उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद ने कहा कि जिसे हिंदुस्तान में रहना है उसे हिंदी से प्रेम करना होगा. अगर ऐसा नहीं है तो माना जाएगा वो विदेशी हैं या विदेशी ताक़तों से उनका संबंध है.
नई दिल्ली: हिंदी थोपने का मुद्दा एक बार फिर सामने आने के साथ उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद ने कहा है कि जो लोग हिंदी से प्यार नहीं करते उन्हें विदेशी या विदेशी शक्तियों से जुड़ा माना जाएगा और जो लोग हिंदी भाषा नहीं बोलते उन्हें इस देश को छोड़कर कहीं और जाना चाहिए.
द न्यूज मिनट के अनुसार, मंत्री संजय निषाद भाषा को लेकर अभिनेता अजय देवगन और किच्चा सुदीप के बीच एक ट्विटर पर हुई एक बहस के बाद छिड़े विवाद पर मीडिया के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे.
निषाद ने कहा, ‘जिसे हिंदुस्तान में रहना है उसे हिंदी से प्रेम करना होगा. अगर ऐसा नहीं है तो माना जाएगा वो विदेशी हैं या विदेशी ताकतों से उनका संबंध है. हम क्षेत्रीय भाषाओं का भी सम्मान करते हैं, लेकिन यह राष्ट्र एक है और भारत का संविधान कहता है कि भारत ‘हिंदुस्तान’ है जिसका अर्थ है हिंदी बोलने वालों का स्थान.’
"If you live in India you must love Hindi. If not, you will be considered a foreigner. If you can't speak Hindi, you must leave the country and go somewhere else"
– #SanjayNishad, #BJP, Minister in #UttarPradesh Govt.#Hindi #StopHindiImposition #HindiIsNotNationalLanguage pic.twitter.com/1nG4eTzIB5— Hate Detector 🔍 (@HateDetectors) April 29, 2022
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई हिंदी नहीं बोलता तो देश उसका नहीं है. उसे देश छोड़कर कहीं और चले जाना चाहिए.’
संजय निषाद निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के संस्थापक हैं, जिसे आमतौर पर निषाद पार्टी के रूप में जाना जाता है. वह भाजपा के सहयोगी हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मंत्री ने आगे कहा, ‘मेरे मन में सभी क्षेत्रीय भाषाओं के लिए सम्मान है, हिंदी कानून के अनुसार राष्ट्रभाषा है. कानून का उल्लंघन करने वालों को सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा राजनेता या शक्तिशाली क्यों न हो.’
निषाद पार्टी प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदी बोलने से इनकार कर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘ऐसे तत्व देश में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोग उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे.’
मंत्री के बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है विपक्षी दलों ने उन पर निशाना साधा.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने कहा, ‘मुझे हिंदी पसंद है. यह मेरी मातृभाषा है. लेकिन मैं उन लोगों का भी सम्मान करता हूं जो अपनी मातृभाषा से प्यार करते हैं. बात बस सहिष्णुता की है. भाषाओं में विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए. हर कोई भारतीय है, भले ही वह कोई भी भाषा बोलता हो. भारतीय संविधान दर्जनों भाषाओं को मान्यता देता है. किसी भी भारतीय (जो हिंदी नहीं बोलता) को कहीं जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत हमेशा भाषा, खान-पान, पहनावे और विचारों की विविधता को समायोजित करेगा.’
बहुजन समाज पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, बिजली कटौती और किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भाषाई बहस को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रदेश भाजपा ने मंत्री की बात से इत्तफाक जाहिर नहीं किया है. राज्य इकाई के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, ‘हिंदी एक राष्ट्रभाषा है और देश को जोड़ती है. यहां तक कि महात्मा गांधी और राम मनोहर लोहिया ने भी राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी का समर्थन किया था. हालांकि, मंत्री का यह बयान कि जो लोग हिंदी नहीं जानते उन्हें देश छोड़ देना चाहिए, गलत है. भारत एक बहुभाषी देश है, लोगों को सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि हिंदी, अंग्रेजी का विकल्प हो सकती है.
अमित शाह ने राजधानी दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा.
गृह मंत्री ने कहा था कि अन्य भाषा वाले राज्यों के नागरिक जब आपस में संवाद करें तो वह ‘भारत की भाषा’ में हो – उनका मतलब हिंदी से था.
अमित शाह द्वारा हिंदी भाषा पर जोर दिए जाने की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी और इसे भारत के बहुलवाद पर हमला बताया था. साथ ही विपक्ष ने सत्तारूढ़ भाजपा पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ ‘सांस्कृतिक आतंकवाद’ के अपने एजेंडे को शुरू करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
इतना ही नहीं तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने कहा था कि हम भारतीय हैं, इसे साबित करने के लिए हिंदी सीखने की जरूरत नहीं. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी थोपे जाने को न तो स्वीकार करेगी और न ही इसकी अनुमति देगी.