रिज़र्व बैंक देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर रहा है: फिक्की अध्यक्ष

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का तीन पक्षीय सुधारों का सुझाव. जेटली बोले- भारत के पास अगले एक-दो दशक में उच्च वृद्धि की क्षमता है.

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Boston: Indian Finance Minister Arun Jaitley speaks at a event organized by US-India Strategic Partnership Forum and FICCI in Boston on Wednesday. PTI Photo (PTI10_12_2017_000025B)

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का तीन पक्षीय सुधारों का सुझाव. जेटली बोले- भारत के पास अगले एक-दो दशक में उच्च वृद्धि की क्षमता है.

New York: Finance Minister Arun Jaitley and Arvind Panagariya, during a conversations at School of International Public Affairs of Columbia University in New York on Tuesday. PTI Photo (PTI10_10_2017_000248B)
कोलंबिया विश्वविद्यालय में गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फोटो: पीटीआई)

वाशिंगटन: औद्योगिक मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि ये ‘उद्योग जगत के अनुकूल’ नहीं हैं और नीतिगत दरों में कटौती नहीं करके रिजर्व बैंक देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर रहा है.

दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के लिए त्रिपक्षीय ढांचागत सुधार दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया है. इसमें कारपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर हालत से बाहर निकालना, राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को बेहतर करने के सुधार शामिल हैं.

इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार द्वारा कुछ संरचनात्मक बदलावों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के कारण भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है.

रिज़र्व बैंक के कदम ‘विकास विरोधी’ हैं

चार अक्टूबर को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को छह प्रतिशत के पूर्व स्तर पर बनाए रखा, जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए उसने देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया.

औद्योगिक मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि इस तरह के कदम ‘विकास विरोधी’ हैं. वाशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से पटेल ने कहा, ‘रिजर्व बैंक उचित व्यवहार नहीं कर रहा है. यह (रिजर्व बैंक की नीतियां) विकास विरोधी है.’

उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग को आशा है कि ब्याज दरों में कमी आएगी और रिजर्व बैंक सही दृष्टिकोण अपनाएगा. पटेल ने कहा, ‘हम (उद्योग) ब्याज दरों में कटौती चाहते हैं. यह हमारे लिए अब एक बड़ी समस्या बन गई है. आज की तारीख में भारत में वास्तविक ब्याज दर करीब 6 प्रतिशत के बराबर है.’ पटेल ने कहा कि वृद्धि, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के बीच एक संतुलन होना चाहिए.

दो दशक तक तेज रफ्तार से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को वाशिंगटन में अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ महीनों में व्यापार करने का पूरा माहौल बदल गया है.

उन्होंने कहा, ‘भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है. यह मुख्यत: सरकार द्वारा किए जा रहे संरचनात्मक सुधारों, वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलावों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के बड़े मौकों के कारण हुआ है.’

जेटली ने कहा, ‘मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि दुनिया में विकास की रफ्तार पटरी पर लौट रही है. जहां तक भारत की बात है, भविष्य एक महत्वपूर्ण दिशा तय करेगा. देश और अर्थव्यवस्था का विशाल आकार अगले कुछ साल में भारत में निवेश के बड़े अवसर देगा.’

जेटली ने कहा कि केंद्र में जब भाजपा की सरकार आई तो हमारे पास विकल्प था कि हम ब्लैक मनी आधारित ‘छद्म अर्थव्यवस्था’ को चलने दें. लेकिन हमने कुछ साहसी कदम उठाए, जिसके परिणामस्वरूप उच्च मूल्य वाले नोटों को बदल दिया गया. सरकार को पता था कि शुरू में इसका अर्थव्यवस्था पर असर होगा लेकिन आगे चलकर यह फायदेमंद होगा.’

वित्त मंत्री वाशिंगटन में कॉरपोरेट जगत की हस्तियों और निवेशकों से रूबरू थे. उन्होंने कहा, ‘भारत आज दुनिया की सबसे खुली और वैश्विक तौर पर एकीकृत अर्थव्यवस्था है. पिछले कुछ साल में कारोबार सुगमता रैंकिंग में हम बेहतर हुए हैं.’

आईएमएफ का सुझाव

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में एशिया प्रशांत विभाग के उप निदेशक केनेथ कांग ने कहा कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है और यह मुश्किल सुधारों के साथ भारत को आगे ले जाने का महत्वपूर्ण अवसर है.

कांग ने एक प्रेसवार्ता में संवाददाताओं से कहा, ‘ढांचागत सुधारों के मामले में तीन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए.’ पहली प्राथमिकता कारपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत को बेहतर करना है. इसके लिए गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान को बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी आधिक्य का पुनर्निर्माण और बैंकों की ऋण वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा.

दूसरी प्राथमिकता भारत को राजस्व संबंधी कदम उठाकर अपने राजकोषीय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए. साथ ही सब्सिडी के बोझ को भी कम करना चाहिए.

कांग के अनुसार , तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को पाटने के लिए ढांचागत सुधारों की गति बनाए रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता का विस्तार होना चाहिए. साथ ही कृषि सुधारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए.

श्रम बाजार सुधारों पर एक प्रश्न के उत्तर में कांग ने कहा कि निवेश और रोजगार की खातिर अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए बाजार नियमनों में सुधार किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों की संख्या घटाई जानी चाहिए जो अभी केंद्र और राज्य के स्तर पर कुल मिलाकर करीब 250 हैं.

उनके अनुसार, भारत को इसके साथ ही लिंगभेद को खत्म करने भी ध्यान देना चाहिए ताकि देश में महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें.