अमरनाथ यात्रा: राष्ट्र विरोधी संदेश फैला रहे लोगों और समूहों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत केस दर्ज

कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल के बाद इस साल 30 जून से 11 अगस्त तक अमरनाथ तीर्थयात्रा निर्धारित है. यात्रा से पहले कथित रूप से राष्ट्र-विरोधी संदेश फैलाने के लिए ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन सहित कई अज्ञात व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

अमरनाथ यात्रा (फाइल फोटो:पीटीआई)

कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल के बाद इस साल 30 जून से 11 अगस्त तक अमरनाथ तीर्थयात्रा निर्धारित है. यात्रा से पहले कथित रूप से राष्ट्र-विरोधी संदेश फैलाने के लिए ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन सहित कई अज्ञात व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

अमरनाथ यात्रा (फाइल फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस ने वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पहले कथित रूप से राष्ट्र-विरोधी संदेश फैलाने के लिए सिख फॉर जस्टिस सहित कई अज्ञात व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ शुक्रवार को मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद इस साल 30 जून से 11 अगस्त तक तीर्थयात्रा निर्धारित है.

पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि सिख फॉर जस्टिस समेत कुछ व्यक्ति/समूह आगामी अमरनाथ यात्रा से पहले राष्ट्र विरोधी संदेश फैला रहे हैं और विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल हैं.’

उन्होंने कहा कि वे अलगाववादी संदेशों और विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं, जिससे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठ रहे हैं और उसे बाधित किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इस तरह की गतिविधियों से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी होने की आशंका है.’

उन्होंने कहा कि इस जानकारी के आधार पर और ऐसे समूहों और व्यक्तियों की पहचान के उद्देश्य से एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.

उन्होंने कहा, गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड विधान के तहत संबंधित धाराओं को लागू किया गया है. उन्होंने कहा मामले में फिलहाल जांच चल रही है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सिख फॉर जस्टिस एक अलगाववादी समूह है, जो भारत से पंजाब को ‘खालिस्तान’ के रूप में अलग करने का समर्थन करता है. संस्थापक और मुख्य रूप से वकील गुरपतवंत सिंह पन्नून की अध्यक्षता में इसे भारत में 2019 में एक गैरकानूनी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)