अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एशिया और प्रशांत विभाग की कार्यवाहक निदेशक ने कहा है कि अनुमानों के मुताबिक़ 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो कि 0.8 प्रतिशत अंक कम है.
वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण तेल की कीमतों में हुई तेजी के चलते भारत में महंगाई बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को ठीक करने के लिए मौद्रिक सख्ती जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करके वृद्धि क्षमता में सुधार पर भी जोर दिया.
आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग की कार्यवाहक निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा कि अनुमानों के अनुसार 2022-23 में देश की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो 0.8 प्रतिशत अंक कम है.
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हालांकि वृद्धि अभी भी मजबूत है, लेकिन इसमें पर्याप्त गिरावट है. दुनिया भर में नीति-निर्माता महंगाई को काबू में करने के उपाय कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह यूक्रेन में जारी युद्ध है. भारत खासतौर से तेल और अन्य वस्तुओं के आयात पर निर्भर है.’
आईएमएफ अधिकारी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अल्पावधि में कमजोर परिवारों की मदद करने और बुनियादी ढांचे के निवेश पर ध्यान देने की नीति उपयुक्त है.
उन्होंने मौद्रिक सख्ती और संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करने के उपायों की सिफारिश की.
आईएमएफ की अधिकारी ने कहा, ‘भारत की विकास क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करना महत्वपूर्ण है जो लंबे समय तक चलने वाले विकास को हासिल करने में बाधा उत्पन्न करती हैं. ये बाधाएं श्रम बाजार, भूमि बाजार, बेहतर शैक्षणिक परिणामों और काफी हद तक श्रम बल में महिलाओं की अधिक हिस्सेदारी प्राप्त करने में हैं.’
उन्होंने कहा, ‘तो कुल मिलाकर क्षमता निश्चित रूप से है लेकिन इसके लिए नीतिगत कार्रवाई की जरूरत होगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)