केरल: हेट स्पीच मामले में पीसी जॉर्ज की ज़मानत रद्द, दोबारा गिरफ़्तार

कांग्रेस की केरल इकाई के पूर्व नेता पीसी जॉर्ज ने अप्रैल महीने में दिए मुस्लिम-विरोधी बयान के लिए एक मई को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने ज़मानत देते हुए निर्देश दिया था कि आरोपी ऐसा कोई विवादित बयान न दें जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाएं आहत हों. लेकिन उन्होंने ऐसा किया.

//
केरल के वरिष्ठ राजनीतिक नेता पीसी जॉर्ज (फोटो: फेसबुक)

कांग्रेस की केरल इकाई के पूर्व नेता पीसी जॉर्ज ने अप्रैल महीने में दिए मुस्लिम-विरोधी बयान के लिए एक मई को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने ज़मानत देते हुए निर्देश दिया था कि आरोपी ऐसा कोई विवादित बयान न दें जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाएं आहत हों. लेकिन उन्होंने ऐसा किया.

केरल के वरिष्ठ राजनीतिक नेता पीसी जॉर्ज (फोटो: फेसबुक)

तिरुवनंतपुरम/कोच्चि: मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) देने के मामले में वरिष्ठ नेता पीसी जॉर्ज को मिली जमानत बुधवार को केरल की एक मजिस्ट्रेट अदालत से रद्द होने के कुछ घंटे बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जॉर्ज ने 29 अप्रैल को यह भाषण दिया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तिरुवनंतपुरम से आया पुलिस अधिकारियों के एक दल ने एर्नाकुलम एआर कैंप से उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया एवं हिरासत में ले लिया.

जमानत रद्द होने के बाद जॉर्ज को बुधवार की शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें गुरुवार की सुबह अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उन्हें यहां जिला कारागार में भेजा गया है.

उनके वकील ने बताया कि पुलिस ने जॉर्ज की आवाज की जांच करने के लिए उनकी हिरासत मांगी है.

उससे पहले उन्हें नफरत भरे भाषण के सिलसिले में पूछताछ के लिए इस थाने में तलब किया गया था. जॉर्ज को एआर कैंप से पुलिस काफिले में राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम ले जाया गया.

जॉर्ज ने संवाददाताओं से कहा कि उनके खिलाफ अदालत की कार्यवाही पूरी हो जाने के बाद वह उनसे बातचीत करेंगे.

इससे पहले दिन में तिरुवनंतपुरम में मजिस्ट्रेट अदालत ने एक मई को उन्हें मिली राहत को रद्द करने की पुलिस की अर्जी मंजूर कर ली.

लाइव लॉ के अनुसार, कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी को इस मामले में इस शर्त पर जमानत पर रिहा किया गया था कि वह कोई भी विवादास्पद बयान नहीं देंगे या प्रचारित नहीं करेंगे जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे. लेकिन अपनी रिहाई के 10 दिनों के भीतर उन्होंने नागरिकों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह भाषण दिया है, जो जमानत की चौथी शर्त का स्पष्ट उल्लंघन है. आरोपी ने जमानत पर रिहा होने पर सहमत शर्तों का पालन न करके उन्हें मिली रियायत का दुरुपयोग किया है.’

पुलिस ने दलील दी थी कि जॉर्ज ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया इसलिए उनकी जमानत रद्द करने के लायक है.

अदालत ने पुलिस की अर्जी पर जॉर्ज के वकील अजीत कुमार की राय जाननी चाही. कुमार ने कहा कि उनके मुवक्किल को नफरत भरे भाषण के एक अन्य मामले में एर्नाकुलम जिले के पोलरिवत्तोम थाने में पेश होने को कहा गया.

बाद में जब जॉर्ज थाने पहुंचे तब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कार्यकर्ताओं ने उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हुए प्रदर्शन किया. टीवी चैनलों ने यह घटना प्रसारित की.

शीघ्र ही वहां से पीडीपी कार्यकर्ताओं का वहां से हटाया गया. तभी बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के. सुरेंद्रन एवं त्रिक्कारा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी एएन राधाकृष्णन वहां पहुंच गये.

सुरेंद्रन ने कहा कि जॉर्ज के खिलाफ की गई कार्रवाई वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के दोहरे मापदंड का संकेत देता है क्योंकि उसने कुछ उन अन्य लोगों के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया जिसने सार्वजनिक रूप से सांप्रदायिक टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जॉर्ज का समर्थन करेगी.

जॉर्ज के बेटे और केरल जनपक्षम के नेता शोन जॉर्ज ने गुरुवार की सुबह अदालत में उनके पिता को पेश किए जाने में पुलिस द्वारा दिखाई गई ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाए और इसके पीछे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की भूमिका होने का आरोप लगाया.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने जॉर्ज को जेल में डालने में जल्दबाजी दिखाई जबकि उनकी जमानत याचिका केरल उच्च न्यायालय में लंबित है और ऐसा राजनीतिक दबाव में किया गया.

जॉर्ज को केरल उच्च न्यायालय ने पोलारिवत्तोम थाने में दर्ज मामले में गिरफ्तारी से अंतिम राहत प्रदान की थी.

जब अदालत ने कुमार से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल अपनी जमानत को रद्द करने के विरुद्ध अपील करेंगे, तो उन्होंने कहा कि वह पहले कानून का पालन करेंगे एवं तब यह तय करेंगे कि आगे क्या करना है.

पुलिस ने यह आरोप लगाते हुए जॉर्ज की जमानत रद्द करने की मांग की थी कि राहत मिलने के शीघ्र बाद ही जॉर्ज ने वानचियूर में न्यायिक अधिकारी क्वाटर्स के सामने मीडिया को संबोधित किया एवं कहा कि उन्होंने अपने भाषण में जो कुछ कहा है , उस पर अब भी वह कायम हैं. पुलिस ने कहा कि जॉर्ज द्वारा अपनी बात को सही ठहराना अपराध को दोहराना एवं सांप्रदायिक नफरत को और आगे बढ़ाना है.

पुलिस ने कहा था कि मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत देते हुए निर्देश दिया था कि आरोपी ऐसा कोई विवादित बयान नहीं देंगे जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाएं आहत हों.

पुलिस ने जॉर्ज (70)के विरुद्ध 29 अप्रैल को ‘अनंतपुरी हिंदू महासम्मेलनम’ में मुसलमानों के विरुद्ध कथित रूप से सांप्रदायिक भाषण देने को लेकर फोर्ट थाने में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के बाद उन्हें एक मई को गिरफ्तार किया था.

पूर्व विधायक जॉर्ज ने गैर मुसलमानों से मुसलमानों के रेस्तराओं में खाना-पीना बंद करने का आह्वान कर विवाद को जन्म दिया था.

उनके विरुद्ध बाद में 10 मई को नफरत भरे भाषण को लेकर एक अन्य मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने एनार्कुलम जिले के वेन्नाला में एक मंदिर के उत्सव के दौरान अपने भाषण कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)