सीबीआई ने रेलवे में नौकरियों के बदले उम्मीदवारों से ज़मीन लेने के आरोप में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा तथा हेमा के अलावा कई उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ यह एफ़आईआर दर्ज की गई है. यह कथित घोटाला तब का है, जब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव संप्रग सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे.
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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रेलवे में नौकरियों के बदले उम्मीदवारों से जमीन लेने के आरोप में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
यह कथित घोटाला तब का है, जब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे.
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोपों की प्रारंभिक जांच दर्ज की थी, जिसे एफआईआर में बदल दिया गया है. यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा तथा हेमा के अलावा कई उम्मीदवारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार की सुबह दिल्ली, पटना और गोपालगंज में 17 स्थानों पर तलाशी ली.
Central Bureau of Investigation registers a fresh case of corruption against RJD Chief Lalu Yadav and his daughter. Raids are underway at 17 locations in Delhi and Bihar related to Lalu Yadav: Sources
(Visuals from Patna, Bihar) pic.twitter.com/qiil99Lpau
— ANI (@ANI) May 20, 2022
अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की है. धारा 120बी आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ी है.
ऐसा आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के 2008 से 2009 तक रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में नौकरियों के बदले में यादव परिवार को कई संपत्तियां दी गईं, जो प्रमुख स्थानों पर थीं.
यह नया मामला तब दर्ज किया गया है, जब कुछ हफ्ते पहले यादव को चारा घोटाला मामले में जमानत पर रिहा किया गया. इस मामले में रांची में विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यादव और उनके परिवार के सदस्य एक अन्य कथित भ्रष्टाचार मामले में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जहां उन पर रेल मंत्री रहते हुए पटना में प्रमुख स्थान पर भूमि के बदले एक निजी कंपनी का पक्ष लेने का आरोप है.
आईआरसीटीसी घोटाले के नाम से मशहूर इस मामले में यादव के खिलाफ पहले ही चार्जशीट (आरोप-पत्र) दायर की जा चुकी है. सीबीआई ने 2018 में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी और बेटे तेजस्वी यादव को मामले में चार्जशीट दायर किया था.
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि यूपीए सरकार के दौरान रेल मंत्री के रूप में लालू ने आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन और रखरखाव के ठेके देते समय एक कंपनी का पक्ष लिया. बदले में उनके परिवार को ठेका हासिल करने वाली कंपनी के मालिकों से मामूली कीमत पर पटना में जमीन का एक बड़ा टुकड़ा मिला.
एजेंसी ने जुलाई 2017 में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी और बेटे तेजस्वी यादव समेत पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था और यहां तक कि पटना में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के आवास सहित 12 स्थानों की तलाशी ली थी.
सीबीआई ने आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव का ठेका हासिल करने वाले सुजाता होटल्स, उसके मालिक विजय और विनय कोचर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरला, आईआरसीटीसी समूह के तत्कालीन महाप्रबंधक वीके अस्थाना और आरके गोगिया, आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल और निदेशक राकेश सक्सेना तथा एक कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स (जिसके माध्यम से कथित तौर पर ठेके के बदले जमीन की व्यवस्था की गई थी) के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था.
सीबीआई के अनुसार, 2006 में रेल मंत्री के रूप में लालू यादव ने कथित तौर पर रांची और पुरी में आईआरसीटीसी के दो होटलों के रखरखाव के लिए सुजाता होटलों की तरफदारी की थी. सीबीआई ने आरोप लगाया कि बदले में राबड़ी और तेजस्वी को पटना में औने-पौने दामों पर प्रमुख संपत्ति दी गई.
सीबीआई ने कहा है कि 2004 से 2014 के बीच एक साजिश रची गई थी, जिसके तहत पुरी और रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों को पहले आईआरसीटीसी को हस्तांतरित किया गया और बाद में संचालन और रखरखाव के लिए पटना स्थित सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दिया गया.
सीबीआई ने कहा, ‘आरोप यह है कि इस प्रक्रिया के दौरान निविदा प्रक्रिया में धांधली और हेरफेर की गई और निजी पार्टी (सुजाता होटल) की मदद के लिए शर्तों में बदलाव किया गया था. बदले में पश्चिमी पटना में तीन एकड़ जमीन सरला और प्रेम चंद गुप्ता द्वारा संचालित डिलाइट मार्केटिंग को बहुत कम लागत पर दी गई थी और बाद में 2010 से 2014 की अवधि के बीच इस भूमि को आगे लालू यादव के परिवार सदस्य के स्वामित्व वाली कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स को स्थानांतरित कर दिया गया था.’
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस बीच, राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी प्रमुख लालू यादव के कई स्थानों पर चल रही सीबीआई छापेमारी का विरोध किया.
राजद नेता आलोक मेहता ने कहा कि यह एक मजबूत आवाज को दबाने की कोशिश है. उन्होंने कहा, ‘सीबीआई का निर्देश और कार्रवाई पूरी तरह से पक्षपाती है.’
वहीं, लालू प्रसाद के भाई प्रभुनाथ यादव ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक बीमार व्यक्ति को इस तरह से जान-बूझकर परेशान किया जा रहा है. यह सर्वविदित है कि इसके पीछे कौन है.’
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सीबीआई पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘तोता है, तोतों का क्या.’ गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान सीबीआई को राजनीतिक आकाओं का ‘तोता’ कहा था.
तोते हैं!
तोतों का क्या!— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 20, 2022
राजद ने कहा कि तथाकथित रेलवे से संबंधित घोटाला में अनगिनत बार छापामारी हुई लेकिन कुछ नहीं मिला.
राजद सीवान इकाई ने ट्वीट किया, ‘तथाकथित रेलवे से संबंधित घोटाले में अनगिनत बार छापामारी हुई है और मिला कुछ नहीं. 2004-09 तक आदरणीय लालू जी रेल मंत्री थे. आज 13 साल बाद भी अगर सीबीआई को छापा मारना पड़ रहा तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कितनी घटिया स्तर की जांच एजेंसी है सीबीआई. लालू परिवार झुकने और डरने वाला नहीं है.’
तथाकथित रेल्वे से सम्बंधित घोटाले में अनगिनत बार छापामारी हुई है और मिला कुछ नहीं। 2004-09 तक आदरणीय लालु जी रेल मंत्री थे।आज 13 साल बाद भी अगर सीबीआई को छापा मारना पड़ रहा तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कितनी घटिया स्तर की जाँच एजेन्सी है CBI
लालु परिवार झुकने और डरने वाला नहीं है।— RJD Siwan (@Siwan_Rjd) May 20, 2022
एक अन्य ट्वीट में पार्टी ने कहा, ‘जिस लालू जी ने रेलवे को 90,000 करोड़ का मुनाफा दिया, जिस लालू ने लाखों युवाओं के लिए रेलवे में भर्ती निकाली, कुलियों को स्थायी किया उस लालू पर 15 साल बाद छापा मरवाया जा रहा है. और जिस संघ व मोदी-शाह ने रेलवे को बेच दिया, स्टेशन बेच दिए, 72000 पदों को डकार गए वो ईमानदार बन रहे है.’
जिस लालू जी ने रेलवे को 90,000 करोड़ का मुनाफा दिया,जिस लालू ने लाखों युवाओं के लिए रेलवे में भर्ती निकाली,कुलियों को स्थायी किया उस लालू पर 15 साल बाद छापा मरवाया जा रहा है।
और जिस संघ व मोदी-शाह ने रेलवे को बेच दिया, स्टेशन बेच दिए, 72000 पदों को डकार गए वो ईमानदार बन रहे है।
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 20, 2022
पार्टी ने कहा, ‘उनकी औकात नौकरी देने की है ही नहीं, न ही नौकरी देने की समझ और काबिलियत है, इसलिए नौकरी देने वालों को और नौकरी देने की बात करने वालों पर छापा मरवा रहे है. कितने छापे मारोगे रे मूर्खों!’
उनकी औक़ात नौकरी देने की है ही नहीं, ना ही नौकरी देने की समझ और क़ाबिलियत है इसलिए नौकरी देने वालों को और नौकरी देने की बात करने वालों पर छापा मरवा रहे है।
कितने छापे मारोगे रे मूर्खों!
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 20, 2022
पार्टी ने कहा, ‘देश के एकमात्र नेता जिससे मोदी-आरएसएस इतनी डरती है कि अनेकों गंभीर बीमारीयों से जूझ रहे बीमार लालू जी को डराने के लिए एक और फर्जी मुकदमा किया. इस तानाशाही का राजद डटकर मुंहतोड़ जवाब देगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)