अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित साबरकांठा जिले की खेड़ब्रह्मा सीट से तीन बार विधायक रहे आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल ने कहा कि जो जनता के बीच लोकप्रिय हैं, उन्हें टिकट देने के बजाय कांग्रेस पार्टी नेतृत्व केवल उन लोगों का पक्ष लेती है, जो उनके प्रति वफादार रहे हैं. कोतवाल के इस्तीफ़े के बाद 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के सदस्य घटकर 63 हो गए, जबकि भाजपा के पास 111 सदस्यों के साथ बहुमत है.
गांधीनगर: इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. आदिवासी नेता और तीन बार विधायक रहे अश्विन कोतवाल मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए.
50 वर्षीय कोतवाल ने 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के टिकट पर अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित साबरकांठा जिले की खेड़ब्रह्मा सीट जीती थी.
पत्रकारों से बात करते हुए कोतवाल ने पार्टी छोड़ने के अपने फैसले के लिए कांग्रेस में व्याप्त ‘अन्याय’ का दावा किया.
गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने मंगलवार दोपहर गांधीनगर में राज्य भाजपा मुख्यालय ‘कमलम’ में आयोजित एक समारोह के दौरान कोतवाल का भाजपा पार्टी में शामिल होने पर स्वागत किया.
राज्य विधानसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा कि कोतवाल ने खेड़ब्रह्मा सीट से विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया और उनका इस्तीफा अध्यक्ष निमाबेन आचार्य ने मंगलवार सुबह स्वीकार कर लिया.
भाजपा में शामिल होने से पहले कोतवाल ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है.
कोतवाल ने पत्रकारों से कहा, ‘मैं कांग्रेस के कामकाज से खुश नहीं था. जो जनता के बीच लोकप्रिय हैं, उन्हें टिकट देने के बजाय पार्टी नेतृत्व केवल उन लोगों का पक्ष लेता था, जो उनके प्रति वफादार रहे. मुझे डर है कि पार्टी मुझे भविष्य में टिकट से वंचित कर सकती है और इस तरह के अन्याय से बचने के लिए, मैं अब भाजपा में शामिल हो रहा हूं.’
कोतवाल ने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास हुआ है. उन्होंने मुझे 2007 में भाजपा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था और कहा था कि उन्हें मेरे जैसे समर्पित लोगों की जरूरत है जो आदिवासियों के उत्थान के लिए काम करें. हालांकि मैं 2007 में भाजपा में शामिल नहीं हुआ, लेकिन मैं तब से नरेंद्र मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक बन गया हूं.’
गौरतलब है कि दिसंबर में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं.
कोतवाल के इस्तीफे के बाद, 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के सदस्य घटकर 63 हो गए, जबकि भाजपा के पास 111 सदस्यों के साथ बहुमत है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि पिछले साल दिसंबर में वरिष्ठ आदिवासी विधायक सुखराम राठवा को विपक्ष का नेता (एलओपी) नियुक्त किए जाने के बाद कोतवाल पार्टी से नाखुश थे.
कोतवाल विपक्षी दल के मुख्य सचेतक थे और उन्हें सदन में पार्टी का नेता बनने की उम्मीद की थी, लेकिन फरवरी में सीजे चावड़ा ने उन्हें मुख्य सचेतक के रूप में बदल दिया.
मालूम हो कि बीते अप्रैल महीने में गुजरात कांग्रेस के नेता हार्दिक पटेल ने भी पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर अप्रसन्नता जाहिर की थी. पटेल ने ‘फैसला लेने की क्षमता’ के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की तारीफ की थी और कहा था कि विपक्षी दल (कांग्रेस) की प्रदेश इकाई नेतृत्व में इसका (निर्णय लेने की क्षमता का) अभाव है.
कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष पटेल ने यह भी कहा था कि उन्हें ‘हिंदू होने पर गर्व है.’ हालांकि, उन्होंने इन अटकलों को खारिज किर दिया था कि वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)