मार्च की तुलना में अप्रैल में भारत की बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.83 प्रतिशत हुई: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोज़गारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारत की बेरोजगारी दर मार्च में 7.60 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 7.83 प्रतिशत हो गई. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है.

आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 7.18 प्रतिशत हो गई.

सबसे अधिक 34.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर हरियाणा में दर्ज की गई, इसके बाद राजस्थान में यह दर 28.8 प्रतिशत थी.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सुस्त घरेलू मांग और बढ़ती कीमतों के बीच आर्थिक सुधार की धीमी गति से रोजगार के अवसर प्रभावित हुए हैं.

सिंगापुर के कैपिटल इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री शिलन शाह ने शनिवार को एक नोट में कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 17 महीने के उच्च स्तर 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गई और इस साल के अंत में इसके लगभग 7.5 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है. उन्हें जून में केंद्रीय बैंक आरबीआई द्वारा रेपो दर में वृद्धि की उम्मीद है.

मुंबई स्थित सीएमआईई के आंकड़ों पर अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं द्वारा बारीकी से नजर रखी जाती है, क्योंकि सरकार अपने मासिक आंकड़े जारी नहीं करती है.

वे गिरती श्रम भागीदारी दर – कामकाजी आबादी के बीच रोजगार या काम की तलाश करने वाले लोगों का अनुपात – को भी देख रहे हैं. मार्च 2022 में यह गिरकर 39.5 प्रतिशत हो गया था, जो मार्च 2019 में 43.7 प्रतिशत था. सीएमआईई के पहले के आंकड़ों के अनुसार, महामारी के दौरान लाखों लोगों की नौकरियां चली गई थीं.