14 अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होने वाले हैं, लेकिन पटना से चार बार सांसद रहे सिन्हा को नहीं बुलाया गया.
भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि पार्टी के तमाम नेता लाल कृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति के तौर पर देखना चाहते थे. समाचार वेबसाइट एनडीटीवी से बीते शुक्रवार को बातचीत में 71 वर्षीय शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ‘मेरी पार्टी के 80 प्रतिशत लोग लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति बनाए जाने के पक्ष में थे.’
बता दें कि राजग की ओर रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अभिनेता से राजनेता बने सिन्हा ने 89 वर्षीय आडवाणी के पक्ष में अभियान भी चलाया था.
शुत्रघ्न सिन्हा आडवाणी को अपना दोस्त, गुरु, मार्गदर्शक, दार्शनिक और असल नेता बताते हैं. साल 2013 में वह आडपाणी के नेतृत्व वाले उस समूह का हिस्सा भी थे जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के ख़िलाफ़ था.
शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर भाजपा नीतियों की आलोचना करते नज़र आते हैं, लेकिन इस बात पर भी ज़ोर देते हैं कि वे कभी पार्टी नहीं छोड़ेंगे. एनडीटीवी से बातचीत में भाजपा नेता ने कहा, ‘भाजपा मेरी पहली, आख़िरी और एकमात्र पार्टी है. मैं इस पार्टी में तब शामिल हुआ जब संसद में इसके सिर्फ दो सदस्य थे. मैं इसे भला क्यों छोडूंगा.’ हालांकि उन्होंने शिकायत की कि ‘दो लोगों’ (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) की सेना द्वारा उनकी उपेक्षा की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘कुछ हफ्ते पहले मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने मुझे समय नहीं दिया. इसके बावजूद वह मेरे बेटे की शादी में आए, इसके लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूं.’
दो साल पहले हुए बिहार विधानसभा चुनाव को याद करते हुए सिन्हा ने अमित शाह से मिलने की कोशिश को भी याद किया. उस समय उन्हें पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं कहा गया था.
उन्होंने कहा, ‘मैं अकेला ऐसा था जिसने प्रधानमंत्री या किसी और से अपने पक्ष में प्रचार करने के लिए नहीं कहा था. यहां तक कि सोनाक्षी (उनकी बेटी और अभिनेत्री) से भी प्रचार के लिए नहीं बोला. इसके बावजूद मैं भारी मतों से विजयी हुआ था.’
बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं लेकिन चार बार से सांसद और विश्वविद्यालय में पढ़ चुके शत्रुघ्न सिन्हा को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
हाल ही में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करने वाले भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का पक्ष शुत्रघ्न सिन्हा ने भी लिया था. उन्होंने कहा था, ‘वह (यशवंत सिन्हा) सच्चे अर्थों में राजनेता हैं, जिसने खुद को साबित किया है और जो देश के सबसे सफल वित्त मंत्रियों में से एक हैं. उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आईना दिखाया है और समस्या की जड़ पर चोट की है.’