भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी के विरोध में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बीते तीन जून को जुमे की नमाज़ के बाद दुकाने बंद कराने को लेकर हुए विवाद पर दो समुदायों के लोग एक दूसरे से भिड़ गए थे और हिंसा भड़क गई थी. इस मामले में गिरफ़्तार लोगों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है.
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के विभिन्न इलाकों में बीते तीन जून को हुई हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने रविवार को पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसके बाद कुल गिरफ्तार आरोपियों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है.
इसके अलावा मामले की जांच के लिए कानपुर के पुलिस आयुक्त ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. पुलिस के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी समेत गिरफ्तार लोगों को रविवार को विशेष मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रमोद कुमार ने बताया कि सोमवार को अदालत के समक्ष आरोपी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में लेने के लिए अर्जी दी जाएगी.
उन्होंने बताया कि रविवार को पांच अन्य आरोपियों की गिरफ्तारियों के साथ गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या अब तक 29 हो गई है, जबकि 100 से अधिक आरोपियों की पहचान हो चुकी है.
कानपुर के पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा ने कहा कि घटना की विधिवत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘हम जांच करेंगे कि क्या उनका पीएफआई (पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के साथ कोई संबंध है, जिन्होंने उसी दिन मणिपुर और पश्चिम बंगाल को बंद करने का आह्वान किया था.’
मीणा ने कहा कि एसआईटी की निगरानी पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) संजीव त्यागी करेंगे, जिन्हें अपर पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) ब्रजेश श्रीवास्तव, सहायक पुलिस आयुक्त (अनवरगंज) अकमल खान व कर्नलगंज के त्रिपुरारी पांडेय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी.
उन्होंने कहा कि साथ में एक पुलिस निरीक्षक और दो उपनिरीक्षक उनकी सहायता करेंगे.
उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के अपर पुलिस महानिदेशक नवीन अरोड़ा ने भी रविवार को कानपुर का दौरा किया और घटना की जांच कर रही पुलिस टीमों से बातचीत की.
कानपुर के पुलिस आयुक्त ने कहा कि इनके संपर्क और संबंधों की जांच की जा रही है. मीणा ने कहा कि एसआईटी को सांप्रदायिक तनाव भड़काने वालों की पहचान करने को कहा गया है.
उन्होंने कहा कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) से संबंधित दस्तावेज भी जफर हयात हाशमी के परिसरों की तलाशी के दौरान मिले.
मीणा ने आगे कहा कि मौलाना मोहम्मद अली (एमएमए) जौहर फैंस एसोसिएशन के प्रमुख हयात जफर हाशमी, जावेद अहमद खान, मोहम्मद राहिल और मोहम्मद सूफियान सहित गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से छह मोबाइल फोन बरामद किए गए, जिन्हें शनिवार (चार जून) को हजरतगंज लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था.
मीणा ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्तियों के मोबाइल फोन और सोशल मीडिया एकाउंट की छानबीन की जा रही है. उन्होंने कहा कि पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर साक्ष्य एकत्र करने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस ने कानपुर में हिंसा और पथराव की घटना के एक दिन बाद शनिवार को 500 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे, हिंसा की घटनाओं में 40 लोग घायल हो गए थे.
अपर पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) आनंद प्रकाश तिवारी ने बीते चार जून को बताया था कि शुक्रवार को हुई हिंसा मामले में बेकनगंज पुलिस थाने में 500 से अधिक लोगों के खिलाफ दंगा और हिंसा को लेकर तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं.
पहली एफआईआर थाना प्रभारी (बेकनगंज) नवाब अहमद ने लगभग 500 लोगों के खिलाफ दर्ज की है और उन पर घातक हथियारों से दंगा करने का आरोप लगाया है.
एफआईआर में मौलाना मोहम्मद अली (एमएमए) जौहर फैंस एसोसिएशन के प्रमुख हयात जफर हाशमी, उनके सहयोगियों यूसुफ मंसूरी और आमिर जावेद अंसारी सहित 36 लोगों के नाम जुमे की नमाज के तुरंत बाद हुई हिंसा के संबंध में हैं.
एफआईआर में कहा गया है कि दंगाइयों ने हिंसा के दौरान घातक हथियारों का इस्तेमाल किया, पेट्रोल बम फेंके और सड़कों पर हंगामा किया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई.
पुलिस उप-निरीक्षक (एसआई) आसिफ रजा द्वारा दर्ज की गई दूसरी एफआईआर में दंगे को लेकर 350 अज्ञात लोगों के अलावा 20 लोगों को नामजद करके एफआईआर दर्ज की गई.
एसआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया कि एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के प्रमुख हयात जफर हाशमी, यूसुफ मंसूरी, अमीर जावेद अंसारी और अन्य के साथ दादा मियां चौराहे पर एकत्र हुए और दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर करते हुए यतीमखाना इलाके की ओर गए जिससे अराजकता फैल गई.
तीसरी एफआईआर चंदेश्वर हाटा निवासी मुकेश ने दर्ज करवाई है, जिसने आरोप लगाया है कि सैकड़ों मुसलमानों ने लाठी, लोहे की सरिया और घातक हथियारों से दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला किया, उनकी हत्या के इरादे से पेट्रोल बम और पत्थर फेंके.
एफआईआर में आरोपी के रूप में ‘हजारों अज्ञात व्यक्तियों की भीड़’ का उल्लेख है.
बता दें कि हो कि भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी किए जाने के विरोध में हयात और उनके समर्थकों के बीते तीन जून को जुमे की नमाज के बाद दुकानें बंद कराने के प्रयास के दौरान दो समुदायों के लोग एक दूसरे से भिड़ गए, जिसके बाद कानपुर के कुछ हिस्से में हिंसा भड़क गई थी.
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करने को लेकर नूपुर शर्मा के खिलाफ बीते 28 मई को दक्षिण मुंबई के पायधुनी थाने में केस दर्ज किया गया था.
शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 295ए (विद्वेषपूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हों), 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (2) (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से झूठे बयान आदि फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इसके बाद नूपुर शर्मा के खिलाफ ठाणे जिले के कोंढवा पुलिस स्टेशन में भी बीते 31 मई को एक और एफआईआर दर्ज किया गया था.
इसी बीच, भाजपा ने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी पर विवाद को शांत करने की कोशिश करते हुए रविवार को उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया.
भाजपा की अनुशासनात्मक समिति की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया कि शर्मा ने विभिन्न मुद्दों पर पार्टी की राय के विपरीत जाकर विचार प्रस्तुत किए हैं, जो कि इसके संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)