स्पेन ने कैटलोनिया की स्वतंत्रता के दर्जनों समर्थकों के फोन विवादित जासूसी स्पायवेयर से हैक किए जाने के आरोपों की जांच शुरू करने के साथ पूरी पारदर्शिता बरतने का वादा किया है. हालांकि स्पेन की सरकार ने अब तक न तो पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल से इनकार किया है और न ही पुष्टि की है.
मैड्रिड: स्पेन के अधिकारियों ने कैटलोनिया की स्वतंत्रता के दर्जनों समर्थकों के फोन विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर से हैक किए जाने के आरोपों की जांच शुरू करने के साथ वादा किया है कि वे इस जांच को पूरी पारदर्शिता से करेंगे.
प्रेसीडेंसी और संसद से संबंध मामलों के मंत्री फेलिक्स बोलानोस ने रविवार को घोषणा की कि देश की खुफिया एजेंसी और विशेष संसदीय आयोग मामले की आंतरिक जांच कर रहे हैं तथा नतीजे साझा किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि इस मामले की अलग से जांच स्पेन के लोकपाल से भी कराने की व्यवस्था की गई है ताकि यह दिखाया जा सके कि मैड्रिड में केंद्रीय अधिकारियों के पास छिपाने को कुछ भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि सरकार अशांत पूर्वोत्तर कैटलोनिया के भविष्य के लिए अलगाववादियों से भी वार्ता करने को प्रतिबद्ध है.
बिजनेस स्टैंडर्स के मुताबिक, कैटलोनिया की सरकार का नेतृत्व करने वाले स्वतंत्रता-समर्थक वामपंथी राजनेता पेरे एरागॉन ने पिछले हफ्ते कहा था कि कनाडा में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा बड़े पैमाने पर राजनीतिक जासूसी का खुलासा करने के बाद यह स्पेन के राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ संबंधों को रोक रहा है.
एरागॉन ने स्पेन की खुफिया एजेंसी, जिसे स्पेनिश में सीएनआई के नाम से जाना जाता है, पर कथित हैकिंग का आरोप लगाया.
टोरंटो विश्वविद्यालय से जुड़े एक विशेषज्ञ समूह सिटिजन लैब ने कहा कि दो इजरायली कंपनियों, एनएसओ ग्रुप और कैंडिरू द्वारा पेगासस और अन्य स्पायवेयर के निशान 65 लोगों के उपकरणों में पाए गए, जिनमें निर्वाचित अधिकारी, कार्यकर्ता, वकील, यूरोपीय सांसद और अन्य शामिल थे.
अधिकांश घुसपैठ 2017 के बीच हुई, जब कैटलोनिया की स्वतंत्रता पर एक प्रतिबंधित जनमत संग्रह ने स्पेन में एक गहरा राजनीतिक संकट पैदा कर दिया था और 2020 के मध्य में समाप्त हो गया, जब सिटिजन लैब ने कथित जासूसी के पहले मामलों का खुलासा किया.
वहीं, स्पेन की सरकार ने पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से न तो इनकार किया है और न ही पुष्टि की है. उसने कहा है कि कोई भी निगरानी न्यायाधीशों की देखरेख में होती है.
मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई 2021 से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
इस एक पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.
यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनियाभर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.
बता दें कि एनएसओ ग्रुप मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)