प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों से कर घटाने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि यही प्रधानमंत्री जनता को लेकर चिंतित होते तो उनकी सरकार ने पेट्रोल/डीज़ल की कीमतें नहीं बढ़ाई होतीं, उपकर भी नहीं बढ़ाया होता.
नई दिल्ली/हैदराबाद/जयपुर: विपक्ष शासित कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का मुद्दा छेड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे उन राज्यों की जनता के साथ ‘अन्याय’ करार दिया और उनसे राष्ट्र हित में पेट्रोलियम उत्पादों पर से मूल्य वर्धित कर (वैट) घटाकर आम आदमी को राहत देने तथा वैश्विक संकट के इस दौर में सहकारी संघवाद की भावना के साथ काम करने की अपील की.
मोदी ने कहा कि पिछले साल नवंबर महीने में केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती किए जाने के बावजूद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती नहीं की.
हालांकि महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों से कर घटाने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक संकट का हवाला देते हुए राज्यों से सहकारी संघवाद की भावना का पालन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि दरों में कटौती न करने से इन राज्यों के पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान पहुंचाता है.
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर देश में महामारी की उभरती परिस्थिति पर मुख्यमंत्रियों से संवाद के बाद प्रधानमंत्री ने अपने समापन भाषण के दौरान यह मुद्दा उठाया. उनके समापन भाषण का अधिकतर हिस्सा ईंधन की बढ़ती कीमतों पर केंद्रित रहा.
ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई में हुई वृद्धि का मुद्दा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है.
मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए आर्थिक निर्णयों में केंद्र और राज्य सरकारों का तालमेल और उनके बीच सामंजस्य पहले से कहीं अधिक आवश्यक है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक परिस्थितियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है और ऐसे माहौल में दिनों-दिन चुनौतियां बढ़ती जा रही है.
मोदी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का आम आदमी पर बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने उत्पाद कर में पिछले नवंबर में कमी की थी और राज्यों से भी आग्रह किया गया था कि वे अपने यहां टैक्स कम करें और जनता को इसका लाभ दें.
केंद्र की इस सलाह पर अमल करते हुए भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां वैट की दरों में कटौती की थी, लेकिन विपक्षी दलों के शासन वाले अधिकतर राज्यों ने इसे अनसुना कर दिया. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस सलाह के काफी दिनों के बाद वैट में कटौती की थी.
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कर्नाटक और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों का उदाहरण दिया और कहा कि अगर इन राज्यों ने वैट की दरों में कटौती न की होती तो कर्नाटक को पिछले छह महीनों में 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा और गुजरात को 3,500-4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व और मिलता.
उन्होंने कहा कि इन दोनों राज्यों के पड़ोसी राज्यों ने वैट में कमी न करके इन छह महीनों में 3,500-4,000 से लेकर 5,000-5,500 करोड़ रुपये तक अतिरिक्त राजस्व कमा लिया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और झारखंड ने किसी न किसी कारण से, वैट में कटौती की केंद्र की सलाह को नहीं माना और उनके राज्य के नागरिकों पर बोझ जारी रहा.
बैठक में इनमें से ज्यादातर राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे. मोदी ने कहा, ‘मैं यहां किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं. मैं सिर्फ आपसे आपके राज्य के नागरिकों की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहा हूं, लेकिन अब आपसे मेरी प्रार्थना है कि देशहित में आपको पिछले नवंबर में जो करना था… छह महीने की देरी हो चुकी है… अब भी आप अपने राज्य के नागरिकों को वैट कम करके इसका लाभ पहुंचाइए.’
उन्होंने कहा कि चेन्नई, जयपुर, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई 111 रुपये प्रति लीटर की दर से भी ज्यादा पेट्रोल की कीमतें हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित दमन और दीव में इसकी कीमत 102 रुपये, लखनऊ में 105 रुपये, गुवाहाटी में 105 रुपये, जम्मू में 106 रुपये और देहरादून में 103 रुपये प्रति लीटर है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के पास इसका जो राजस्व आता है, उसका 42 प्रतिशत तो राज्यों के ही पास चला जाता है.
मोदी ने कहा कि वह इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विशेष प्रार्थना करते हैं कि वे अपने राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाएं.
विपक्ष शासित राज्यों ने प्रधानमंत्री के दावे को खारिज किया
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र का 26,500 करोड़ रुपये बकाया है. उन्होंने केंद्र पर महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार करने का भी आरोप लगाया.
मुख्यमंत्री ठाकरे के कार्यालय ने एक बयान जारी कर ईंधन, मुख्य रूप से पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले केंद्र और राज्य सरकार के करों के हिस्से का विवरण दिया.
ठाकरे ने कहा, ‘केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र सरकार का 26,500 करोड़ रुपये बकाया है, राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यक्ष कर संग्रह में महाराष्ट्र का योगदान 38.3 प्रतिशत है और माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में इसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है, लेकिन केंद्र हमारे साथ सौतेला व्यवहार करता है.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सब्सिडी देने के लिए पिछले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
ममता ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज की बातचीत पूरी तरह से एकतरफा और गुमराह करने वाली थी. उनके (प्रधानमंत्री के) द्वारा साझा किए गए तथ्य गलत थे. हम पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर एक रुपये की सब्सिडी मुहैया कर रहे हैं. हमने इस पर 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.’
उन्होंने दावा किया कि बैठक में मुख्यमंत्रियों के लिए अपने विचार रखने की कोई गुंजाइश नहीं थी और इसलिए वे प्रधानमंत्री को जवाब नहीं दे सकें.
ममता ने ईंधन की कीमतों में कटौती करने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा, ‘बेहतर होता कि प्रधानमंत्री कोविड-19 समीक्षा बैठक में ईंधन की कीमतों की वृद्धि पर बात नहीं करते.’
केंद्र को कर घटाने के लिए कहने का अधिकार नहीं: तेलंगाना के मुख्यमंत्री
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने बुधवार को कहा कि राज्य में 2014 में टीआरसी नीत सरकार बनने के बाद से अभी तक ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं की गई है और केंद्र सरकार को राज्य से कर घटाने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति के 21वें स्थापना दिवस समारोह के समापन पर केसीआर ने कोविड-19 हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वीडियो कांफ्रेंस को ‘ड्रामा कांफ्रेंस’ करार दिया.
राव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कोरोना हालात पर मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की. उस कांफ्रेंस में उन्होंने (मोदी) ईधन पर कर घटाने की बात कही. क्या एक प्रधानमंत्री इस तरह से बात कर सकते हैं?’
उन्होंने कहा कि यही मोदी जनता को लेकर चिंतित होते तो उनकी सरकार ने पेट्रोल/डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई होतीं, उपकर भी नहीं बढ़ाया होता.
उन्होंने कहा, ‘तेलंगाना राज्य के गठन के बाद हमने कभी भी पेट्रोल/डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाईं. इन्हें केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने बढ़ाया है. हमने कर नहीं बढ़ाए हैं, फिर हमें कटौती क्यों करनी चाहिए?’
उन्होंने कहा, ‘यह अवांछित और अनावश्यक है.’
केसीआर ने प्रश्न किया कि क्या केंद्रसरकार को राज्यों से कर घटाने को कहने में शर्म नहीं आ रही है, जबकि कीमतें उसने बढ़ाई हैं?
मोदी ने शायद भोपाल को संदेश देने के लिए जयपुर का नाम लिया: गहलोत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जयपुर सहित देश के कई शहरों में पेट्रोल के दाम सबसे अधिक होने का जिक्र किए जाने पर पलटवार करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि शायद भाजपा शासित भोपाल को संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री ने जयपुर का नाम लिया.
गहलोत ने कहा कि भोपाल में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें जयपुर से अधिक हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यों के वैट की बात की, लेकिन केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क की जानकारी नहीं दी.
गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मुख्यमंत्रियों के साथ की गई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने आक्षेप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती की गई, लेकिन कई राज्यों ने वैट कम नहीं किए जिससे जनता को लाभ नहीं मिला.’
गहलोत के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री ने जयपुर का नाम तो लिया लेकिन वो संदेश भाजपा शासित राज्यों को ही देना चाह रहे थे क्योंकि आज भी भोपाल में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें जयपुर से अधिक हैं. संभवत: भूलवश उन्होंने भोपाल को जयपुर बोल दिया.’
गहलोत के अनुसार राजस्थान सरकार ने 29 जनवरी 2021 को पेट्रोल व डीजल पर दो प्रतिशत वैट कम किया था, जबकि उस समय केंद्र ने उत्पाद शुल्क में कोई कमी नहीं की थी.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तो इसके दो दिन बाद पेश 2021-22 के बजट में डीजल पर चार रुपये एवं पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर का कृषि अवसंरचना व विकास नाम से नया उपकर लगा दिया. इससे जरूर राजस्थान की जनता को दो प्रतिशत वैट कम करने का लाभ नहीं मिल पाया.
बयान के अनुसार, ‘केंद्र सरकार ने आठ साल में उत्पाद शुल्क से करीब 26 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. यह देश के इतिहास में किसी भी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर कर लगाकर अर्जित की गई सर्वाधिक धनराशि है.’
वही, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उनका संघवाद सहकारी नहीं, बल्कि अवरोध पैदा करने वाला है.
High Fuel prices – blame states
Coal shortage – blame states
Oxygen shortage – blame states68% of all fuel taxes are taken by the centre. Yet, the PM abdicates responsibility.
Modi’s Federalism is not cooperative. It’s coercive.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 28, 2022
उन्होंने ट्वीट किया, ‘ईंधन की अत्यधिक कीमतों के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराइए! कोयले की कमी के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराइए! ऑक्सीजन की कमी के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराइए! ईंधन पर लगने वाले कर का 68 प्रतिशत हिस्सा केंद्र लेता है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हैं.’
राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘मोदी का संघवाद सहकारी नहीं है. यह प्रतिरोधी है.’
मालूम हो कि इससे पहले बीते 14 अप्रैल को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि उपभोक्ताओं को राहत के लिए राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाएं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)