उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम मार्ग पर घोडे़-खच्चरों की मौत पर नोटिस जारी किया

एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने अपने याचिका में कहा है कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब 20 हज़ार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है. याचिका में कहा गया ​है कि अब तक 600 घोड़ों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने अपने याचिका में कहा है कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब 20 हज़ार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है. याचिका में कहा गया ​है कि अब तक 600 घोड़ों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की कथित तौर पर ज्यादा काम के बोझ के चलते हो रहीं मौतों के मामले को बुधवार को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को ​नोटिस जारी किया और उन्हें मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा.

पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मौलेखी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आरसी खुल्बे की पीठ ने राज्य सरकार, पशुपालन विभाग, उत्तरकाशी, चमोली एवं रुद्रप्रयाग तथा चारधाम मार्ग में आने वाले जिलों के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी किए.

कठिन पैदल मार्गों वाले हिमालयी धामों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में घोडे़ और खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं. हाईकोर्ट ने सरकार को यात्रा के सुरक्षित संचालन के ​मामले को देखने के लिए एक समिति का गठन करने को भी कहा है.

अपनी याचिका में मौलेखी ने कहा कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब 20 हजार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि इनमें से ज्यादातर घोडे़-खच्चर बीमार हैं और उनसे क्षमता से अधिक काम लिया जा रहा है.

उनका कहना है कि इसके अलावा इन पशुओं के लिए न तो पशु चिकित्सक की सुविधा है और न ही उन्हें पर्याप्त चारा और पानी उपलब्ध कराया गया है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मृत जानवरों को सीधे नदियों में फेंका जा रहा है जिससे पानी भी प्रदूषित हो रहा है.

याचिका के अनुसार, अब तक 600 घोड़ों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है. मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, याचिका में कहा गया है, ‘उप-हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र बेहद नाजुक है. इस क्षेत्र में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है और इस भीड़ में 20,000 से अधिक घोड़ों को अनावश्यक रूप से जोड़ दिया गया है.’

मौलेखी ने अदालत से अनुरोध किया कि उत्तराखंड और इसके ऊपरी क्षेत्रों में धार्मिक यात्राओं/तीर्थयात्राओं के लिए घोड़ों के उपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें और लागू कानून के अनुपालन में उनके उपयोग के लिए एक प्रभावी नीति तैयार करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)