पैगंबर मोहम्मद को लेकर निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयानों के विरोध में इलाहाबाद में हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद को 10 अन्य लोगों के साथ ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया है. वह छात्र कार्यकर्ता आफ़रीन फ़ातिमा के पिता हैं. जावेद फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में प्रशासन ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और कार्यकर्ता आफरीन फातिमा के पिता जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के दो मंजिला बंगले को रविवार (12 जून) की दोपहर में बुलडोजर तोड़कर गिरा दिया.
पुलिस की भारी तैनाती के बीच दोपहर में दो जेसीबी बुलडोजर शहर के करेली स्थित जावेद मोहम्मद के आवास पर पहुंचे. बुलडोजर से आगे और पीछे के गेट को गिराने के बाद घर के अंदर रखा निजी सामान निकाल कर फातिमा के आवास के बगल में एक खाली भूखंड पर फेंक दिया गया.
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि जावेद के जेके आशियाना, करेली स्थित दो मंजिला मकान को ध्वस्त करने के लिए जेसीबी मशीन और भारी संख्या में पुलिस बल सुबह 10:30 बजे ही करेली थाने पर पहुंच गए और दोपहर करीब एक बजे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की गई.
उन्होंने बताया कि शाम पांच बजे तक दो जेसीबी मशीन और एक पोकलैंड की मदद से पूरे मकान को ध्वस्त कर दिया गया. उन्होंने बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले जावेद के परिजनों ने घर के जरूरी सामान पड़ोसी की छत के जरिये हटा लिए थे. उन्होंने बताया कि जावेद का मकान पीडीए से नक्शा पास कराए बगैर बनाया गया था.
In UP's Prayagraj, demolition of Javed Mohammad's residence begins. As per police, he is one of the main conspirators of violence in the city on June 10. Javed is associated with Welfare pary of India and was arrested along with wife and one of their daughters. pic.twitter.com/1aE1HyP7on
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) June 12, 2022
भाजपा के निलंबित नेताओं नूपुर शर्मा और नवील जिंदल द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को इलाहाबाद में हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया था. हिंसा के संबंध में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने 60 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद को यूपी पुलिस ने 10 अन्य लोगों के साथ मुख्य साजिशकर्ता बनाया है.
#WATCH | Demolition of the "illegally constructed" residence of Prayagraj violence accused Javed Ahmed still underway, after the Prayagraj Development Authority (PDA) earlier put a demolition notice at the residence. pic.twitter.com/CcpVgMaZso
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 12, 2022
बीते 10 जून को उन्हें उनके करेली स्थित आवास से हिरासत में ले लिया गया था. परिवार के सदस्यों का कहना है कि उसी दिन बाद में उनकी पत्नी और बेटी को भी हिरासत में ले लिया गया.
पुलिस का दावा है कि 10 जून को विरोध प्रदर्शन का आह्वान जावेद मोहम्मद ने ही किया था.
इसके बाद 11 जून को उनके आवास को गिराने का नोटिस परिवार को सौंपा गया था, जिसके बाद पुलिस कथित तौर पर प्रयास कर रही है कि परिवार अपना घर छोड़ दे, क्योंकि इस समय परिवार की कई महिला सदस्य घर में रह रही हैं.
A notice has also been posted demanding that the residents leave, or else they will be lathi-charged and forcefully removed before the demolition. pic.twitter.com/IHkKmrnV1t
— Suchitra Vijayan (@suchitrav) June 11, 2022
इससे पहले आफरीन फातिमा के भाई मोहम्मद उमाम जावेद ने द वायर को बताया था कि पुलिसकर्मियों का एक दल उनके घर पहुंचा था और परिवार को ‘बुलडोजर से कार्रवाई’ करने की धमकी दी थी.
उन्होंने बताया, ‘आज (11 जून) रात फिर अलग अधिकारियों का एक दल हमारे पास आया था. उन्होंने हमें प्रताड़ित किया और तुरंत घर छोड़ने की चेतावनी दी थी. हमें बताया गया है कि वे देर रात 2 बजे हमारा घर खाली करने के लिए वापस आएंगे.’
दिए गए नोटिस में परिवार के घर को अवैध निर्माण बताया गया है और उसमें लिखा है, ‘मामले में परिवार को 10 मई को एक नोटिस भेजा गया था और उस पर 24 मई को सुनवाई होनी थी, लेकिन परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.’
नोटिस के मुताबिक, रविवार को सुबह 11 बजे मकान गिराया जाना प्रस्तावित है.
मोहम्मद उमाम ने नोटिस को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा, ‘हमें कुछ भी नहीं मिला और हमारे पास पांच मंजिल या उससे ऊपर के निर्माण के बारे मे कोई जानकारी नहीं थी.’
इसके विरोध में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार, कार्रवाई अवैध और अत्यधिक संदिग्ध है.
पत्र में कहा गया है, ‘तथ्य यह है कि नोटिस वास्तविक संपत्ति धारक के नाम पर भी नहीं दिया गया था (संपत्ति आफरीन फातिमा की मां के नाम पर है), जो इसकी प्रामाणिकता को अत्यधिक संदिग्ध बनाती है. इसके अलावा भले ही पुलिस 10 जून से लगातार घर पर मौजूद हो, 10 जून को जारी नोटिस को 11 जून देर रात ही चिपकाया गया था.’
पत्र में कार्यकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि नोटिस शनिवार रात (11 जून) को यह सुनिश्चित करने के लिए जल्दबाजी में जारी किया गया था, ताकि इसके खिलाफ परिवार को कानूनी सहारा लेने का कोई मौका न मिल सके.
इससे पहले छात्र कार्यकर्ता आफरीन फातिमा ने सोशल मीडिया पर एक अपील की थी, जिसमें उन्होंने अपने पिता की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग को लिखा था.
https://twitter.com/MaktoobMedia/status/1535440490656436225
इससे पहले द वायर से बात करते हुए आफरीन फातिमा ने कहा कि हिंसा से दो दिन पहले उनके पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 107 (उकसाना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.
उन्होंने कहा था, ‘वास्तव में इसका अर्थ था कि अगर शहर में कुछ भी होता है तो उकसाने के लिए मेरे पिता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.’
फातिमा के भाई ने रविवार को बताया था कि उनकी मां और बहन को हिरासत से रिहा कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि दोपहर तक बुलडोजर उनके मोहल्ले में पहुंच गए.
वहीं, पुलिस टीमों ने कथित तौर पर ‘मुख्य आरोपियों’ में से 10 को पकड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की है.
पुलिस द्वारा जारी आरोपियों की सूची में उन लोगों के नाम शामिल हैं, जो 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में मुखर थे. बाकियों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता, छात्र कार्यकर्ता और वाम दल के कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं.
इलाहाबाद के एडीजी प्रेम प्रकाश ने प्रेस को दिए एक बयान में इन नामों का उल्लेख किया और कहा कि इस ‘सुनियोजित’ हिंसा के पीछे कई अन्य लोगों की पहचान की गई है.
कथित तौर पर समाजवादी पार्टी के नेताओं को भी पुलिस द्वारा आरोपी बनाया गया है.
भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने शनिवार को एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वर्दी पहने हुए पुलिसकर्मियों द्वारा एक अज्ञात स्थान पर , संभवत: पुलिस थाने में, युवकों के एक समूह को पीटते हुए देखा जा सकता है.
उन्होंने इस वीडियों के साथ लिखा था, बलवाइयों को ‘रिटर्न गिफ़्ट’!!
https://twitter.com/shalabhmani/status/1535532117173542912
बीते हिंसा के अगले दिन 11 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दंगाइयों के खिलाफ उदाहरण पेश करने वाली ‘कार्रवाई’ की बात कही थी, ताकि ‘असामाजिक विचारों’ वाले लोग फिर कभी शांति भंग करने के बारे में न सोचें.
उपद्रवियों पर कार्रवाई ऐसी हो, जो असामाजिक सोच रखने वाले सभी तत्वों के लिए एक उदाहरण बने और माहौल बिगाड़ने के बारे में कोई सोच भी न सके।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 11, 2022
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने शनिवार को मीडिया को बताया था कि जावेद मोहम्मद को पुलिस हिरासत में लेकर उससे गहनता से पूछताछ की जा रही है, जिसके आधार पर अन्य लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी.
उल्लेखऩीय है कि इलाहाबाद के करेली और खुल्दाबाद इलाके में बीते 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए पथराव के मामले में पुलिस ने 70 नामजद अभियुक्तों और 5,000 से भी ज्यादा अज्ञात शरारती तत्वों के खिलाफ 29 गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने घटना के 24 घंटे के भीतर 68 उपद्रवियों को हिरासत में लिया, जिसमें चार उपद्रवी नाबालिग पाए गए जिन्हें बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया, वहीं 64 उपद्रवियों को सेंट्रल जेल नैनी भेजने का आदेश दिया गया.
(नोट: इस रिपोर्ट से संबंधित घटनाक्रम लगातार जारी हैं, इसलिए अधिक जानकारी उपलब्ध होने पर उन्हें इसमें जोड़ा जाएगा.)
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