‘आधार’ की फोटोकॉपी के दुरुपयोग संबंधी चेतावनी के दो दिन बाद सरकार ने परामर्श वापस लिया

27 मई को यूआईडीएआई के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आधार धारकों को सलाह दी थी कि वे अपने कार्ड की फोटोकॉपी किसी भी संगठन के साथ साझा न करें, क्योंकि इसके दुरुपयोग की संभावना है. अब इसे वापस लेते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि आधार पहचान के सत्यापन की व्यवस्था ने धारक की पहचान और गोपनीयता की रक्षा के लिए पर्याप्त बंदोबस्त किए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

27 मई को यूआईडीएआई के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आधार धारकों को सलाह दी थी कि वे अपने कार्ड की फोटोकॉपी किसी भी संगठन के साथ साझा न करें, क्योंकि इसके दुरुपयोग की संभावना है. अब इसे वापस लेते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि आधार पहचान के सत्यापन की व्यवस्था ने धारक की पहचान और गोपनीयता की रक्षा के लिए पर्याप्त बंदोबस्त किए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उस परामर्श को वापस ले लिया है जिसमें आम जनता को किसी भी संगठन के साथ अपने ‘आधार’ की फोटोकॉपी (प्रति) साझा करने को लेकर आगाह किया गया था. सरकार ने नागरिकों से विशिष्ट आईडी का प्रयोग करते समय ‘सामान्य विवेक’ का प्रयोग करने का आग्रह किया है.

इससे पहले 27 मई को यूआईडीएआई के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें उसने आधार धारकों को सलाह दी थी कि वे अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी किसी भी संगठन के साथ साझा न करें, क्योंकि इसके दुरुपयोग की संभावना है.

27 मई को जारी की गई विज्ञप्ति.

यूआईडीएआई के बेंगलुरु स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में आम जनता से किसी भी संगठन के साथ अपने आधार की फोटोकॉपी साझा नहीं करने को कहा गया था. इसमें विकल्प के तौर पर आधार संख्या के अंतिम चार अंकों को प्रदर्शित करने वाले आधार का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.

रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा प्रेस विज्ञप्ति ने लोगों को अपने आधार कार्ड की प्रतियां सार्वजनिक उपकरणों, जैसे कि ‘इंटरनेट कैफे/कियोस्क’ आदि पर डाउनलोड न करने की सलाह दी थी और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि यदि वे ऐसा करते हैं तो वे इसकी प्रतियां हटा दें.

इसने इस बात पर भी जोर दिया कि यूआईडीएआई से प्राप्त ‘यूजर लाइसेंस’ के बिना निजी संस्थाओं को किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड की प्रतियां एकत्र करने या रखने की अनुमति नहीं है और ऐसा करना आधार अधिनियम, 2016 का उल्लंघन है.

हालांकि 29 मई को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसे वापस ले लिया ले लिया.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि वह आधार की फोटोकॉपी साझा नहीं करने के परामर्श वाली प्रेस विज्ञप्ति को वापस ले रहा है क्योंकि इसकी गलत व्याख्या हो सकती है.

29 मई को जारी की गई विज्ञप्ति.

मंत्रालय ने कहा, ‘पिछली प्रेस विज्ञप्ति में लोगों को सलाह दी गई थी कि वे किसी भी संगठन के साथ अपने आधार की प्रति साझा न करें क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इसकी जगह पर आधार संख्या के सिर्फ अंतिम चार अंकों को दर्शाने वाले आधार (मास्क्ड आधार) का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें आधार संख्या के पहले आठ अंक छिपे रहते हैं और सिर्फ अंतिम चार अंक ही दिखते हैं. लेकिन इस विज्ञप्ति की गलत व्याख्या की आशंका को देखते हुए इसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है.’

मंत्रालय ने बयान में कहा कि यूआईडीएआई की तरफ से जारी आधार कार्डधारकों को केवल अपने आधार नंबर के इस्तेमाल एवं उसे दूसरे के साथ साझा करने में सहज विवेक का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है.

बयान में कहा गया कि आधार पहचान के सत्यापन की व्यवस्था ने आधार धारक की पहचान और गोपनीयता की रक्षा और सुरक्षा के लिए पर्याप्त बंदोबस्त किए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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