पिछले साल तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत 18 अप्रैल को को रद्द कर दी थी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था.
लखीमपुर खीरी: सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने रविवार को उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
आशीष मिश्रा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें जेल भेज दिया गया.
आशीष के अधिवक्ता अवधेश सिंह ने कहा, ‘आशीष ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है. हमें एक सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन सोमवार को आखिरी दिन होने के कारण उन्होंने एक दिन पहले आत्मसमर्पण कर दिया.’
जेल अधीक्षक पीपी सिंह ने कहा कि आशीष को सुरक्षा कारणों से अलग बैरक में रखा जाएगा.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत 18 अप्रैल को रद्द कर दी थी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था.
आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी. इससे पहले वह चार महीने तक हिरासत में रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीड़ितों को जांच से लेकर आपराधिक मुकदमे की समाप्ति तक कार्यवाही में हिस्सा लेने का ‘निर्बाध’ अधिकार है.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‘पीड़ितों’ को निष्पक्ष एवं प्रभावी तरीके से नहीं सुना गया, क्योंकि उसने (हाईकोर्ट ने) ‘साक्ष्यों को लेकर संकुचित दृष्टिकोण अपनाया.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने अप्रासंगिक विवेचनाओं को ध्यान में रखा और एफआईआर की सामग्री को अतिरिक्त महत्व दिया.
शीर्ष अदालत ने प्रासंगिक तथ्यों और इस तथ्य पर ध्यान देने के बाद कि पीड़ितों को सुनवाई का पूरा अवसर नहीं दिया गया था, गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से सुनवाई के लिए जमानत अर्जी को वापस भेज दिया.
गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.
दरअसल तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.
आरोप है कि इस दौरान अजय मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.
मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.
महिंद्रा थार वाहन के मालिक आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था.
गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.
प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.
इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.
इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.
हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.
दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)