ज्ञानवापी मस्जिद: सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की अदालत से 20 मई तक कार्यवाही आगे न बढ़ाने को कहा

शीर्ष अदालत ने बीते 17 मई को वाराणसी के ज़िला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज़’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था. इधर, ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट वाराणसी की अदालत को सौंप दी गई है.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

शीर्ष अदालत ने बीते 17 मई को वाराणसी के ज़िला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज़’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था. इधर, ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट वाराणसी की अदालत को सौंप दी गई है.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में वाराणसी की एक अदालत के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित करने के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की. साथ ही वाराणसी की अदालत, जिसके समक्ष इस मामले की कार्यवाही लंबित है, से कहा कि इस मामले में तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ को वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि दीवानी मामले में हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से पेश होने वाले मुख्य अधिवक्ता हरिशंकर जैन अस्वस्थ हैं. वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत से शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करने का अनुरोध किया.

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि विभिन्न मस्जिदों को ‘सील’ करने के लिए देशभर में कई अर्जियां दायर की गई हैं और वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई चल रही है.

उन्होंने पीठ से कहा कि उनकी एकमात्र आशंका यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद में ‘वजूखाना’ के पास एक दीवार को गिराने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है और कार्यवाही जारी है.

अहमदी ने कहा कि वह किसी वकील के स्वास्थ्य के आधार पर सुनवाई स्थगित किए जाने का विरोध नहीं कर सकते, लेकिन एक हलफनामा दिया जाना चाहिए कि हिंदू श्रद्धालु दीवानी अदालत में कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाएंगे.

अदालत ने तब पाया कि सुनवाई स्थगित करने की स्थिति में कार्यवाही नहीं चल सकती. पीठ ने स्थगन का अनुरोध करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से कहा कि दूसरे पक्ष द्वारा व्यक्त की गई आशंका को देखते हुए उन्हें गुरुवार को निचली अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए.

वकील विष्णु ने कहा कि वे पीठ को आश्वस्त कर रहे हैं कि हिंदू पक्षकार वाराणसी में दीवानी अदालत के सामने सुनवाई आगे नहीं बढ़ाएंगे.

पीठ ने दलीलों को दर्ज किया और दीवानी अदालत को अपने पिछले आदेश के अनुसार सख्ती से कार्रवाई करने और मुकदमे में आगे कोई कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश दिया.

साथ ही अदालत ने दीवानी अदालत को मामले में शुक्रवार को तब तक कार्यवाही आगे न बढ़ाने को कहा, जब तक वह इस मामले में सुनवाई नहीं कर लेगा. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेगा.

शीर्ष अदालत ने 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था.

हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने दीवानी न्यायाधीश, वाराणसी के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े वाद की सुनवाई कर रहे हैं.

न्यायालय ने याचिकाकर्ता हिंदू श्रद्धालुओं को नोटिस जारी कर मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख निर्धारित की थी.

इससे पहले बीते 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए वाराणसी की अदालत के हालिया आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली एक अपील पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.

मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मामले को लेकर शीर्ष अदालत पहुंचे थे. अहमदी ने तर्क दिया था कि वाराणसी की अदालत का फैसला उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के विपरीत है.

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कहता है कि पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप जारी रहेगा, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था.

हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत को मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से पहले मामले की फाइलों की जांच करनी होगी.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वेक्षण रिपोर्ट वाराणसी अदालत को सौंपी गई

विशेष एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए आयोग के सर्वेक्षण कार्य की रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि जिले की एक अदालत द्वारा नियुक्त विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने 14, 15 और 16 मई को किए गए सर्वेक्षण कार्य की रिपोर्ट जिला सिविल न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की.

यादव ने बताया कि अदालत द्वारा हटाए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने छह और सात मई को की गई ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट बुधवार देर शाम अदालत को सौंप दी थी.

विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने रिपोर्ट पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘मैंने 14, 15 और 16 मई की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी है. रिपोर्ट में क्या है यह मुझे बताने का अधिकार नहीं है. अब रिपोर्ट पर आगे की कार्यवाही अदालत करेगी.’

विशाल सिंह ने कहा कि वीडियोग्राफी और ‘स्टिल फोटोग्राफी’ के साथ दस्तावेज भी जमा किए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह मेरी तरफ से अंतिम रिपोर्ट है. अगर अदालत को लगता है कि यह पर्याप्त है तो ठीक है, अन्यथा किसी और आवश्यकता के लिए अदालत के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी.’

गौरतलब है कि अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को बीते 17 मई को पद से हटा दिया था.

अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए अजय कुमार मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में पद से हटा दिया था.

अदालत ने साथ ही कहा था कि विशाल सिंह 12 मई के बाद की आयोग की पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट खुद दाखिल करेंगे. अदालत ने यह भी कहा था कि सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह, विशाल सिंह के निर्देशन में काम करेंगे और स्वतंत्र रूप से कुछ भी नहीं कर सकेंगे.

अदालत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो और दिन का समय दिया था, क्योंकि इलाके के नक्शे बनाने में कुछ समय लग रहा था. पहले यह रिपोर्ट 17 मई को ही पेश की जानी थी.

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कार्य बीते 16 मई को पूरा किया गया था. सर्वेक्षण के अंतिम दिन हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग मिला है, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को गलत बताया था.

अदालत ने 16 मई को हिंदू पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का आदेश दिया था, जहां कथित तौर पर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है.

इससे पहले वाराणसी की अदालत ने 12 मई को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त को बदलने के लिए दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था और 17 मई तक कार्य पूरा करने का आदेश दिया था.

अदालत ने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए थे.

मस्जिद प्रबंधन समिति ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने 21 अप्रैल को याचिका खारिज कर दी. इसके बाद समिति ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.

इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)