में उसने यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय में पेगासस स्पायवेयर संक्रमण के कई संदिग्ध मामले देखे थे. विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय से संबंधित संदिग्ध वायरस का जुड़ाव पेगासस ऑपरेटरों से था, जिनके तार यूएई, भारत, साइप्रस और जॉर्डन से जुड़े पाए गए.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: इंटरनेट पर निगरानी रखने वाली सिटीजन लैब द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम (यूके) के सरकारी अधिकारियों पर कथित तौर पर भारत और तीन अन्य देशों के ऑपरेटर द्वारा ‘संदिग्थ पेगासस वायरस’ का हमला हुआ था.

पेगासस स्पायवेयर इजरायल के एनएसओ समूह द्वारा बनाया गया एक हैकिंग सॉफ्टवेयर है, जो किसी व्यक्ति के स्मार्टफोन को रिमोट लिसनिंग डिवाइस (जिसे दूर से बैठकर सुना जा सके) में तब्दील करने में सक्षम है.

यह अत्याधुनिक स्पायवेयर फोन को अपने नियंत्रण में ले लेता है. एक बार इंस्टॉल करने पर पेगासस डिवाइस के कैमरे, उसके मैसेज और फोन में स्टोर अन्य सभी डेटा को अपने नियंत्रण में ले लेता है और इस स्पायवेयर का उपयोगकर्ता अपने शिकार के फोन में अनाधिकृत पहुंच बना लेता है.

सिटीजन लैब के मुताबिक, 2020 और 2021 में उसने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) के भीतर ‘पेगासस स्पायवेयर संक्रमण के कई संदिग्ध मामले’ देखे.

डिजिटल हमलों का पता लगाने वाले दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में गिने जाने वाले शोधकर्ताओं ने घोषणा की कि उन्होंने हमले के बारे में यूके सरकार को सूचित किया था उन्हें लगा कि उनके ऐसा करने से नुकसान कम हो सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटों स्थित इस लैब के शोधकर्ताओं ने कहा, ‘एफसीओ से संबंधित संदिग्ध वायरस का जुड़ाव पेगासस ऑपरेटरों से था. इन ऑपरेटर के तार हम यूएई, भारत, साइप्रस और जॉर्डन से जुड़े पाते हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय का संदिग्ध वायरस जिस पेगासस ऑपरेटर से जुड़ा मिला था, उसके तार हमें यूएई से जुड़े मिले हैं.’

आगे बताया गया, ‘चूंकि यूके के विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय और इसके अधीन कार्यालय, विदेशी राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के कई देशों में कर्मचारी हैं, हमने जो संदिग्ध वायरस देखे हैं वे विदेशों में स्थित एफसीओ के उपकरणों और विदेशी सिम कार्ड के इस्तेमाल का उपयोग करने से संबंधित हो सकते हैं. कुछ वैसे ही जैसे 2021 में युगांडा में अमेरिकी विदेश विभाग के कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल विदेशी फोन नंबरों की हैकिंग की गई थी.

यह रिपोर्ट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भारत दौरे पर आने से कुछ दिन पहले सामने आई है.

उल्लेखनीय है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर  भी शामिल था, ने 2021 में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

अपनी रिपोर्ट के एक हिस्से में द वायर  ने खुलासा किया था कि दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग के कई पूर्व कर्मचारी जासूसी की सूची में थे.

सिटीजन लैब के निदेशक रॉन डीबर्ट ने एक बयान में कहा है कि यूके में साइबर नीति और साथ ही स्पायवेयर पीड़ितों के लिए निवारक उपायों को कानूनी रूप देने पर काम चल रहा है, इसलिए हमें लगता है कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि यह स्पायवेयर के अनुचित प्रभावों से मुक्त रहे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह देखते हुए कि एनएसओ समूह के खिलाफ मुकदमे में शामिल यूके के एक वकील को 2019 में पेगासस के जरिये हैकिंग का शिकार बनाया गया था, इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि यूके सरकार स्पायवेयर के जारी खतरे को समझे और इससे निपटने के लिए उचित कदम उठाए.’