पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को सम्मानित किए जाने के विरोध में लेखक ने अपना पुरस्कार लौटाया

बांग्ला भाषा की लेखक एवं लोक संस्कृति शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर विशेष पुरस्कार देने के पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के फैसले के विरोध में यह क़दम उठाया है. उन्होंने कहा कि यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा. अकादमी का वह बयान सत्य का उपहास है, जिसमें साहित्य के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों की प्रशंसा की गई है.

New Delhi: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee at Parliament House, in New Delhi on Wednesday, Aug 1, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI8_1_2018_000153B)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

बांग्ला भाषा की लेखक एवं लोक संस्कृति शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर विशेष पुरस्कार देने के पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के फैसले के विरोध में यह क़दम उठाया है. उन्होंने कहा कि यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा. अकादमी का वह बयान सत्य का उपहास है, जिसमें साहित्य के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों की प्रशंसा की गई है.

New Delhi: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee at Parliament House, in New Delhi on Wednesday, Aug 1, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI8_1_2018_000153B)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: एक बंगाली लेखिका एवं लोक संस्कृति शोधकर्ता ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर विशेष पुरस्कार देने के पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के फैसले के विरोध में बीते 10 मई को अकादमी द्वारा दिया गया पुरस्कार लौटा दिया.

रत्ना राशिद बनर्जी ने ‘अन्नद शंकर स्मारक सम्मान’ लौटाया है, जिससे अकादमी ने साल 2019 में उन्हें सम्मानित किया था.

अकादमी के अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को लिखे एक पत्र में राशिद बनर्जी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री को रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर एक नया साहित्य पुरस्कार प्रदान करने के अकादमी के फैसले के मद्देनजर यह पुरस्कार उनके लिए ‘कांटों का ताज’ बन गया है.

राशिद बनर्जी ने कहा, ‘पत्र में मैंने उन्हें तत्काल प्रभाव से पुरस्कार वापस करने के अपने निर्णय के बारे में सूचित किया है. एक लेखक के रूप में मैं मुख्यमंत्री को साहित्य पुरस्कार देने के कदम से अपमानित महसूस कर रही हूं. यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा. अकादमी का वह बयान सत्य का उपहास है, जिसमें साहित्य के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों की प्रशंसा की गई है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राशिद बनर्जी ने कहा, ‘मुझे उनका फैसला पसंद नहीं आया और इसलिए मैंने अपना पुरस्कार वापस करने का फैसला किया है. मेरे इस कदम के पीछे कोई राजनीति नहीं है. मुझे इस पर जो कुछ भी कहना था, मैंने एक लिखित बयान में कहा है.’

राशिद बनर्जी, जिन्होंने 30 से अधिक लेख और लघु कथाएं लिखी हैं, ने लोक संस्कृति पर शोध कार्य भी किया है, जिसमें समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्ग भी शामिल हैं.

इस वर्ष शुरू किए गए इस पुरस्कार की घोषणा बीते नौ मई को टैगोर की जयंती मनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की पुस्तक ‘कबिता बितान’ के लिए की गई थी, जो 900 से अधिक कविताओं का संग्रह है.

चूंकि मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थीं, इसलिए उनकी ओर से ब्रत्य बसु को पुरस्कार सौंप दिया गया. बंगाली लेखक के अनुसार, मुख्यमंत्री पुरस्कार की घोषणा के बाद उसे स्वीकार न करके परिपक्वता दिखा सकतीं थीं.

2020 अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले में ‘कबिता बितान’ का विमोचन किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)