पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने संसद और प्रांतीय असेंबली के सदस्यों को संपत्ति और देनदारियों का ब्योरा न देने पर की कार्रवाई.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के सदस्य कैप्टन मोहम्मद सफ़दर सहित 260 से अधिक सांसदों को देश के चुनाव आयोग ने संपत्तियों और देनदारी की जानकारी मुहैया नहीं कराने की वजह से मंगलवार को निलंबित कर दिया.
कैप्टन मोहम्मद सफ़दर के अलावा निलंबित होने वाले दूसरे जनप्रतिनिधियों में तहरीक-ए-इंसाफ़ की नेशनल असेंबली सदस्य आयशा गुललई, धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार यूसुफ और राष्ट्रीय असेंबली की पूर्व स्पीकर फ़हमिदा मिर्ज़ा प्रमुख हैं.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की ख़बर के मुताबिक पाकिस्तान चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय, प्रांतीय असेंबली और सीनेट के कुल 261 सदस्यों को निलंबित कर दिया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक सात सीनेटर, 71 एमएनए, पंजाब असेंबली के 84 सदस्य, सिंध असेंबली के 50 सदस्य, ख़ैबर पख्तूनख़्वा के 38 सदस्य और बलूचिस्तान के 11 सदस्यों को निलंबित किया गया है.
चुनाव आयोग ने संसद और प्रांतीय असेंबली के सदस्यों को अपनी, पति-पत्नी और निर्भर रहने वाले लोगों की संपत्तियों और देनदारी का ब्योरा 30 सितंबर मुहैया कराने को कहा था और ऐसा नहीं करने वालों को उनकी सदस्यता रद्द करने की चेतावनी दी थी.
आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की उपधारा 42 ए के तहत ये कार्रवाई की है. इस कानून के तहत सभी प्रतिनिधियों को हर साल अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्योरा देना होता है. देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए यह अधिनियम पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ़ ने लागू किया था.
भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में पेश हुए पाकिस्तान के वित्त मंत्री
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक़ डार पनामा पेपर्स घोटाले में सुनवाई का सामना करने के लिए मंगलवार को यहां फिर एक भ्रष्टाचार निरोधक अदालत के समक्ष पेश हुए.
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य क़रार दिए गए नवाज़ शरीफ़, उनके परिवार के सदस्यों और वित्त मंत्री डार के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार एवं धनशोधन के तीन मामले इस्लामाबाद की जवाबदेही अदालत में दर्ज किए हैं.
उच्चतम न्यायालय ने पनामा पेपर घोटाला मामले में 28 जुलाई को शरीफ़ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य क़रार दिया था जिसके कई सप्ताह बाद ये मामले दर्ज किए गए.
67 वर्षीय डार अदालत में पेश हुए लेकिन उनके मुख्य वकील ख़्वाज़ा हारिस पूर्व प्रतिबद्धताओं के चलते मौजूद नहीं थे.
अदालत को बताया गया कि हारिस मंगलवार को ही बाद में आएंगे. अदालत ने इसके साथ ही सुनवाई से छूट की मांग वाली डार की अर्ज़ी भी ख़ारिज कर दी और सुनवायी 18 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)