हिंदुत्व नेताओं की चारधाम में ग़ैर-हिंदुओं पर रोक की मांग, मुख्यमंत्री बोले- सत्यापन करेंगे

हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चार धाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.

//
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. (फोटो: पीटीआई)

हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चारधाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एक हिंदुत्ववादी नेता द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चारधाम मंदिरों के पास गैर-हिंदुओं को व्यापार करने से रोकने के लिए कहे जाने के कुछ ही दिनों बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए बाहर से उत्तराखंड आने वाले लोगों को उचित सत्यापन से गुजरना होगा ताकि शांति के लिए खतरा पैदा करने वाले राज्य में प्रवेश न कर सकें.

उन्होंने उत्तराखंड में बसे लेकिन ‘अन्य राज्यों से संबंधित’ लोगों के दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए भी एक राज्यव्यापी अभियान की बात कही.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 17 अप्रैल को धामी को लिखे एक पत्र में हरिद्वार स्थित हिंदू नेताओं की एक परिषद, शंकराचार्य परिषद ने मांग की थी कि गैर-हिंदुओं (विशेष तौर पर मुसलमानों) को चारधाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए.

चारधाम स्थलों में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं. हर साल पीक सीजन में लाखों तीर्थयात्री यहां दर्शन को आते हैं.

शंकराचार्य परिषद के प्रमुख आनंद स्वरूप ने आरोप लगाया कि ‘गैर-हिंदू रोजगार और व्यापार के बहाने राज्य के कई पवित्र स्थानों में बस रहे हैं.’

स्वरूप का दावा पूरे भारत, विशेष तौर पर कर्नाटक में धार्मिक अल्पसंख्यकों को व्यापार के स्थानों से दूर रखकर उनका ‘आर्थिक बहिष्कार’ लागू करने के समान प्रयासों के अनुरूप है.

स्वरूप हरिद्वार धर्म संसद के वक्ताओं में से एक थे, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण दिया गया था और नरसंहार का खुला आह्वान किया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, स्वरूप ने मुख्यमंत्री से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि गैर-हिंदू चारधाम क्षेत्र में जमीन के मालिक न हों, घर न बनाएं और व्यापार न करें.

मंगलवार को जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से इन मांगों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह देखने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा कि बाहर से तीर्थ यात्रा के लिए आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.

धामी ने कहा, ‘हमारे राज्य में शांति होनी चाहिए. हमारे राज्य के धर्म और संस्कृति को संरक्षित किया जाना चाहिए. जो कोई भी शांति के लिए खतरा पैदा कर सकता है या माहौल खराब कर सकता है, वह राज्य में प्रवेश न करे.’

धर्म और संस्कृति का केंद्र होने के अलावा उत्तराखंड को शांतिप्रिय राज्य बताते हुए धामी ने कहा, ‘यहां दंगाइयों, अतिक्रमणकारियों और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के लिए कोई जगह नहीं है.’

बता दें कि चारधाम यात्रा मई के पहले सप्ताह में उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के खुलने के साथ शुरू होने वाली है.

इस वर्ष कोविड-19 प्रतिबंधों के हटने के साथ ही तीर्थस्थलों पर रिकॉर्ड संख्या में तीर्थ यात्री पहुंचने की संभावनाएं हैं. क्षेत्र के विभिन्न होटलों और आश्रय स्थलों ने एक महीने पहले ही बुकिंग फुल होने की सूचना दी है.