जहांगीरपुरी हिंसा मामले में तीन और गिरफ़्तार, एक को पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया

दिल्ली के जहांगीरपुरी में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था. पुलिस ने बताया कि इस मामले में अब तक 30 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है, जिनमें से तीन नाबालिग हैं.

दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई 16 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद एक जला हुआ वाहन. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली के जहांगीरपुरी में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था. पुलिस ने बताया कि इस मामले में अब तक 30 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है, जिनमें से तीन नाबालिग हैं.

दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई 16 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद एक जला हुआ वाहन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें मुख्य षड्यंत्रकर्ता और घटना को अंजाम देने वाला भी शामिल है, जिसे पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि इन लोगों की गिरफ्तारी के साथ अब तक इस मामले में कुल 30 लोग पकड़े जा चुके हैं, जिनमें से तीन किशोर हैं.

उन्होंने बताया कि मोहम्मद फरीद उर्फ नीतू (35 वर्ष), जो मामले में ‘सर्वाधिक वांछित था’, को पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के तामलुक स्थित उसके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस ने बताया कि मामले में जिन दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी पहचान दो भाइयों- जफर (34 वर्ष) और बाबूद्दीन उर्फ बाबू (43 वर्ष) के तौर पर की गई है.

उन्होंने बताया कि दोनों को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बुधवार (27 अप्रैल) को जहांगीरपुरी से गिरफ्तार किया, जो इस मामले की जांच कर रही है. दोनों भाई इलाके में बिरयानी की दुकान चलाते हैं.

पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से खुलासा हुआ कि फरीद ने अपने सहयोगी मोहम्मद अंसार के साथ दंगे भड़काने में बहुत ही सक्रिय और आक्रामक भूमिका निभाई, लेकिन उसने गोली चलाई या नहीं, इसकी जांच क्राइम ब्रांच का स्पेशल सेल, इंटेलिजेंस फ्यूजन और स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट (आईएफएसओ) की सहायता से कर रहा है.

पुलिस के मुताबिक, दिल्ली की अदालत की ओर से भी फरीद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, जो पहले तो अपने परिवार के यहां छिपा और इस महीने हुई हिंसा के दो-तीन दिन के बाद पश्चिम बंगाल भाग गया.

उन्होंने बताया कि वह लगातार अपना फोन बंद कर, पश्चिम बंगाल में अपना ठिकाना बदल रहा था.

पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) राजीव रंजन सिंह ने बताया, ‘उत्तरी रेंज के स्पेशल सेल को घटना में संलिप्त आरोपियों की पहचान और पकड़ने के कार्य में लगाया गया. टीम ने मोहम्मद फरीद की गतिविधियों पर नजर रखी, जो जहांगीरपुरी इलाके में सक्रिय खराब चरित्र का व्यक्ति है. वह गिरफ्तार हो चुके मोहम्मद अंसार के साथ प्रमुख षड्यंत्रकर्ताओं और घटना को अंजाम देने वालों में से एक है. टीम पिछले दो सप्ताह से उसका पीछा कर रही थी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की.’

उन्होंने बताया, ‘कुछ मौकों पर वह पकड़े जाने से बचा, लेकिन टीम ने उस पर नजर बनाए रखी और पश्चिम बंगाल में जमी रही. बृहस्पतिवार को हमारी टीम ने फरीद का पता लगाया और उसे उसके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा इस मामले की आगे की जांच कर रही है.’

उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 से अब तक उसके खिलाफ लूटपाट, छिनैती, चोरी और शस्त्र कानून के तहत छह मामले दर्ज किए गए थे और वह जहांगीरपुरी इलाके का हिस्ट्रीशीटर है.

पुलिस ने बताया कि जफर और बाबुद्दीन को भी दंगे में सक्रिय रूप से संलिप्त पाया गया.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘अलग-अलग सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किए गए वीडियो का विश्लेषण करने पर जफर हिंसा के दौरान भीड़ के साथ तलवार के साथ घूमता नजर आया. बाबुद्दीन भी हिंसा के दौरान भीड़ को भड़काता नजर आया. दोनों को डिजिटल सबूत और तकनीकी निगरानी के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.’

पुलिस ने बताया कि हिंसा के दिन के डिजिटल सबूत का विश्लेषण कर पुलिस ने दोषियों की पहचान की और तकनीकी निगरानी से उनकी घटना के समय ठिकाने का पता लगाया.

जहांगीरपुरी में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था.

पुलिस ने मामले के पांच आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की है.

एक सीसीटीवी फुटेज में दर्ज घटनाक्रम की जानकारी देते हुए पुलिस सूत्र ने बताया कि शाम छह बजकर 23 मिनट पर शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी की शुरुआत हुई.

उन्होंने बताया कि शाम छह बजकर 27 मिनट पर एक व्यक्ति चार-पांच तलवारों के साथ दिखा. शाम सात बजकर एक मिनट पर लोगों के समूह ने भीड़ को सीसीटीवी कैमरा लगे होने की जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने अपनी दिशा बदल ली.

सूत्र ने बताया, ‘सोनू उर्फ इमाम और सलीम चिकना जो पुलिस हिरासत में हैं, कुशल सिनेमा की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. सोनू जेब से पिस्तौल निकालते और हिंसा के दौरान कुशल सिनेमा की ओर दौड़ता दिखाई दे रहा है.’

हिंसा की घटना के बाद बीते 20 अप्रैल को भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा इस इलाके अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था.

आरोप है कि अभियान के तहत आरोपियों के कथित अवैध निर्माणों को तोड़ा जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई थी. कुछ घंटे बाद जब याचिकाकर्ता के वकील वापस शीर्ष अदालत पहुंचे, तब तोड़-फोड़ की कार्रवाई रुकी थी.

इसके बाद 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी के तोड़फोड़ अभियान पर दो हफ्ते की रोक लगा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 20 अप्रैल को हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई का संज्ञान लेगा, जो निगम को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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