उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कोतवाली देहात इलाके में बीते दो मई को नगर निगम के आदेश पर चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान शौचालय की छत गिरने से 43 वर्षीय मज़दूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. बीते 13 मई को उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. स्थानीय लोगों के अनुसार, इलाके में जिन आठ घरों को तोड़ा गया, उससे प्रभावित परिवार 70 से अधिक साल से वहां रह रहे थे.
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के कोतवाली देहात इलाके में एक सप्ताह पहले प्रशासन की ओर से चलाए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान शौचालय की छत गिरने से घायल हुए 43 वर्षीय एक मजदूर की बीते 13 मई को अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
मृतक की पहचान रोहतास के रूप में हुई है, उनके सिर पर गंभीर रूप से चोट लगी हुई थी. पुलिस ने इस संबंध में तीन लोगों के खिलाफ ‘लापरवाही के चलते हुई मौत’ के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.
मामले में पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, स्थानीय नगर पालिका के आदेश पर स्थानीय ठेकेदार मोहित चौधरी और अन्य दो मई को अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे.
कोतवाली देहात इलाके के आवास विकास द्वितीय के अंतर्गत ‘टाडा की झोपड़ी’ इलाके के रहने वाले गोपाल द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक, दो मई को दोपहर तीन बजे मोहित और अन्य लोग ‘टाडा की झोपड़ी’ में बुलडोजर लेकर पहुंचे और गोपाल के बहनोई रोहतास और दूसरे लोगों के मकान तोड़ने लगे.
लोगों ने विरोध किया, लेकिन अभियान जारी रहा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बुलंदशहर पुलिस ने ठेकेदार मोहित चौधरी, हरीश चौधरी और उनके बेटे कपिल के खिलाफ धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की है. हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. रोहतास के साले गोपाल की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है.
बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने कहा, ‘नगर पालिका ने 2 मई को सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माण को गिरा दिया था. अतिक्रमण-रोधी अभियान के दौरान एक शौचालय की छत पीड़ित पर गिर गई थी, जिससे वह घायल हो गए थे और शुक्रवार (13 मई) को उन्होंने दम तोड़ दिया.’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शौचालय सरकारी जमीन पर बनाया गया है. मौत के बाद स्थानीय निवासियों ने मुर्दाघर के बाहर धरना दिया और अतिक्रमण-रोधी अभियान में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद ही लोगों ने धरना खत्म किया था.
शिकायतकर्ता गोपाल ने कहा कि ठेकेदारों ने उन्हें बताया कि उन्हें नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी द्वारा क्षेत्र में अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था.
गोपाल ने बताया कि अभियान के दौरान रोहतास के अलावा उनका रिश्तेदार सुमित (25 वर्ष) और भाई नरेश भी घायल हो गए थे. सुमित की पीठ पर चोट लगी है.
पीड़ित के पड़ोसी वकील जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि नगर पालिका के ठेकेदारों ने इलाके में आठ घरों को तोड़ दिया. उन आठ घरों के परिवार 70 से अधिक साल से वहां रह रहे थे. परिजनों का आरोप है कि कार्रवाई से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया.
नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार रस्तोगी ने कहा कि जमीन नगर पालिका की है और यह पुराना मसला है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)