फरवरी 2020 में हुए दंगों के कथित साज़िश से संबंधित मामले में यूएपीए के आरोपी मोहम्मद सलीम ख़ान ने इस आधार पर ज़मानत मांगी है कि उन्हें हिरासत में दो साल पूरे हो चुके हैं और इस मामले में उनकी भूमिका बहुत सीमित और वीडियो फुटेज पर आधारित है. साथ ही उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें एक अन्य मामले में ज़मानत मिल चुकी है, जो उसी वीडियो फुटेज पर आधारित है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 में हुए दंगों के कथित साजिश से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) मामले में आरोपी मोहम्मद सलीम खान की जमानत याचिका पर सोमवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा.
जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने जमानत याचिका को लेकर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया और स्थिति रिपोर्ट मांगी.
खान ने इस आधार पर जमानत मांगी है कि उन्हें हिरासत में दो साल पूरे हो चुके हैं और इस मामले में उनकी भूमिका बहुत सीमित और वीडियो फुटेज पर आधारित है.
खान ने अदालत से उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने का भी अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें एक अन्य मामले में जमानत मिल चुकी है, जो उसी वीडियो फुटेज पर आधारित है.
निचली अदालत ने 22 मार्च को खान की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. मामले पर अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी.
रिपोर्ट के अनुसार, खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13, 16, 17, 18, शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत आरोप हैं.
उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न अपराधों के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.
दंगों और विशेष रूप से ‘षड्यंत्र’ मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर कई बार पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है.
पुलिस ने मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा, सफूरा जरगर, नताशा नरवाल और देवांगना कलीता और आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन सहित कई कार्यकर्ताओं को भी आरोपित किया है.
उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत अर्जी हाईकोर्ट में लंबित है.
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)