एफसीआरए उल्लंघन: गृह मंत्रालय के अधिकारियों समेत सीबीआई ने 14 लोगों को गिरफ़्तार किया

सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.

(फोटो साभार: ट्विटर)

सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.

(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर एफसीआरए नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी चंदों को मंजूरी दिलाने के मामले में देशभर में 40 जगहों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा बिचौलियों के खिलाफ अभियान चलाया और 14 लोगों को गिरफ्तार किया.

इस कार्रवाई के दौरान 3.21 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

एजेंसी ने मंत्रालय की शिकायत पर 10 मई को 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन लोगों में गृह मंत्रालय के एफसीआरए डिवीजन के सात अधिकारियों के साथ ही एनजीओ के प्रतिनिधि और बिचौलिये शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीबीआई ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम और मणिपुर सहित लगभग 40 स्थानों पर आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली.

सीबीआई के अनुसार, एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि एफसीआरए डिवीजन के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साजिश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से गैर-सरकारी संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त करने के भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.

सीबीआई की एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया कि कुछ लोक सेवक खुद को एफसीआरए डिवीजन में तैनात अधिकारी के रूप में दिखा रहे थे और एफसीआरए के तहत पंजीकरण/नवीनीकरण और अन्य एफसीआरए से संबंधित कार्यों के लिए गैर सरकारी संगठनों से रिश्वत प्राप्त कर रहे थे.

इसने इस संबंध में गृह मंत्रालय अधिकारी प्रमोद कुमार भसीन का नाम लिया, जो पहले एफसीआरए डिवीजन में काम करते थे.

अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने पाया कि कम से कम तीन नेटवर्क सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे, जो गैर सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (एफसीआरए) संबंधी मंजूरी में तेजी लाने के लिए उनसे पैसे ले रहे थे, ताकि उन्हें विदेशी चंदा मिल सके.

मंत्रालय ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 29 मार्च को सीबीआई को एक पत्र लिखकर कहा था कि कम से कम तीन एफसीआरए मंजूरी नेटवर्क कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

अधिकारियों ने कहा कि जब यह मामला गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के अनुसार कुछ अधिकारी एफसीआरए के तहत पंजीकरण व पंजीकरण के नवीनीकरण और एफसीआरए से संबंधित अन्य कार्यों के लिए गैर सरकारी संगठनों से कथित तौर पर रिश्वत ले रहे थे.

उन्होंने बताया कि जांच के दौरान दो आरोपियों को गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ लेखाकार की ओर से चार लाख रुपये की रिश्वत लेते व देते हुए पकड़ा गया.

आरोप है कि अवाडी (तमिलनाडु) में एक हवाला ऑपरेटर और उक्त अधिकारी के एक करीबी सहयोगी के जरिये रिश्वत दी गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए सरकारी अधिकारियों की पहचान- गृह मंत्रालय के वरिष्ठ लेखाकार प्रमोद कुमार भसीन, जो पहले एफसीआरए डिवीजन में तैनात थे, आलोक रंजन (पहले एफसीआरए डिवीजन में काम करते थे), राज कुमार (लेखाकार, एफसीआरए), मोहम्मद शहीद खान (सहायक निदेशक, एफसीआरए, दिल्ली), मोहम्मद गजानफर अली (जो पहले एफसीआरए डिवीजन में तैनात थे) और एफसीआरए डिवीजन के अधिकारी तुषार कांति रॉय के रूप में हुई है.

एफआईआर में प्रदीप कुमार भसीन को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया, जो नियमित रूप से गैर सरकारी संगठनों से संपर्क करते थे, जिनका पंजीकरण नवीनीकरण गृह मंत्रालय के पास लंबित था और उनकी फाइलों को क्लियर करने में 1-4 लाख रुपये के बीच रिश्वत लेते थे.

सीबीआई के अनुसार, एक अन्य अधिकारी आलोक रंजन ने रविशंकर अंबस्थ के साथ मिलकर क्रिस्चियन लाइफ सेंटर मिनिस्ट्रीज के प्रशासक अल्फ्रेड मोहंती से संपर्क किया था, ताकि उन्हें अपने एनजीओ एएमजी इंडिया इंटरनेशनल के खिलाफ धर्मांतरण की शिकायतों को हल करने में मदद मिल सके. उन्होंने कथित तौर पर 15 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी.

चंडीगढ़ में फर्जी छापेमारी करने के आरोप में सीबीआई के चार अधिकारी गिरफ्तार

इधर, चंडीगढ़ पुलिस ने सीबीआई के चार अधिकारियों को उगाही करने के इरादे से एक आईटी कंपनी पर फर्जी छापेमारी के आरोप में गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि ये चारों आरोपी अधिकारी बुधवार को कथित तौर पर ‘तलाशी’ के लिए चंडीगढ़ गए थे, जबकि ये वहां तैनात ही नहीं थे. उनके पास इस अभियान को अंजाम देने के लिए कोई आधिकारिक आदेश भी नहीं था.

अधिकारियों ने बताया कि कंपनी के कर्मचारियों ने शक होने पर उन्हें घेर लिया और पुलिस को बुलाया.

सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी की नीति भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है जिसके तहत आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)