इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक आज़म ख़ान को अंतरिम ज़मानत दे दी. इसी मामले में ज़मानत अर्जी पर सुनवाई में देरी को लेकर दर्ज याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
इलाहाबाद/नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को मंगलवार को अंतरिम जमानत दे दी. आजम खान ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के लिए यह संपत्ति हड़पी थी.
अदालत ने रामपुर के जिलाधिकारी को 30 जून, 2022 तक जौहर विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित शत्रु संपत्ति का कब्जा लेने और एक चहारदीवारी खड़ी करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने अपने निर्देश में कहा कि जमीन का कब्जा लेने की कवायद जिलाधिकारी रामपुर की संतुष्टि के मुताबिक पूरा होने पर आजम खान की अंतरिम जमानत, नियमित जमानत में तब्दील हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि 13.842 हेक्टेयर की विवादित जमीन इमामुद्दीन कुरैशी नाम के व्यक्ति की थी जो देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और भारत की नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली.
अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि जमानत किसी भी आरोपी का अधिकार है और जेल अपवाद है, इसलिए मानवीय आधार पर यह अदालत याचिकाकर्ता के खराब होते स्वास्थ्य, बढ़ती आयु और जेल में बिताई अवधि को ध्यान में रखते हुए कुछ शर्तों के साथ जमानत की अर्जी मंजूर करती है.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी रिहाई के दिन संबद्ध अदालत के समक्ष अपना पासपोर्ट जमा करेगा और उसका भविष्य मुकदमा खत्म होने पर तय होगा. वह इस बात का शपथपत्र देगा कि वह साक्ष्य के लिए तय दिन पर सुनवाई टालने की मांग नहीं करेगा खासकर तब जब जब गवाह अदालत में मौजूद होंगे.
अदालत ने कहा कि निचली अदालत याचिकाकर्ता की रिहाई के बाद एक साल के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरा करने का हर संभव प्रयास करेगी. किसी भी शर्त का उल्लंघन जमानत रद्द करने का आधार होगा.
अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता मोहम्मद आजम खान करीब ढाई साल से जेल में हैं, उन्हें एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि की दो प्रतिभूतियां जमा करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि आजम खान और अन्य लोगों पर कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने और सैकड़ों करोड़ रुपये से अधिक के सरकारी धन का दुरुपयोग करने के लिए रामपुर के आजम नगर पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 201, 409, 447, 420, 467, 468, 471 के साथ ही लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 2 के तहत दर्ज कराई गई थी.
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि आजम खान के खिलाफ 87 आपराधिक मामले लंबित हैं. इनमें से 84 एफआईआर साल 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद के दो वर्षों में दर्ज की गई थीं. इन 84 मामलों में से 81 मामले 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और बाद की अवधि के दौरान दर्ज किए गए थे.
आजम खान के समर्थकों का मानना है कि ये एफआईआर उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में रखने के इरादे से भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्राप्त शिकायतों के आधार पर दर्ज की गई हैं.
आजम खान की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया
जमीन हड़पने के मामले में अपनी जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की ओर से दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने राज्य सरकार को मामले में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और कहा कि इस पर अगले मंगलवार को सुनवाई होगी.
पीठ ने कहा, ‘यह क्या है? उन्हें जाने क्यों नहीं दिया गया. वह दो साल से जेल में बंद हैं. एक या दो मामलों में ठीक है, लेकिन यह 89 मामलों में नहीं हो सकता है. जब भी उन्हें जमानत मिलती है, तो उनको फिर से किसी और प्रकरण में जेल भेज दिया जाता है. आप (सरकार) जवाब दाखिल करें. हम मंगलवार को सुनवाई करेंगे.’
खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक चिंताजनक मामला है जिस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि गलत धारणा बनाई जा रही है. खान के खिलाफ दर्ज प्रत्येक मामले में कुछ न कुछ सार है.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह न्याय का मजाक है.
पीठ ने कहा था, ‘वह (खान) इतने लंबे समय से एक को छोड़कर सभी मामलों में उन्हें जमानत दे दी गई है. यह न्याय का मजाक है. हम और कुछ नहीं कहेंगे.’
खान की ओर से पेश वकील ने उच्च न्यायालय को बताया था कि दिल्ली की एक अदालत ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के प्रकरण में खान की जमानत अर्जी पर पांच मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
आजम फिलहाल कई मामलों के संबंध में सीतापुर जेल में बंद हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)