थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/मुंबई: थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (महंगाई दर) अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. यह तेजी खाद्य वस्तुओं से लेकर जिंसों तक के महंगा होने की वजह से हुई.

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है.

आंकड़ों से पता चलता है, बीते मार्च महीने के दौरान थोक मूल्य सूचकांक में 14.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि फरवरी के लिए इसे 13.43 प्रतिशत से संशोधित कर 13.11 प्रतिशत किया गया था.

माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक अगले महीने नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकता है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘अप्रैल, 2022 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में वस्तुओं की मुद्रास्फीति में 8.35 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई थी.

इससे पहले के महीने में यह 8.06 फीसदी था. महीने-दर-महीने मामूली वृद्धि के लिए सब्जियों की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत थी.

आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में 19.88 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले सब्जियों की कीमतें अप्रैल में 23.24 प्रतिशत बढ़ीं. आलू के दाम 19.84 फीसदी चढ़े, जबकि प्याज (-)4.02 फीसदी फिसले.

हालांकि फलों की कीमतों में पिछले महीने मार्च में 10.62 प्रतिशत से 10.89 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि गेहूं की कीमतें एक महीने पहले 14.04 प्रतिशत से घटकर 10.70 प्रतिशत हो गईं.

अंडे, मांस और मछली की कीमतें अप्रैल में एक महीने पहले 9.42 प्रतिशत से घटकर 4.50 प्रतिशत हो गईं और मार्च में 8.12 प्रतिशत की तुलना में पिछले महीने अनाज 7.80 प्रतिशत बढ़ गया.

कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पाद खंड (Manufactured Products Segment) अप्रैल में मुद्रा​स्फीति 10.85 प्रतिशत बढ़ी, जो एक महीने पहले 10.71 प्रतिशत थी.

रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति की बात करें तो मार्च में यह 34.52 प्रतिशत से अप्रैल में बढ़कर 38.66 प्रतिशत हो गई. पेट्रोल की कीमत में 60.63 प्रतिशत, हाई-स्पीड डीजल में 66.14 प्रतिशत और एलपीजी की कीमतों में 38.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी.

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चीन में कमजोर मांग के परिणामस्वरूप जिंस कीमतों में कुछ नरमी से रुपये में गिरावट की भरपाई हो सकती है. उन्होंने कहा कि मई में थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत से कम रह सकती है, हालांकि यह उच्चस्तर पर बनी रहेगी.

उन्होंने कहा कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दो अंक में बनी हुई है, इसलिए जून, 2022 में मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो दर में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है. नायर ने कहा कि जून, 2022 में 0.40 प्रतिशत और अगस्त में 0.35 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है.

रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर से उबरकर सात पैसे की तेजी के साथ 77.47 प्रति डॉलर पर

घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार तेजी के बीच अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर 77.79 से उबरता हुआ सात पैसे की तेजी के साथ बंद हुआ.

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.67 पर कमजोर खुला तथा निराशाजनक वृहद आर्थिक आंकड़े सामने आने के बाद दिन में कारोबार के सबसे निचले स्तर 77.79 प्रति डॉलर पर आ गया.

हालांकि, घरेलू शेयर बाजार में भारी तेजी के कारण रुपये में सुधार का दौर लौटा और कारोबार के अंत में रुपया 77.48 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव 77.55 रुपये से सात पैसे की तेजी को दर्शाता है. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार सोमवार को बुद्ध पुर्णिमा के मौके पर बंद था.

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.41 प्रतिशत गिरकर 103.75 रह गया.

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा का दाम 0.74 प्रतिशत बढ़कर 115.09 डॉलर प्रति बैरल हो गया. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,344.63 अंक की तेजी के साथ 54,318.47 अंक पर बंद हुआ.

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने सोमवार को 1,788.93 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)