सुनील जाखड़ ने पार्टी छोड़ते हुए कहा, भविष्य के लिए शुभकामनाएं और अलविदा कांग्रेस

कांग्रेस ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पिछले महीने सुनील जाखड़ को सभी पदों से हटा दिया था. पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख जाखड़ 11 अप्रैल को उन्हें मिले ‘कारण बताओ’ नोटिस को लेकर पार्टी से नाराज़ थे. इस्तीफ़ा देते समय उन्होंने पार्टी नेतृत्व और ख़ासकर अंबिका सोनी पर निशाना साधा.

सुनील जाखड़. (फोटो साभार: फेसबुक)

कांग्रेस ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पिछले महीने सुनील जाखड़ को सभी पदों से हटा दिया था. पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख जाखड़ 11 अप्रैल को उन्हें मिले ‘कारण बताओ’ नोटिस को लेकर पार्टी से नाराज़ थे. इस्तीफ़ा देते समय उन्होंने पार्टी नेतृत्व और ख़ासकर अंबिका सोनी पर निशाना साधा.

सुनील जाखड़. (फोटो साभार: फेसबुक)

चंडीगढ़: पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति (पीपीसीसी) के प्रमुख सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले का ऐलान करते हुए शनिवार को कहा, ‘गुड लक और गुडबाय कांग्रेस’.

कांग्रेस ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पिछले महीने उन्हें सभी पदों से हटा दिया था.

जाखड़ ने यह निर्णय ऐसे समय पर लिया है, जब उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ चल रहा है. असंतुष्ट नेता ने अपने फेसबुक पेज पर लाइव आकर, कांग्रेस छोड़ने के फैसले की घोषणा की.

कांग्रेस से तीन पीढ़ियों और करीब 50 साल पुराने रिश्ते को तोड़ने की घोषणा करते हुए जाखड़ ने कहा, ‘पार्टी के लिए यह (मेरी विदाई) उपहार है. भविष्य के लिए शुभकामनाएं और अलविदा कांग्रेस.’

उन्होंने कहा, ‘पार्टी से अलग होकर आज उसे मैं उपहार दे रहा हूं. कांग्रेसजनों को ये मेरे आखिरी शब्द हैं. भविष्य के लिए शुभकामनाएं और अलविदा कांग्रेस.’

पार्टी पर ‘दिल तोड़ने’ का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ नेता ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दोस्त और दुश्मनों की पहचान करने की सलाह दी तथा कहा कि उन्हें कांग्रेस की कमान अपने हाथों ले ले लेनी चाहिए लेकिन ‘चापलूसों’ से सावधान रहना चाहिए.

पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख जाखड़ 11 अप्रैल को उन्हें मिले ‘कारण बताओ’ नोटिस को लेकर पार्टी से नाराज थे. उन्होंने कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति को नोटिस का जवाब नहीं दिया था.

उल्लेखनीय है कि जाखड़ से पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार और आरपीएन सिंह ने हाल के दिनों में कांग्रेस का दामन छोड़ा है.

फेसबुक लाइव के दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व और खासकर अंबिका सोनी पर निशाना साधा. उन्होंने जिस तरह से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया, उसकी भी आलोचना की.

जाखड़ ने अपने खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया. उन्होंने कहा था कि अगर कोई उनकी टिप्पणियों से आहत हुआ है तो वह खेद जताते हैं.

जाखड़ ने पहले यह दावा करके तूफान खड़ा कर दिया था कि 42 विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और केवल दो ने चन्नी का समर्थन किया है.

जाखड़ ने ‘दिल्ली में बैठे’ कुछ नेताओं, खासकर अंबिका सोनी पर हमला करते हुए कहा कि जब तक ऐसे नेताओं से कांग्रेस को मुक्ति नहीं मिलेगी, तब तक वह पंजाब में अपना जनाधार नहीं बना सकती.

पिछले साल कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जाखड़ इस पद के दावेदारों में आगे चल रहे थे, लेकिन पार्टी की नेता अंबिका सोनी ने कहा था कि पार्टी को एक सिख को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए.

जाखड़ ने याद दिलाया कि वह अंबिका सोनी ही थीं जिन्होंने एक बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का विरोध किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अपने संबोधन के दौरान तीन बार के विधायक और एक बार के सांसद रहे सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी पर निशाना साधा और उन पर यह कहानी गढ़ने का आरोप लगाया कि पंजाब में हिंदू मुख्यमंत्री नहीं होना चाहिए.

जाखड़ ने कहा कि सोनी ने ‘पंजाब और सिखों पर धब्बा लगाया है और हिंदुओं को बदनाम और अपमानित किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘क्या कोई मतलब है कि ऐसे नेता कांग्रेस में बने रहें?’

जाखड़ ने पंजाब मामलों के पूर्व पार्टी प्रभारी हरीश रावत पर भी निशाना साधा. उन्होंने उत्तराखंड चुनाव में रावत की हार को ‘ईश्वर का न्याय’ करार दिया और पंजाब में कांग्रेस की स्थिति के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ‘रावत को अमरिंदर सिंह को अस्थिर करने के लिए भेजा गया था.’

उन्होंने अन्य राज्यों में पार्टी की हार के लिए उन्हें (जाखड़) जिम्मेदार ठहराने वाली कथित टिप्पणी के लिए वर्तमान कांग्रेस पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चौधरी की भी आलोचना की. जाखड़ ने पूछा कि अगर वह कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार हैं तो उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाल दिया गया.

जाखड़ ने पार्टी के भीतर चल रहे विरोधाभासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि राजस्थान का मुख्यमंत्री होने के बावजूद अशोक गहलोत को हर 15 दिन में कहना पड़ता है कि वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

जाखड़ ने कहा कि उदयपुर में हो रहा पार्टी का ‘चिंतन शिविर’ महज औपचारिकता है. उनके मुताबिक, इसका नाम ‘चिंता शिविर’ होना चाहिए था, न कि ‘चिंतन शिविर’ क्योंकि पार्टी को इस बैठक में अपने भविष्य की चिंता करनी थी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों पर हमेशा ये आरोप लगते रहे हैं कि उनमें एक ‘किचन कैबिनेट’ और नेताओं की एक ‘कोठरी’ हुआ करती है.

जाखड़ ने आरोप लगाया कि 20 साल की उनकी सक्रिय राजनीति में ‘यह कोठरी अब गैंग में तब्दील’ हो चुकी है. उन्होंने कहा कि वह बड़ी जिम्मेदारी से यह आरोप लगा रहे हैं.

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के लिए गांधी परिवार बहुत आवश्यक है और राहुल गांधी बहुत ही अच्छे व सही व्यक्ति हैं. उन्होंने कहा कि वह राहुल गांधी की वजह से ही इतने साल तक कांग्रेस में रहे.

हालांकि उन्होंने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देते हुए कहा, ‘अगर आप दोस्त और दुश्मन का फर्क नहीं करेंगे तो आप यह नहीं समझ पाएंगे कि कौन आपके लिए संपत्ति साबित हो सकता है और कौन बोझ.’

पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जाखड़ ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना की थी और उन्हें कांग्रेस के लिए ‘बोझ’ बताया था.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज अस्तित्व के संकट से गुजर रही है, ऐसे में सबसे पहले उसे खुद को मजबूत करना होगा. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और कृषि जैसे विषयों पर अलग-अलग समितियां बनाने से पार्टी का भला नहीं होने वाला है.

जाखड़ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस की बुरी हार का भी उल्लेख किया और कहा कि पार्टी को इन हार के कारणों का पता लगाना चाहिए था तथा उसके लिए समिति गठित करनी चाहिए थी.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो पार्टी के 390 उम्मीदवारों को 2,000 वोट भी नहीं मिले जबकि सबको पता है कि पंचायत चुनाव में खड़ा कोई उम्मीदवार भी इतने वोट हासिल कर लेता है.

जाखड़ ने सवाल किया, ‘क्या इस पर (उत्तर प्रदेश में हार पर) कोई चर्चा होगी.’

गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)