दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाले गए शोभायात्रा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में अब तक 32 लोग पकड़े जा चुके हैं, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं.
नई दिल्ली: उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाले गए एक जुलूस के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके सलीम चिकना के भाई यूनुस (48 वर्ष) और शेख सलीम (22 वर्ष) को रविवार रात को पकड़ा. ये दोनों जहांगीरपुरी के ही रहने वाले हैं.
इन दोनों की गिरफ्तारी के साथ जहांगीरपुरी हिंसा के सिलसिले में अब तक पकड़े जा चुके लोगों की संख्या बढ़कर 32 पर पहुंच गई है, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, जांच और सीसीटीवी कैमरा से प्राप्त फुटेज के विश्लेषण के दौरान पाया गया कि यूनुस भीड़ को तलवारें बांटता नजर आया था, जबकि सलीम उससे तलवारें लेता दिखाई दिया था.
उन्होंने कहा, ‘सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हमारी टीम ने दोनों आरोपियों की पहचान की. दोनों आरोपी हिंसा के तुरंत बाद फरार हो गए थे, लेकिन उन्हें रविवार रात जहांगीरपुरी से गिरफ्तार कर लिया गया.
अधिकारियों के अनुसार, यूनुस के खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है.
उन्होंने बताया कि जिस दिन हिंसा हुई थी, उस दिन के डिजिटल सबूतों का विश्लेषण करते हुए पुलिस घटना में शामिल लोगों की पहचान कर रही है और निगरानी के तकनीकी स्रोतों का इस्तेमाल करके अपराधियों का पता लगा रही है.
जहांगीरपुरी में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था.
पुलिस ने मामले के पांच आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की है.
हिंसा के कुछ दिनों बाद दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने मामले के मुख्य आरोपी के खिलाफ धन शोधन के आरोपों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखा था.
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी मोहम्मद अंसार समेत विभिन्न संदिग्धों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था.
हिंसा की घटना के बाद बीते 20 अप्रैल को भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा इस इलाके अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था.
आरोप है कि अभियान के तहत आरोपियों के कथित अवैध निर्माणों को तोड़ा जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई थी. कुछ घंटे बाद जब याचिकाकर्ता के वकील वापस शीर्ष अदालत पहुंचे, तब तोड़-फोड़ की कार्रवाई रुकी थी.
इसके बाद 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी के तोड़फोड़ अभियान पर दो हफ्ते की रोक लगा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 20 अप्रैल को हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई का संज्ञान लेगा, जो निगम को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)