पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार कहती है कि कश्मीर में शांति क़ायम है, जबकि तथ्य यह है कि कश्मीरी पंडित और मुसलमान दोनों मारे जा रहे हैं. एक शिक्षिका की हत्या सुरक्षा स्थिति की गंभीर तस्वीर पेश करती है और केंद्र शासित प्रदेश में शांति के स्तर को दर्शाती है.
जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर में सेना और पुलिस के जरिये शांति बहाल नहीं की जा सकती. उन्होंने गंभीर स्थिति से निपटने का रास्ता खोजने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ आने की पुरजोर वकालत की और कहा कि लोग अपने परिवारों की सुरक्षा चाहते हैं.
अब्दुल्ला ने सरकार से आगामी अमरनाथ यात्रा के दौरान बहुत सतर्क रहने को कहा. उन्होंने कहा कि अगर यात्रा के दौरान एक भी अप्रिय घटना होती है, तो इसके परिणाम केवल जम्मू कश्मीर ही नहीं देश भर में दिखाई देंगे।
घाटी में लक्षित हत्याओं का हवाला देते हुए अब्दुल्ला ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘उन्हें (सरकार को) सुरक्षा पहलू के बारे में सोचना होगा. उन्हें (इन हिंदू कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए) कुछ करना होगा. कृपया विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बात करके पता करें कि हम इस (सुरक्षा) संकट को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं.’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बिना कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘यह (शांति की बहाली) सेना और पुलिस के जरिये बहाल नहीं की जा सकती है.’
अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा चुनौती के बारे में एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा, ‘ईश्वर न करे, अगर एक भी अप्रिय घटना होती है तो उसका असर न केवल जम्मू कश्मीर बल्कि पूरे भारत में होगा. उन्हें (सरकार को) बहुत सतर्क और सावधान रहना होगा.’
कश्मीर में माता खीर भवानी यात्रा स्थगित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरक्षा और रक्षा किसी भी व्यक्ति और उसके परिवार के लिए प्रमुख चीज है.
उन्होंने कहा, ‘यदि कोई व्यक्ति सुरक्षित नहीं है, तो वह अपना रोजाना का कामकाज कैसे कर सकता है. हर व्यक्ति पहले अपनी और परिवार की सुरक्षा चाहता है. आज कोई सुरक्षा और रक्षा नहीं है.’
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तब तक शांति नहीं हो सकती जब तक कि आप लोगों का दिल नहीं जीत लेते.
अब्दुल्ला ने कहा कि एक शिक्षिका की हत्या सुरक्षा स्थिति की गंभीर तस्वीर पेश करती है और केंद्र शासित प्रदेश में शांति के स्तर को दर्शाती है.
मालूम हो कि सांबा जिले की निवासी और कुलगाम के गोपालपुरा के एक सरकारी स्कूल में नियुक्त रजनी बाला (36) की मंगलवार (31 मई) को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इसके खिलाफ कई जगह प्रदर्शन भी हुए हैं.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘(कश्मीर में) एक शिक्षिका शहीद हो गई. इससे पता चलता है कि जम्मू कश्मीर में कितनी शांति है. इससे पता चलता है कि हम कितने सुरक्षित हैं. वे (सरकार) कहते हैं कि कश्मीर में शांति कायम है, जबकि तथ्य यह है कि कश्मीरी पंडित और मुसलमान दोनों मारे जा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘क्या वे लोग, जो यहां से गांवों में पढ़ाने गए हैं, सुरक्षित हैं? क्या उनके पास सुरक्षा है? बातचीत और दावों से कुछ नहीं होगा, सरकार को हमें इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए एक रास्ता खोजना होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)