कोर्ट ने कहा, केंद्रीय मंत्री किसानों को चेतावनी वाला बयान न देते तो शायद लखीमपुर हिंसा न होती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक व्यक्तियों को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है. हिंसा से पहले कृषि क़ानूनों को ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने दो मिनट में ठीक कर देने की चेतावनी दी थी.

अजय मिश्रा. (फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक व्यक्तियों को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है. हिंसा से पहले कृषि क़ानूनों को ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने दो मिनट में ठीक कर देने की चेतावनी दी थी.

अजय मिश्रा. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की कथित संलिप्तता वाली लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों- लवकुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी.

अदालत ने पाया कि यह घटना नहीं होती अगर केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ ने हिंसा से पहले पहले कथित बयान नहीं दिया होता.

इस बीच आशीष मिश्र की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 मई तक के लिए टाल दी गई.

जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ये सभी मुख्य आरोपी आशीष के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाने एवं इस जघन्य कांड को अंजाम देने में शामिल रहे थे.

अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी आरोपी राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हैं, अत: जमानत पर छूटने के बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे.

पीठ ने एसआईटी (विशेष जांच दल) के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि यदि केंद्रीय मंत्री टेनी ने कुछ दिन पहले किसानों के खिलाफ जनता के बीच कुछ कटु वक्तव्य न दिए होते तो ऐसी घटना न होती.

पीठ ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे हुए राजनीतिक व्यक्तियों को जनता के बीच मर्यादित भाषा में बयान देना चाहिए और उन्हें अपने पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सिंह ने कहा, उच्च पदों पर आसीन राजनीतिक व्यक्तियों को समाज में इसके प्रभावों को देखते हुए सभ्य भाषा में सार्वजनिक भाषण देना चाहिए. उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है.’

जस्टिस सिंह ने कहा, ‘जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, यह घटना शायद नहीं होती अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कथित बयान नहीं दिया.’


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25 सितंबर, 2021 को एक जनसभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से खुद ‘अनुशासित’ करने के की बात कहते हुए कहा था कि नहीं तो हम तुम्हें अनुशासित करेंगे.

हिंसा से पहले किसानों को दी गई चेतावनी देने के उनके वक्तव्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें उन्हें यह कहते सुना जा सकता है, ‘सामना करो आकर, हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल.’

अपने आदेश में पीठ ने कहा कि जब उस क्षेत्र में धारा 144 लागू थी तो केंद्रीय मंत्री के गांव में कुश्ती प्रतियोगिता को रद्द न किया जाना प्रशासनिक अनदेखी है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि उप-मुख्यमंत्री (केशव प्रसाद मौर्य) को क्षेत्र में धारा 144 लागू होने का ज्ञान न रहा होगा तो भी उन्होंने और केंद्रीय मंत्री ने कुश्ती प्रतियोगिता में शामिल होने का निर्णय लिया.

दूसरी ओर मामले के मुख्य आरोपी आशीष की जमानत अर्जी जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ के सामने लगी थी, किन्तु उस पर सुनवाई टल गयी. गौरतलब है कि आशीष की मंजूर जमानत सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को खारिज कर दी था और मामले को वापस हाईकोर्ट को नए सिरे से सुनवाई के लिए भेज दिया था.  रद्द कर दी थी

हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी, जिसने चार महीने हिरासत में बिताए थे. जमानत खारिज होने के बाद आशीष मिश्रा ने अदालत में समर्पण कर दिया था.

 

गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

दरअसल तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

आरोप है कि इस दौरान अजय मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.

मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.

महिंद्रा थार वाहन के मालिक आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था.

गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी ​के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.

इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.

हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.

दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.

संयुक्त किसान मोर्चा ने चार आरोपियों को जमानत नहीं दिए जाने का स्वागत किया

इधर, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के सहयोगियों की जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने का स्वागत किया. एक आधिकारिक बयान में यह कहा गया.

मोर्चा ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अंकित दास, शिशुपाल, सुमित जायसवाल और लवकुश की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.

बयान में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इन आरोपियों की सभी दलीलों को खारिज करते हुए ‘आरोपियों के राजनीतिक दबदबे को रेखांकित किया और कहा कि अगर उन्हें जमानत मिल जाती है तो ऐसी स्थिति में सबूत नष्ट होने और गवाहों पर असर पड़ने की आशंका है.’

किसान संगठन ने कहा कि अदालत की इन टिप्पणियों के बाद अजय मिश्रा टेनी के पास मंत्री बने रहने के लिए ‘कोई बहाना नहीं बचा’ है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)