देश में कोविड-19 से हुई कुल मौतों के आंकड़े पर डब्ल्यूएचओ समेत कई स्वतंत्र विशेषज्ञों और संगठनों द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने साल 2020 का नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) डेटा जारी किया है. इसके अनुसार 2020 में देश में 81.2 लाख लोगों की मौत हुई और यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है.
नई दिल्ली: भारत के महापंजीयक (आरजीआई) कई महत्वपूर्ण संकेतकों के साथ साल 2020 का नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) डेटा जारी किया है, जिसमें इस साल में पंजीकृत मौतों की संख्या शामिल है.
2020 कोविड-19 महामारी का पहला साल था. भारत में इस संक्रामक रोग का प्रसार एक बड़ी लहर के रूप में हुआ जो उस वर्ष मार्च में शुरू हुई और सितंबर तक देश में इसके लगभग 53 लाख मामले आए थे. बताया गया था कि इस लहर में कोरोना वायरस का ‘मूल स्वरूप प्रभावी था.
हालांकि इसकी घातक दूसरी लहर साल 2021 के अप्रैल-मई महीनों में देखी गई, जब डेल्टा वैरिएंट ने देश में तबाही मचाई. आरजीआई द्वारा इस साल के आंकड़े जारी किया जाना बाकी है- जिसके सामने आने पर देश में इस महामारी से हुई कुल मौतों को लेकर स्पष्टता मिल सकेगी.
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना से हुई मौतों की संख्या को लेकर भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है, जहां सरकार द्वारा मौत के कम आंकड़े का बचाव क्र रही है, वहीं डब्ल्यूएचओ समेत कई स्वतंत्र विशेषज्ञों और संगठनों ने इसे मानने से इनकार किया है.
अब डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रत्येक देश के अतिरिक्त मौतों के आंकड़े जारी करने से पहले आरजीआई ने सीआरएस डेटा जारी किया है.
इसके अनुसार 2020 में देश में 81.2 लाख लोगों की मौत हुई और यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है जब देश में 76.4 लाख लोगों की मौत हुई थी. यहां यह तथ्य भी जानना जरूरी है कि साल 2019 में भी मृत्यु पंजीकरण में 2018 की तुलना में 9.93% की वृद्धि दर्ज की गई थी.
वर्ष 2020 के लिए आरजीआई की रिपोर्ट ‘नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित भारत की महत्वपूर्ण सांख्यिकी’ में कहा गया है कि पंजीकृत मौतों के मामले में, आंकड़ा 2019 में 76.4 लाख था जो 2020 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 81.2 लाख हो गया.
सीआरएस डेटा मौत के कारण के बारे में कुछ नहीं कहता है. यह एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है, जिसे ‘मृत्यु का चिकित्सकीय प्रमाणित कारण’ (medically certified cause of death [एमसीसीडी]) कहा जाता है. सरकार ने अभी साल 2020 की यह रिपोर्ट जारी नहीं की है.
हालांकि समाचार एजेंसी एएनआई ने मंगलवार शाम को एक ट्वीट में अप्रकाशित डेटा के आधार पर बताया कि 2020 में कोविड-19 के कारण लगभग 1.5 लाख और 2021 में अन्य 3.3 लाख लोगों की मौत हुई थी. इस आधार पर अनुसार, एमसीसीडी की रिपोर्ट में 2020 और 2021 में कोविड-19 के कारण 4.8 लाख लोगों की मौत होने का अनुमान है.
यहां एक पेंच है- इसी (अप्रकाशित) रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2020 में दर्ज 810 लाख मौतों में से केवल 18 लाख (2.2%) मौतों का कारण चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित हो सका. ऐसे में दो साल में कोविड-19 से 4.8 लाख लोगों की मौत का आंकड़ा बहुत कम है.
यही कारण है कि साल 2021 का सीआरएस डेटा महत्वपूर्ण है, क्योंकि दूसरी लहर में डेल्टा संस्करण के प्रकोप के दौरान भारत में मृत्यु दर बहुत ऊंची थी, जिसके कारण भारत संक्रमण के मामलों और मौतों की संख्या दोनों ही में महामारी तालिका के शीर्ष पर पहुंचा.
भारत के लगभग आधे राज्यों के लिए उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करने वाले ढेर सारे अध्ययनों ने अनुमान लगाया कि पूरे देश में पिछले दो वर्षों में 30-50 लोगों की मृत्यु होने की संभावना है.
गुरुवार सुबह उपलब्ध कराए गए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2020 की शुरुआत से अब तक 5,23,975 लोग कोरोना वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं.
गौरतलब है कि 2020 से ही ऐसी आशंकाएं हैं कि भारत में महामारी से मौतों को कम करके दिखाया गया है. अगस्त 2021 में द वायर पर प्रकाशित रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक खोजी रिपोर्ट में गुजरात के मृत्यु रजिस्टर के डेटा के हवाले से बताया गया था कि उस समय तक राज्य में कोविड से मौत का आधिकारिक आंकड़ा रजिस्टर से मिले डेटा से 27 गुना कम था.
इस साल की शुरुआत में महामारी विशेषज्ञ प्रभात झा ने द वायर को बताया था कि डब्ल्यूएचओ भारत के कोविड-19 मौतों संबंधी आंकड़ों पर भरोसा नहीं करता है क्योंकि भारत में अन्य देशों की तुलना में मौतों की संख्या को कम गिना गया है.
झा ने 6 जनवरी 2022 को प्रकाशित एक अध्ययन का भी हवाला दिया, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि कोविड-19 के कारण भारत में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से छह गुना अधिक हो सकती है.
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(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)