आरोप है कि बेंगलुरु में ईडी के जांचकर्ताओं से पूछताछ के दौरान शाओमी इंडिया के शीर्ष अधिकारियों को शारीरिक हिंसा और धमकी का सामना करना पड़ा. बीते अप्रैल माह में ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने के मामले में शाओमी के बैंक खातों में जमा 5,551 करोड़ रुपये ज़ब्त करने की बात कही थी. हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.
नई दिल्ली: चीन की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी शाओमी इंडिया ने आरोप लगाया है कि उसके शीर्ष अधिकारियों को भारत की वित्तीय अपराध से लड़ने वाली एजेंसी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा पूछताछ के दौरान ‘शारीरिक हिंसा’ और धमकी का सामना करना पड़ा है.
हालांकि जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को मोबाइल फोन विनिर्माता कंपनी शाओमी इंडिया के इन आरोपों को खारिज करने के साथ ही बेबुनियाद बताया कि कंपनी के अधिकारियों के बयान दबाव में दर्ज करवाए गए हैं.
ईडी ने यह बयान शाओमी की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में लगाए गए उस आरोप के संदर्भ में जारी किया है, जिसके मुताबिक बेंगलुरु में ईडी के जांचकर्ताओं से पूछताछ के दौरान कंपनी के शीर्ष अधिकारियों को मारपीट के अलावा दबाव बनाकर उन्हें धमकाया गया.
शाओमी इंडिया चीन की मोबाइल विनिर्माता कंपनी शाओमी की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी है. शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट भारत में एमआई (MI) ब्रांड के तहत मोबाइल फोन की बिक्री एवं वितरण करती है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बीते चार मई को शाओमी की ओर से कहा गया था कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने भारत में कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक मनु कुमार जैन, वर्तमान मुख्य वित्तीय अधिकारी समीर बीएस राव और उनके परिवारों को एजेंसी द्वारा चाहा गया बयान नहीं देने की सूरत में ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की धमकी दी गई थी.
हाईकोर्ट में कंपनी की ओर से बताया गया, एजेंसी के निर्देशों के अनुसार बयान नहीं देने पर जैन और राव को कुछ अवसरों पर धमकाया गया था. उन्हें गिरफ्तारी, करिअर की संभावनाओं के नुकसान, आपराधिक दायित्व और शारीरिक हिंसा सहित गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी.
आगे कहा गया है, अधिकारी कुछ समय के लिए दबाव का विरोध करने में सक्षम थे, (लेकिन) अंतत: वे इस तरह के अत्यधिक और शत्रुतापूर्ण दुर्व्यवहार और दबाव के तहत कमजोर पड़ गए और अनजाने में कुछ बयान दिए थे.
शाओमी ने लंबित कानूनी कार्यवाही का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा मनु कुमार जैन और बीएस राव ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया.
जैन अब शाओमी के ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट हैं और उन्हें भारत में शाओमी के उदय का श्रेय दिया जाता है, जहां इसके स्मार्टफोन बेहद लोकप्रिय हैं.
हालांकि शाओमी के इस आरोप के बारे में आईं कुछ खबरों पर एक बयान जारी करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि वह ‘एक पेशेवर एजेंसी है जो कामकाजी नैतिकता का पूरा ध्यान रखती है और कंपनी के अधिकारियों को किसी भी वक्त धमकाया नहीं गया और न ही उन पर दबाव बनाया गया.’
इस बयान के मुताबिक, ‘यह आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद हैं कि शाओमी इंडिया के अधिकारियों के बयान ईडी ने दबाव में दर्ज करवाए हैं. शाओमी इंडिया के अधिकारियों ने ईडी के समक्ष और फेमा कानून के तहत बयान अपनी मर्जी से दर्ज करवाए हैं.’
बीते 29 अप्रैल को ईडी ने जानकारी दी थी कि उसने शाओमी के बैंक खातों में जमा 5,551 करोड़ रुपये की राशि को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) नियमों का उल्लंघन करने के मामले में जब्त कर लिया है.
हालांकि बीते पांच मई को कर्नाटक हाईकोर्ट ने शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को राहत प्रदान करते हुए कंपनी के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त करने के ईडी के आदेश पर रोक लगा दी थी.
शाओमी ने किसी भी गलत काम से इनकार करते हुए कहा है कि उसके रॉयल्टी भुगतान वैध थे. इस मामले की अगली सुनवाई 12 मई को तय की गई है.
ईडी ने फरवरी में चीनी कंपनी द्वारा विदेश भेजे गए कथित ‘अवैध धन’ के सिलसिले में जांच शुरू की थी. वर्ष 2014 में भारत में अपना परिचालन शुरू करने वाली शाओमी ने अगले ही साल से यहां से धन चीन भेजना शुरू कर दिया था.
ईडी ने कहा था, ‘कंपनी ने 5,551.27 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा को रॉयल्टी के नाम पर विदेश स्थित तीन कंपनियों को भेजा है. इनमें शाओमी समूह की एक कंपनी भी शामिल है.’
एजेंसी ने कहा था, ‘अन्य दो अमेरिकी असंबद्ध कंपनियों को भेजी गई राशि भी अंतत: शाओमी समूह की कंपनियों के लाभ के लिए थी. रॉयल्टी के नाम पर इतनी बड़ी राशि उनके चीनी मूल कंपनी के निर्देश पर ही भेजी गई थी.’
प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, शाओमी इंडिया भारत के विनिर्माताओं से पूरी तरह तैयार मोबाइल सेट और अन्य उत्पाद खरीदती है. उसने इन तीन विदेशी कंपनियों में से किसी की सेवा नहीं ली, जिन्हें यह राशि भेजी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)