पैगंबर मोहम्मद के बारे में निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणियों को लेकर पैदा हुए आक्रोश के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने इस्लामी देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिए जो प्रभावशाली क़दम उठाए हैं, उनके कमज़ोर होने का ख़तरा पैदा हो गया है. कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को, जो कुछ हो रहा है, उसके समर्थन के तौर पर देख रहे हैं.
नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद के बारे में भाजपा के दो पूर्व पदाधिकारियों की कथित विवादित टिप्पणियों को लेकर पैदा हुए आक्रोश के बीच कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में ‘घृणास्पद भाषण और इस्लामोफोबिया की घटनाओं के बढ़ने’ पर अपनी चुप्पी तोड़ें.
थरूर ने कहा कि कुछ लोग मोदी की चुप्पी को, जो कुछ हो रहा है, उसके समर्थन के तौर पर देख रहे हैं.
थरूर ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि विडंबना यह है कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने इस्लामी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए जो प्रभावशाली कदम उठाए हैं, उनके कमजोर होने का खतरा पैदा हो गया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने देश में ईशनिंदा कानूनों की आवश्यकता पर चल रही बहस की भी बात की और कहा कि वह ऐसे कानूनों को पसंद नहीं करते, क्योंकि दूसरे देशों में इन कानूनों का इतिहास इसके दुरुपयोग के मामलों से भरा पड़ा है.
थरूर ने कहा, ‘ईशनिंदा कानून से उन लोगों को मनगढ़ंत मुकदमेबाजी और लोगों को बहकाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं. मुझे लगता है कि हमारे वर्तमान अभद्र भाषा कानून और धारा 295ए इस तरह के दुर्व्यवहार से निपटने के लिए पर्याप्त हैं.’
उन्होंने कहा कि पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को चाहिए कि वे कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी डर या पक्षपात के कार्रवाई करें.
पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी को लेकर कई मुस्लिम-बहुल देशों की नाराजगी और इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप की अपील संबंधी सवाल पर थरूर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री हमारे देश में अभद्र भाषा और इस्लामोफोबिया की घटनाओं के बढ़ने पर अपनी चुप्पी तोड़ें, क्योंकि कुछ लोग उनकी चुप्पी को, जो कुछ हो रहा है, उसके समर्थन के तौर पर देख रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि वह (मोदी) समझते हैं कि इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी भारत के विकास और समृद्धि को लेकर उनके खुद के दृष्टिकोण को कमजोर कर रही है.’
थरूर ने जोर देकर कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए सामाजिक एकता व राष्ट्रीय सद्भाव जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नाम पर, उन्हें सार्वजनिक रूप से इस तरह के व्यवहार को रोकने का आह्वान करना चाहिए.’
कूटनीति और विदेश नीति पर इस विवाद के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि विडंबना यह है कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने इस्लामिक देशों, खासकर खाड़ी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए जो प्रभावशाली कदम उठाए हैं, उनके ‘गंभीर रूप कमजोर’ होने का खतरा पैदा हो गया है.
पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि इन देशों की मीडिया में भारत में मुसलमानों की बढ़ती परेशानी के बारे में कहानियां भरी पड़ी हैं.
मालूम हो कि पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी के लिए भाजपा ने बीते पांच जून को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया और दिल्ली इकाई के प्रवक्ता नवीन जिंदल को निष्कासित कर दिया था. पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणियों का कई देशों ने विरोध किया है.
इससे पहले कतर, ईरान और कुवैत ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में भाजपा नेता की विवादित टिप्पणियों को लेकर बीते पांच जून को भारतीय राजदूतों को तलब किया था. खाड़ी क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों ने इन टिप्पणियों की निंदा करते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी.
निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर उनकी गिरफ्तारी की मांग पर बीते 10 जून को देश भर के कई शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए थे.
झारखंड की राजधानी रांची में हिंसक प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था. श्रीनगर में बंद के अलावा दिल्ली और मध्य प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)