रिपोर्ट का मसौदा समिति के पिछले कार्यकाल में तैयार किया गया था, लेकिन तब रिज़र्व बैंक द्वारा कुछ जानकारियां न देने के कारण समिति ने रिपोर्ट फिर से तैयार करने की मांग की थी.
नई दिल्ली: नोटबंदी से जुड़ी एक संसदीय समिति की रिपोर्ट संसद के अगले सत्र में सदन के पटल पर रखी जा सकती है. इस रिपोर्ट में नोटबंदी के सरकार के फैसले की आलोचना की गई है.
वित्त मामले की संसद की स्थायी समिति नोटबंदी के मुद्दे पर विचार कर रही थी. कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सदस्य हैं.
इस समिति ने नोटबंदी के मुद्दे पर रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया था.
समिति के एक सदस्य ने बताया कि रिपोर्ट का मसौदा समिति के पिछले कार्यकाल में तैयार किया गया था और इसे वितरित किया गया था, लेकिन अब इस समिति को पुनर्गठित किया गया है इसलिए मसौदे को फिर से वितरित किया जाएगा.
समिति के एक और सदस्य ने कहा कि रिपोर्ट में कुल मिलाकर नोटबंदी के फैसले की आलोचना की गई है और इसे संसद के अगले सत्र में सदन के पटल पर रखा जाना है.
समिति के कुछ सदस्यों ने रिपोर्ट का मसौदा फिर से तैयार करने की मांग की थी क्योंकि रिजर्व बैंक ने उस समय कुछ महत्पपूर्ण जानकारियां नहीं दी थीं, मसलन यह नहीं बताया गया था कि 500 और 1000 रुपये कितने नोट उसके पास आए हैं.
संपर्क किए जाने पर मोइली ने भी इसकी पुष्टि की कि रिपोर्ट को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. शीतकालीन सत्र मध्य नवंबर से शुरू होने की संभावना है.
सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था. रिजर्व बैंक ने 2016-17 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि चलन से बाहर किए जा चुके 99 फीसदी नोट सिस्टम में वापस आ चुके हैं.
नये नोटों पर स्वच्छ भारत अभियान के लोगो के बारे में रिजर्व बैंक ने नहीं दी जानकारी
रिजर्व बैंक ने 500 रुपये और 2000 रुपये के नये नोटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना स्वच्छ भारत अभियान का लोगो छापने के बारे में निर्णय पर विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया. उसने इसके लिए सुरक्षा एवं अन्य कारणों का हवाला दिया.
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार की मुहिमों के प्रचार समेत नोटों पर विज्ञापन छापे जाने संबंधी दिशानिर्देशों की नकल देने से भी इनकार कर दिया.
आरटीआई आवेदन की प्रतिक्रिया में रिजर्व बैंक ने कहा, पहले से सार्वजनिक जानकारियों के इतर नोटों का स्वरूप, सामग्री, डिजाइन और सुरक्षा फीचर आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 81ए के खुलासे के दायरे से बाहर हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)